बांस की खेती किसानों के लिए अब एक बेहतरीन कमाई का जरिया बनती जा रही है। इसे ‘हरा सोना’ कहा जाता है, क्योंकि यह न सिर्फ पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि कम लागत में लंबे समय तक लगातार आमदनी भी देता है। खास बात यह है कि बांस की खेती बंजर और कम उपजाऊ जमीन पर भी आसानी से की जा सकती है, जिससे बेकार पड़ी जमीन का भी बेहतर उपयोग हो सकता है।
बांस की खेती के लिए सबसे पहले नर्सरी से अच्छे किस्म के पौधे लाएं। रोपाई के लिए 2 फीट गहरे और चौड़े गड्ढे तैयार करें। मिट्टी बहुत अधिक रेतीली न हो, यह ध्यान रखें। गड्ढों में गोबर या वर्मी कम्पोस्ट जैसी जैविक खाद डालना लाभकारी रहता है। पौधों को लगाने के बाद शुरुआती एक महीने तक हर रोज सिंचाई करें। इसके बाद पहले दो साल तक नियमित पानी देना जरूरी है, खासकर गर्मियों में 10 से 15 दिन में एक बार सिंचाई करें। नमी बनाए रखने के लिए मल्चिंग तकनीक अपनाई जा सकती है।
बांस की खेती में खरपतवार नियंत्रण और समय-समय पर जैविक खाद डालना भी जरूरी है। पौधे लगाने के तीन महीने बाद इनमें अच्छी ग्रोथ दिखने लगती है और चार साल में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
कितनी लागत और कितनी कमाई?
एक एकड़ जमीन में करीब 400 पौधे लगाए जा सकते हैं। एक पौधे की कीमत औसतन 30 रुपये है, यानी 400 पौधों की लागत 12,000 रुपये होगी। गड्ढा खुदाई, खाद, सिंचाई और मजदूरी मिलाकर पहले साल कुल लागत 30,000 से 35,000 रुपये तक आती है। सरकार की राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत किसानों को 50% तक सब्सिडी भी मिलती है, जिससे लागत और कम हो जाती है।
चार साल बाद बांस की फसल से प्रति एकड़ 1 से 1.5 लाख रुपये सालाना कमाई शुरू हो जाती है। जैसे-जैसे पौधे बड़े होते हैं, उत्पादन और आमदनी दोनों बढ़ती जाती हैं। 10 से 15 साल बाद किसान प्रति एकड़ 15 से 25 लाख रुपये तक भी कमा सकते हैं। एक हेक्टेयर (करीब 2.5 एकड़) में 1500 से 2500 पौधे लगाए जा सकते हैं और सालाना 3 से 3.5 लाख रुपये तक की कमाई संभव है।
बांस की खेती में एक बार मेहनत करने के बाद कई सालों तक दोबारा पौधे लगाने की जरूरत नहीं होती।
कटाई के बाद भी बांस के पौधे दोबारा बढ़ जाते हैं, जिससे हर साल आमदनी मिलती रहती है।
बांस की मांग फर्नीचर, कागज, हस्तशिल्प, निर्माण, सजावटी वस्तुएं और जैविक कपड़े बनाने में लगातार बढ़ रही है।
यह मिट्टी के कटाव को रोकता है, जल संरक्षण में मदद करता है और पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है।
केंद्र और राज्य सरकारें बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और लोन की सुविधा देती हैं। छोटे किसानों को प्रति पौधा 120 रुपये तक की सहायता मिल सकती है। राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत 50,000 रुपये तक की सब्सिडी दी जाती है, जिससे खेती की लागत काफी कम हो जाती है।
बांस की खेती 40 साल तक चलती रहती है। इसकी ज्यादा निगरानी की जरूरत नहीं पड़ती है। इसे एकबार लगाकर सालों तक कमाई कर सकते हैं। बांस की खेती उन किसानों के लिए आदर्श है जो कम लागत, कम मेहनत और लंबी अवधि की आमदनी चाहते हैं।