वेदांता अपने कारोबार को छह हिस्सों (Vedanta Demerger) में बांट रही है। इसका शेयरों पर पॉजिटिव असर दिख रहा है। घरेलू इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही आज औंधे मुंह गिरे पड़े हैं तो दूसरी तरफ वेदांता के शेयर आज 5 फीसदी चढ़ गए। दिन के आखिरी में बीएसई पर यह 3.73 फीसदी की मजबूती के साथ 230.80 रुपये के भाव (Vedanta Share Price) पर बंद हुआ है। इंट्रा-डे में यह 233.80 रुपये तक पहुंच गया था। कंपनी ने 29 सितंबर को डीमर्जर का ऐलान किया था और तब से अब तक यह 12 फीसदी से अधिक ऊपर चढ़ चुका है। 28 सितंबर को यह बीएसई पर 208.25 रुपये पर बंद हुआ था।
Vedanta Demerger की क्या है पूरी योजना
वेदांता ने एक्सचेंज फाइलिंग में जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक यह अपने कारोबार को छह हिस्से में बांटेगी। बोर्ड से इसकी मंजूरी मिल चुकी है। डीमर्जर के तहत वेदांता टूटक वेदांता के अलावा वेदांता एलुमिनियम, वेदांता ऑयल एंड गैस, वेदांता पावर, वेदांता स्टील एंड फेरस मैटेरियल्स और वेदांता बेस मेटल्स यानी छह लिस्टेड कंपनियां बनाई जाएगी। इस योजना के तहत शेयरहोल्डर्स को हर एक शेयर के बदले नई लिस्टेड 5 कंपनियों के एक-एक शेयर मिलेंगे यानी कि पोर्टफोलियो में सिर्फ एक की बजाय 6 कंपनियों के शेयर हो जाएंगे।
Vedanta में निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है सलाह
वेदांता के शेयर 20 जनवरी 2023 को एक साल के हाई 340.75 रुपये पर थे और इस लेवल से फिलहाल यह 31 फीसदी से अधिक डाउनसाइड है। डीमर्जर के ऐलान पर ब्रोकरेज फर्म नुवामा ने इसका टारगेट प्राइस बढ़ाया तो नहीं है लेकिन रेटिंग अपग्रेड कर रिड्यूस से होल्ड कर दिया है। वेदांता के डीमर्जर का काम 12-15 महीने में पूरा हो सकता है। नुवामा के मुताबिक डीमर्जर पॉजिटिव कदम है क्योंकि फिर हर हिस्से को सिर्फ अपने कारोबार पर ही फोकस करना होगा लेकिन ब्रोकरेज का मानना है कि पैरेंट कंपनी वेदांता रिसोर्सेज पर जो भारी-भरकम कर्ज है, उससे जुड़ी चिंता अभी भी बनी हुई है। इसी वजह से ब्रोकरेज ने वेदांता में निवेश के लिए अपना टारगेट प्राइस नहीं बढ़ाया है।
घरेलू ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज का कहना है कि डीमर्जर से इसका कॉरपोरेट स्ट्रक्चर आसान होगा, रिस्क कम करने की क्षमता बढ़ेगी, फैसले लेने की स्वायत्तता मिलेगी। इससे पारदर्शिता भी बढ़ेगी। हालांकि ब्रोकरेज का यह भी कहना है कि वेदांता और इससे जुड़ी कंपनियों के कर्ज की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा। इसके सामने कर्ज के अलावा भी कई चुनौतियां हैं जैसे कि कच्चे माल के भाव में उतार-चढ़ाव, विकसित देशों में कई दशकों की ऊंची ब्याज दरें, चीन में मांग की सुस्त ग्रोथ और चीन के रियल एस्टेट सेक्टर में सुस्ती।
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