Agriculture Tips: सर्दियों में सब्जी उगाना है आसान, इन 5 गलतियों से बचें, नहीं तो फसल होगी बर्बाद!

Agriculture Tips: सर्दियों में सब्जी की खेती किसानों के लिए कठिन होती है। पाला, कीट, रोग और मिट्टी की सूखापन फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। लेकिन सही समय पर उन्नत बीज लगाना, मिट्टी में नमी बनाए रखना और जैविक खाद का उपयोग करके किसान सर्दियों में भी स्वस्थ फसल और बेहतर उत्पादन पा सकते हैं

अपडेटेड Nov 27, 2025 पर 12:07 PM
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Agriculture Tips: सर्दियों में मिट्टी में नमी कम हो जाती है। पचुवा हवा के कारण मिट्टी जल्दी सूख जाती है।

सर्दियों का मौसम सब्जी उगाने वाले किसानों के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण साबित होता है। इस समय ठंड, पाला, कीट और विभिन्न रोगों का खतरा अधिक रहता है। साथ ही मिट्टी में नमी की कमी और धूप की कमतरता भी फसल के विकास को प्रभावित करती है। इन सब कारणों से अक्सर सर्दियों में उगाई गई सब्जियों का उत्पादन अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुँच पाता। किसानों को इस मौसम में कई बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। जैसे कि मिट्टी की सही नमी बनाए रखना, पौधों के बीच पर्याप्त दूरी रखना और पाले व झुलसा जैसी समस्याओं से बचाव करना। उन्नत किस्म के बीज और जैविक खाद का इस्तेमाल करके किसान अपनी फसल को स्वस्थ रख सकते हैं।

यदि ये सावधानियां बरती जाएं, तो सर्दियों में भी आलू, गोभी, मटर, मूली, चुकंदर, बीन्स और ब्रोकली जैसी सब्जियों से बेहतर उत्पादन लिया जा सकता है। इससे किसानों की आमदनी भी स्थिर और बढ़ती रहती है।

विशेषज्ञ की सलाह


पूर्णिया भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ. विकास कुमार  लोकल 18 से बोत करते हुए बताते हैं कि सर्दी में सब्जी की खेती करते समय किसानों को कई बातों का खास ध्यान रखना जरूरी है। इससे सब्जियों का उत्पादन अधिक और गुणवत्ता बेहतर रहती है।

कौन-कौन सी सब्जियां उगाएं

सर्दियों में आलू, गोभी, मटर, मूली, चुकंदर, बीन्स, घिया, साग, ब्रोकली, पत्ता गोभी और टमाटर जैसी सब्जियों की खेती की जाती है। इनकी बेहतर पैदावार के लिए सही दूरी, मिट्टी की नमी और पौधों की देखभाल जरूरी है।

मिट्टी और पौधों का ध्यान

सर्दियों में मिट्टी में नमी कम हो जाती है। पचुवा हवा के कारण मिट्टी जल्दी सूख जाती है। इसलिए पौधों के बीच और पंक्तियों के बीच उचित दूरी रखें। इससे पौधे एक-दूसरे पर नहीं गिरेंगे और मिट्टी में नमी लंबे समय तक बनी रहेगी, जिससे झुलसा रोग कम होगा।

रोग और कीट नियंत्रण

कुहासा या ठंड के कारण पाले और झुलसा रोग की समस्या बढ़ जाती है। शुरुआती चरण में उन्नत किस्म के बीज और टाइकोडर्मा बीज उपचार करें। जैविक खाद जैसे सड़ी गोबर या वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग करें। नीम तेल का छिड़काव करें। एक ही खेत में हर साल अलग-अलग सब्जियों की खेती करें। इससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और उत्पादन भी बेहतर होता है।

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