वेदांता रिसोर्सेज (Vedanta Resources) अपने पूरे कारोबार को छह हिस्सो में बांटने जा रही है। इससे जुड़ा ऐलान हो चुका है। यह ऐलान ऐसे समय में हुआ है जब कंपनी कर्ज के भारी बोझ से दबी हुई है और रेटिंग एजेंसियां इसकी रेटिंग गिरा रही हैं। मूडीज (Moody’s) ने कर्ज के भारी बोझ को देखते हुए इसकी रेटिंग सीएए1 से घटाकर सीएए2 कर दिया है। वेदांता को लेकर रेटिंग एजेंसी का रुझान निगेटिव बना हुआ है। इस पर करीब 600 करोड़ डॉलर का भारी-भरकम कर्ज है और इसमें से करीब दो-तिहाई की अगले साल मेच्योरिटी है यानी चुकाना है। वेदांता के सामने एक और दिक्कत ये है कि इस समय ब्याज दरें बढ़ी हुई है तो पैसे जुटाना भी महंगा है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि कारोबार को छह हिस्सों में तोड़ने पर क्या फायदा होगा?
Vedanta Demerger से क्या हो सकते हैं फायदे
ब्रोकरेज फर्म फिज्डम के रिसर्च हेड नीरव करकेरा के मुताबिक अगर वेदांता को छह हिस्सों में बांटने यानी डीमर्जर की प्रक्रिया सफल होती है तो इसका पॉजिटिव असर दिख सकता है। निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा, इसकी फंड जुटाने की क्षमता बढ़ेगी और ओवरऑल वित्तीय सेहत में सुधार होगा। अलग-अलग कंपनी होने के बाद ग्रुप में रहने के चलते जो क्षमताएं सामने नहीं आ पा रही थी, वह उभरकर सामने आएंगी यानी वैल्यू बढ़ेगी। इससे हर कंपनी बिना दूसरे हिस्से की कमजोरी बोझ उठाए आगे बढ़ सकेगी।
ये कंपनियां अलग-अलग स्ट्रैटेजी यानी जो उन्हें अपने हिसाब से कारगर लगेगा, उस पर चल सकेंगी और अपने मुताबिक फंड जुटाने की योजना पर काम कर सकेंगी। हर कंपनी को अपने साथ अलग हुई बाकी कंपनियों के बारे में चिंता करने की जरूरत भी नहीं होगी। वैल्यू को लेकर बात करें तो कंपनियों को अपना सही वैल्यूएशन लगाने में मदद मिलेगा और बाकी कंपनियों के चलते इसमें डिस्काउंट यानी गिरावट नहीं आएगी।
क्या है कंपनी का पूरा प्लान
वेदांता ने 29 सितंबर को अपने अलग-अलग को बिजनेस को एक छतरी के नीचे रखने की बजाय अलग-अलग हिस्से में बांटने का ऐलान किया। बोर्ड से इसकी मंजूरी मिल चुकी है। योजना के मुताबिक डीमर्जर के तहत वेदांता एलुमिनियम, वेदांता ऑयल एंड गैस, वेदांता पावर, वेदांता स्टील एंड फेरस मैटेरियल्स, वेदांता बेस मेटल्स और वेदांता लिमिटेड यानी छह लिस्टेड कंपनियों में तोड़ा जाएगा। वेदांता की इस योजना के तहत इसके शेयरहोल्डर्स को हर एक शेयर के बदले नई लिस्टेड 5 कंपनियों के एक-एक शेयर मिलेंगे यानी कि पोर्टफोलियो में सिर्फ एक की बजाय 6 कंपनियों के शेयर हो जाएंगे।
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