लाल किले से भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धन धन्य कृषि योजना का अनावरण किया। यह एक परिवर्तनकारी पहल है, जिसका उद्देश्य कृषि विकास में पिछड़े 100 जिलों के किसानों को सशक्त बनाना है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पिछड़े जिलों को प्राथमिकता देना शासन का नया मंत्र है। इस योजना का उद्देश्य केंद्रित समर्थन और समावेशी विकास के जरिए इन जिलों को दूसरे जिलों के बराबर लाना है। प्रधानमंत्री मोदी का संदेश नए भारत की भावना और 2047 तक सभी की प्रगति के प्रति राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
लाल किले से अपने संबोधन में कहा, "कृषि क्षेत्र में, हमने लगभग 100 ऐसे जिलों की पहचान की है, जहां किसानों को अतिरिक्त सहायता की जरूरत है। उन्हें मजबूत करने के लिए, हमने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना शुरू की है।"
उन्होंने कहा, "भारत के किसान, पशुपालक, मछुआरे, हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता हैं। भारत के किसान, पशुपालक, मछुआरों से जुड़ी किसी भी अहितकारी नीति के आगे मोदी दीवार बनकर खड़ा है। भारत, अपने किसानों, पशुपालकों, मछुआरों के संबंध में कभी भी कोई समझौता नहीं स्वीकार करेगा।"
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) को 16 जुलाई को मंजूरी दी थी। यह एक बहुत बड़ी पहल है, जो भारत के खेती के क्षेत्र को बदलने के लिए शुरू की गई है। पहली बार केंद्रीय बजट 2025-26 में इसके बारे में बताया गया था।
इस योजना के तहत 11 मंत्रालयों की 36 केंद्रीय योजनाओं को मिलाकर 100 कृषि जिलों में विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। यह काम अगले छह सालों तक होगा और हर साल ₹24,000 करोड़ खर्च किए जाएंगे। इस योजना में राज्य की योजनाएं और निजी कंपनियां भी साथ मिलकर काम करेंगी।
इस योजना में नई योजनाएं बनाने की जगह पहले से चल रही योजनाओं को सीधे अंतिम किसान तक पहुंचाना होगा ताकि कोई डबल मेहनत न हो और फायदा ज्यादा हो। इस योजना को पहले के सफल जिलों के अनुभव से बनाया गया है और इससे करीब 1.7 करोड़ किसान सीधे लाभान्वित होंगे।