प्रमोटर्स तेजी से शेयरों की बिक्री कर रहे हैं और उनकी बिकवाली करीब 6 साल के हाई पर है। उन्होंने NSE-500 के अब तक करीब 87 हजार करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए हैं। यह खुलासा 28 सितंबर को जारी कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट से हुआ है। सिर्फ प्रमोटर्स ही नहीं बल्कि प्राइवेट इक्विटी (PE) या वेंचर कैपिटलिस्ट (VC) निवेशकों ने भी पिछले साल के मुकाबले इस साल धड़ाधड़ शेयर बेचे हैं। प्रमोटर ने ऑटोमोबाइल एंड कंपोनेंट्स, कैपिटल गुड्स, इलेक्ट्रिक यूटिलिटीज, आईटी सर्विसेज और ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर्स में प्रमोटर्स ने भारी बिकवाली की। 2018-123 के दौरान बिकवाली सबसे अधिक इंश्योरेंस और आईटी सर्विसेज में रही।
सबसे अधिक बिकवाली Adani Group में
सेक्टर की बजाय इंडिविजुअल स्टॉक्स की बात करें तो सबसे अधिक अदाणी ग्रुप (Adani Group) के प्रमोटर्स ने शेयरों की बिक्री की है। अदाणी ग्रुप के प्रमोटर्स ने इस साल 2023 में 37 हजार करोड़ रुपये के शेयर बेचे। प्रमोटर्स ने इस साल जितने शेयर बेचे हैं, उसमें अदाणी ग्रुप के प्रमोटर्स की करीब 40 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा कोफोर्ज (Coforge) के प्रमोटर्स ने 11 हजार करोड़ रुपये और सोना कॉम्स्टर (Sona Comstar) के प्रमोटर्स ने 5900 करोड़ रुपये और इंडिगो के प्रमोटर्स ने 5700 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की।
एनालिस्ट्स के मुताबिक प्रमोटर ने अधिकतर बिकवाली कर्जों के मैनेजमेंट जैसे रणनीतिक मजबूरियों के चलते की तो दूसरी तरफ प्राइवेट इक्विटी ने कीमतों में बढ़ोतरी का फायदा लिया। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट के मुताबिक अदाणी ग्रुप की कंपनियों और वेदांता के प्रमोटर्स ने कर्ज चुकाने के लिए नगदी जुटाने की रणनीति के तहत शेयर बेचे तो दूसरी तरफ HDFC Life और CIE India के प्रमोटर्स ने पोर्टफोलियो में फेरबदल के चलते शेयर बेचे।
घरेलू निवेशकों की बढ़ी हिस्सेदारी
प्रमोटर्स की बिकवाली के चलते एनालिस्ट्स का कहना है कि BSE-200 इंडेक्स में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी जून 2023 में गिरकर 49 फीसदी पर आ गई। दिसंबर 2022 में यह 50.3 फीसदी पर थी। वहीं दूसरी तरफ म्यूचुअल फंड्स, बैंकिंग और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन्स, रिटेल जैसे घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी 0.90 फीसदी बढ़कर 23.5 फीसदी पर पहुंच गई। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) की भी हिस्सेदारी 0.26 फीसदी बढ़कर 22 फीसदी पर पहुंच गई।