उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में किसान अब मशरूम की खेती से अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। बाजार में मशरूम की मांग हमेशा बनी रहती है, जिससे किसान हर मौसम में आर्थिक लाभ हासिल कर सकते हैं। मशरूम न सिर्फ पैसे कमाने का जरिया है, बल्कि ये स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है। इसमें पाए जाने वाले एंटीबैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण शरीर को संक्रमण और बीमारियों से बचाते हैं। इसके अलावा मशरूम में विटामिन, प्रोटीन और फाइबर जैसे पोषक तत्व भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो हमारी सेहत के लिए जरूरी हैं।
सर्दियों के मौसम में किसान मशरूम की खेती पर विशेष जोर देते हैं, क्योंकि ये मौसम इसकी वृद्धि के लिए अनुकूल होता है। कम जगह में आसान खेती और लगातार बढ़ती मांग इसे छोटे और नए किसानों के लिए लाभकारी और मुनाफेदार विकल्प बनाती है।
खीरी के किसान अब खासकर ऑयस्टर मशरूम (ढींगरी मशरूम) की ओर रुख कर रहे हैं। ये मशरूम सीप के पंखों जैसे आकार का होता है और कम लागत में बेहतर मुनाफा देता है। इसे घर पर भी आसानी से उगाया जा सकता है। महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए इसकी खेती सरल है और इसके लिए ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं पड़ती।
खेती की तैयारी और सही वातावरण
वैज्ञानिक विवेक पांडे के अनुसार, ऑयस्टर मशरूम की खेती कम जगह और कम खर्च में ज्यादा मुनाफा देती है। सबसे पहले एक साफ-सुथरा और हवादार कमरा होना जरूरी है। कमरे में तापमान 20-28 डिग्री और नमी पर्याप्त होनी चाहिए। मशरूम के लिए भूसा सबसे उपयुक्त सब्सट्रेट माना जाता है, जिसे धोकर और उबालकर कीटाणुरहित करना जरूरी है।
बीज मिलाना और बैग तैयार करना
भूसे को 6–8 घंटे सुखाने के बाद इसमें मशरूम का बीज (स्पॉन) मिलाया जाता है। इसे पॉलीथीन बैग में भरकर छोटे-छोटे छेद कर दिए जाते हैं, ताकि हवा का संतुलन बना रहे। बैग को अंधेरे कमरे में 15-20 दिन रखा जाता है। इस दौरान नमी 80–90 प्रतिशत बनाए रखना जरूरी है, जिसे पानी छिड़काव से रखा जा सकता है।
15-20 दिन बाद बैग सफेद हो जाता है, जिसे मायसेलियम का फैलना कहा जाता है। इसके बाद बैग के ऊपरी हिस्से को काटकर रोशनी वाली जगह पर टांग दिया जाता है। 4-5 दिनों में पहली फसल निकलने लगती है। एक बैग से लगभग 1-1.5 किलो मशरूम आसानी से प्राप्त होता है।
किसान चाहें तो ताजा मशरूम बेच सकते हैं या इसे सुखाकर बेचकर ज्यादा कीमत प्राप्त कर सकते हैं। ऑयस्टर मशरूम की मांग शहरों और होटलों में तेजी से बढ़ रही है। थोड़ी सी जगह और कम खर्च में किसान अच्छी आमदनी हासिल कर सकते हैं।