छत्तीसगढ़ में गन्ने की खेती इन दिनों किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं साबित हो रही है। यहां की जलवायु, मिट्टी और खेती की परंपरागत तकनीकों के कारण यह फसल किसानों को लगातार अच्छा मुनाफा दे रही है। गन्ना ऐसी फसल है, जो एक बार खेत में लगाने पर कई सालों तक उत्पादन देती रहती है, इसलिए किसानों को हर सीजन दोबारा बीज खरीदने या ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ती। खेती में लगने वाला खर्च भी काफी कम हो जाता है और आमदनी पूरे साल बनी रहती है। यही वजह है कि ग्रामीण इलाकों के अधिकतर किसान इसे नगदी फसल के रूप में अपना रहे हैं।
कृषि विकास अधिकारी केशव राम पीद्दा लोकल 18 से बात करते हुए बताते हैं कि गन्ना काटने के बाद खेत में बची जड़ें अगले वर्षों में फिर से नई फसल तैयार कर देती हैं। इस वजह से किसानों को लंबे समय तक लगातार उपज मिलती है और उनकी कमाई भी नियमित रूप से बढ़ती रहती है।
गन्ने की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु सबसे बेहतर मानी जाती है। छत्तीसगढ़ में 26 से 32°C तापमान इसकी बढ़त के लिए आदर्श माना जाता है। राज्य की दोमट से लेकर कन्हार मिट्टी तक में गन्ना आसानी से उग जाता है। यही वजह है कि ये फसल यहां तेजी से फैल रही है।
बेहतर उपज देने वाली किस्में
छत्तीसगढ़ के किसान बड़ी संख्या में इन उन्नत किस्मों की खेती कर रहे हैं
बालोद जिले में इन किस्मों से किसानों को शानदार उत्पादन मिल रहा है।
एक एकड़ में कितने पौधे और कितना बीज?
गन्ना बोने के लिए प्रति एकड़ 20–30 क्विंटल बीज की जरूरत होती है।
अगर किसान पौध (seedlings) से खेती करना चाहते हैं तो एक एकड़ में लगभग 4,000 पौधे लगाने होते हैं।
सबसे पहले दो दांता वाले पलाउ नागर से पहली जुताई
फिर कल्टीवेटर से एक बार आड़ा और एक बार तिरछी जुताई
अंत में रोटावेटर चलाकर मिट्टी भुरभुरी करें
रिज पद्धति से नालियां बनाएं ताकि पानी और पोषक तत्व समान रूप से पहुंचें
एक एकड़ में किसान को चाहिए
ये मिश्रण गन्ने की बढ़त और शर्करा प्रतिशत दोनों को बढ़ाता है।
गन्ने की सही बढ़त के लिए 15–20 दिन के अंतराल पर 8 से 10 बार सिंचाई करनी चाहिए।
पहली सिंचाई बोनी के तुरंत बाद जरूरी होती है। समय पर पानी मिलने से फसल मजबूत और मीठी बनती है।
आज छत्तीसगढ़ में किसान प्रति एकड़ 350–400 क्विंटल तक गन्ना उगा रहे हैं।
सरकार का 390 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य किसानों की आमदनी को और मजबूत कर रहा है।