वेदांता (Vedanta) अपने पूरे कारोबार को 6 हिस्से में बांटने का ऐलान कर चुकी है। यह प्रक्रिया पूरा होने में अभी समय लगेगा। इसके जरिए अब कंपनी का लक्ष्य वैश्विक निवेशकों, खासतौर से सोवरेन वेल्थ फंड्स को आकर्षित करना है। बंटवारे यानी डीमर्जर के ऐलान के बाद कंपनी के एग्जेक्यूटिव डायरेक्टर अरुण मिश्र ने कहा कि हर बिजनेस के रिस्क को उससे जुड़ी कंपनियों तक ही सीमित रखना है ताकि यह दूसरा कारोबार कर रही कंपनी के कारोबार को प्रभावित न कर सके। अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) की वेदांता ने 29 सितंबर को डीमर्जर का ऐलान किया है।
इसके तहत छह लिस्टेड कंपनियां- वेदांता एलुमिनियम, वेदांता ऑयल एंड गैस, वेदांता पावर, वेदांता स्टील एंड फेरस मैटेरियल्स, वेदांता बेस मेटल्स और वेदांता लिमिटेड बनेंगी। वेदांता के शेयरहोल्डर्स को हर एक शेयर पर बाकी पांच कंपनियों के एक-एक शेयर मिलेंगे।
Vedanta Demerger से निवेश मिलने के आसार
वेदांता के एग्जेक्यूटिव डायरेक्टर अरुण मिश्र के मुताबिक डीमर्जर के बाद जो कंपनियां अस्तित्व में आएंगी, वे अपने-अपने हिसाब से ग्रोथ स्ट्रैटेजी तैयार कर सकेंगी। उनके पास ज्यादा बेहतर डेटाबेस होगा। इससे वे बेहतर तरीके से रणनीतिक फैसले ले सकेंगी और और बाजार में कोई दिक्कत आती है तो उसके हिसाब से फटाफट फैसले ले सकेंगी। अरुण के मुताबिक इससे अधिक से अधिक विदेशी पूंजी आएगी क्योंकि इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स खास कारोबार में ही निवेश को प्रॉयोरिटी देते हैं।
कर्जों को कैसे बांटा जाएगा कंपनियों में
कंपनी पर कर्ज की बात करें तो जून 2023 के आखिरी के आंकड़ों के हिसाब से वेदांता पर 59,192 करोड़ रुपये का कंसालिडेटेड नेट डेट है। इस पर 14,292 करोड़ रुपये कैश और कैश इक्विवैलेंट समेत 73,484 करोड़ रुपये ग्रॉस डेट है। अरुण के मुताबिक डेट रेशनलाइजेशन यानी कर्ज को सही ढंग से मैनेज करना मैनेजमेंट की टॉप प्रॉयोरिटी पर है। अरुण के मुताबिक डीमर्जर की स्थिति में कंपनी कानून में यह बताया गया कि कर्ज कैसे बंटेगा और इसी के हिसाब से कर्जों को बांटा जाएगा।