IPO News: पिछले कुछ समय से बड़ी संख्या में कंपनियां लिस्ट हुई हैं और अभी भी कई कतार में हैं। आईपीओ को लेकर निवेशकों के साथ-साथ कंपनियां कितनी क्रेजी हैं, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि एक ही दिन में 13 कंपनियों ने बाजार नियामक सेबी के पास इसका ड्राफ्ट फाइल किया। इसमें अलग-अलग सेक्टर की कंपनियां शामिल हैं और नए शेयरों के साथ-साथ ऑफर फॉर सेल का इश्यू भी है। जिन कंपनियों ने ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) फाइल किया है, उसमें विक्रम सोलर, आदित्य इंफोटेक और वरिंडेरा कंस्ट्रक्शंस शामिल हैं। सेबी के पास दाखिल ड्राफ्ट के मुताबिक इन कंपनियों की योजना कम से कम 8 हजार करोड़ रुपये के आईपीओ लाने की है।
कौन-कौन सी कंपनियां पहुंचीं SEBI के पास
विक्रम सोलर, आदित्य इन्फोटेक और वरिंदरा कंस्ट्रक्शन के अलावा, सोमवार को अजाक्स इंजीनियरिंग, राही इंफ्राटेक, विक्रम इंजीनियरिंग, मिडवेस्ट, विनी कॉरपोरेशन, संभव स्टील ट्यूब्स, जारो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एंड रिसर्च, ऑल टाइम प्लास्टिक्स , स्कोडा ट्यूब्स, और डेव एक्सेलेरेटर ने आईपीओ का ड्राफ्ट फाइल किया। विस्तार की योजना, कर्ज चुकाने, वर्किंग कैपिटल की जरूरतों के साथ-साथ मौजूदा शेयरहोल्डर्स के बेचने के लिए ये कंपनियां आईपीओ ला रही हैं।
इसमें सोलर मॉड्यूल बनाने वाली विक्रम सोलर के आईपीओ के तहत 1,500 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी हो सकते हैं और प्रमोटर्स ऑफर फॉर सेल विंडो के तहत 1.74 करोड़ शेयरों की बिक्री कर सकते हैं। आदित्य इन्फोटेक के 1300 करोड़ रुपये के आईपीओ के तहत 500 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी होंगे। वरिंडेरा कंस्ट्रक्शंस के 1200 करोड़ रुपये के आईपीओ के तहत 900 करोड़ रुपये के नए शेयर, इंफ्रा ईपीसी कंपनी विक्रन इंजीनियरिंग के 1000 हजार करोड़ रुपये के आईपीओ के तहत 900 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी होंगे।
धड़ाधड़ IPOs ला रही हैं कंपनियां
सोमवार को 13 कंपनियों ने आईपीओ के लिए ड्राफ्ट सेबी के पास फाइल किया। पिछले कुछ समय से आईपीओ मार्केट काफी गुलजार है। पिछले साल 2023 में 57 कंपनियों ने मेनबोर्ड के जरिए 49,436 करोड़ रुपये के आईपीओ लाए थे और इस साल अब तक 62 कंपनियों ने 64 हजार करोड़ रुपये के आईपीओ ला दिए यानी कि 29 फीसदी अधिक। इक्विरस के मैनेजिंग डायरेक्टर हेड (इक्विटी कैपिटल मार्केट) मुनिष अग्रवाल का कहना है कि इसे मैक्रोइकनॉमिक, सेक्टर-स्पेशिफिक सेक्टर्स और नए विकल्पों में फंड लगाने की इच्छा से सपोर्ट मिला है। घरेलू म्यूचुअल फंड्स ने इसे तगड़ा सपोर्ट दिया है। उनका कहना है कि अगर वैश्विक इकॉनमी और मार्केट को तगड़ा झटका नहीं लगता है तो आगे भी ऐसा रुझान बना रहने वाला है।