अगर आप किसान हैं और रवि सीजन में फसल बोने का सोच रहे हैं, तो हरी मटर आपके लिए सबसे सही विकल्प साबित हो सकती है। छतरपुर के कृषि मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इस साल जिले में कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है। ऐसे मौसम में हरी मटर की फसल बेहतर उत्पादन देती है और इसका बाजार भाव भी हमेशा अच्छा रहता है। हरी मटर की खेती कम जोखिम वाली होती है क्योंकि ठंड के मौसम में ये अच्छी तरह फलती है और इसमें माहू जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है। इसके अलावा, हरी मटर में पोषक तत्वों की अच्छी मात्रा होती है, जिससे ये किसानों के लिए आर्थिक रूप से भी लाभदायक होती है।
इस फसल की सही देखभाल और समय पर सिंचाई से किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं। खास बात ये है कि हरी मटर के उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ किसान की आमदनी में भी स्थिरता आती है। इसलिए रवि सीजन में हरी मटर की फसल को प्राथमिकता देना सबसे फायदेमंद विकल्प माना जा रहा है।
हरी मटर की खेती क्यों है खास?
डॉ. कमलेश अहिरवार लोकल 18 से बात करते हुए बताते हैं कि, हरी मटर की फसल ठंड के मौसम में बेहतर फलती है। जितनी ठंड बढ़ती है, उतना ही उत्पादन बढ़ता है। इसके अलावा, मटर को ठंड से कोई बीमारी या माहू रोग नहीं लगते। बाजार में इसका भाव 8,000 से 12,000 रुपये प्रति क्विंटल तक रहता है, जिससे किसान भाइयों को अच्छा मुनाफा मिलता है।
मसूर और सरसों की खेती में सावधानी
मसूर की फसल सूखी परिस्थितियों में अच्छी होती है, लेकिन ज्यादा ठंड में माहू रोग लगने की संभावना रहती है। इसलिए ठंड के मौसम में किसान हरी मटर की फसल को प्राथमिकता दें। वहीं सरसों की फसल की बोवनी भी की जा सकती है, लेकिन माहू और पाले से बचाने के लिए पहले सिंचाई कर देनी चाहिए।
सिंचाई के अलावा, फसलों पर सल्फर का छिड़काव करना भी लाभकारी है। इससे फसल पर पाला नहीं लगता और पोषण भी मिलता है। इस तरीके से किसान अपनी फसल को स्वस्थ रखकर बेहतर उत्पादन और मुनाफा सुनिश्चित कर सकते हैं।