Nikku Madhusudhan: कौन हैं भारतीय वैज्ञानिक डॉ. निक्कु मधुसूदन? IIT BHU से की पढ़ाई, ढूंढे दूसरे ग्रह पर जीवन होने के सबसे मजबूत सबूत

डॉ. निक्कु मधुसूदन ने कहा, “हमारी इस स्टडी में सबसे अच्छा यह है कि K2-18b पर गर्म महासागर है, जो जीवन से भरपूर हो सकते हैं।” एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित स्टडी के मेन राइटर, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के खगोल विज्ञान संस्थान के खगोलशास्त्री निक्कू मधुसूदन ने कहा कि ये किसी एलियन दुनिया के पहले संकेत हैं, जहां शायद लोग रहते हैं। चलिए जानते हैं निक्कू मधुसूदन के बारे में...

अपडेटेड Apr 17, 2025 पर 8:36 PM
Story continues below Advertisement
Nikku Madhusudhan: कौन हैं भारतीय वैज्ञानिक डॉ. निक्कु मधुसूदन? IIT BHU से की पढ़ाई, ढूंढे दूसरे ग्रह पर जीवन होने के सबसे मजबूत सबूत

एक भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ. निक्कु मधुसूदन ने दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने और उनकी टीम ने ऐसा ग्रह खोजा है, जहां एलियन जीवन के संकेत मिल सकते हैं। यह ग्रह हमारी धरती से करीब 120 लाइट ईयर दूर है और इसका नाम है K2-18b। डॉ. मधुसूदन की टीम ने James Webb Space Telescope (JWST) की मदद से एक दूर के ग्रह K2-18b की जांच की। वहां उन्हें Dimethyl Sulphide (DMS) नाम की गैस मिली। यह गैस धरती पर केवल बायोलॉजिकल प्रोसेस से मिलती है, जैसे समुद्री शैवाल (marine algae), बनाई जाती है। इसका मतलब है — वहां जीवन होने की संभावना है!

डॉ. निक्कु मधुसूदन ने कहा, “हमारी इस स्टडी में सबसे अच्छा यह है कि K2-18b पर गर्म महासागर है, जो जीवन से भरपूर हो सकते हैं।” एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित स्टडी के मेन राइटर, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के खगोल विज्ञान संस्थान के खगोलशास्त्री निक्कू मधुसूदन ने कहा कि ये किसी एलियन दुनिया के पहले संकेत हैं, जहां शायद लोग रहते हैं। चलिए जानते हैं निक्कू मधुसूदन के बारे में...

कौन हैं डॉ. निक्कु मधुसूदन?


- डॉ. निक्कु मधुसूदन का जन्म भारत में 1980 में हुआ था।

- उन्होंने अपनी पढ़ाई की शुरुआत IIT (BHU), वाराणसी से की।

- इसके बाद वह अमेरिका के MIT (Massachusetts Institute of Technology) गए, जहां उन्होंने मास्टर्स और पीएचडी की।

- फिलहाल वह कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (University of Cambridge) में एस्ट्रोफिजिक्स के प्रोफेसर हैं।

- उन्होंने MIT, Yale और Princeton जैसे बड़े संस्थानों में भी काम किया है।

डॉ. मधुसूदन की उपलब्धियां

डॉ. मधुसूदन को European Astronomical Society और International Union for Pure and Applied Physics जैसे संगठनों से कई पुरस्कार मिल चुके हैं। वह Exoplanets, उनके वातावरण, बनने की प्रक्रिया और जीवन की संभावनाओं पर गहराई से रिसर्च करते हैं।

उनकी रिसर्च में मुख्य रूप से दो टेलीस्कोप्स का इस्तेमाल होता है – Hubble Space Telescope और James Webb Space Telescope।

डॉ. मधुसूदन ने ही 'Hycean World' शब्द का सुझाव दिया था। ये ऐसे ग्रहों पर हाइड्रोजन-युक्त वातावरण और तरल पानी के महासागर होते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसे ग्रहों पर सूक्ष्मजीवों (microorganisms) के लिए जीवन संभव है।

क्या है K2-18b?

यह एक Exoplanet है, यानी ऐसा ग्रह जो हमारे सौरमंडल का हिस्सा नहीं है। यह एक छोटे तारे के चारों ओर घूमता है। इसका आकार धरती से बड़ा है, लेकिन यह Neptune जितना बड़ा नहीं है। यह ग्रह 'रहने योग्य क्षेत्र' (habitable zone) में है, यानी वहां पानी मौजूद हो सकता है।

पृथ्वी से अलग इस ग्रह पर मिला जीवन होने का अब तक का सबसे मजबूत सबूत! वैज्ञानिक भी हुए हैरान

MoneyControl News

MoneyControl News

First Published: Apr 17, 2025 8:36 PM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।