Budget 2025- अगले महीने आने वाले बजट के लिए अब दिन ब दिन समय कम होता जा रहा है। बजट में होने वाले ऐलानों पर बाजार और देश की निगाहें लगी हुई हैं। ऐसे में हमारे सहयोगी चैनल सीएनबीसी-आवाज़ ने सूत्रों के हवाले से कहा कि अबकी बार बजट में फिस्कल कंसोलिडेशन पर सरकार का फोकस जारी रह सकता है। सूत्रों के मुताबिक टैक्स की दरें बढ़ाने की बजाय रिफॉर्म के जरिए आय बढ़ाने पर सरकार का फोकस देखने को मिल सकताहै।
इस पूरी खबर पर प्रकाश डालते हुए सीएनबीसी-आवाज़ के लक्ष्मण रॉय ने कहा कि सरकार से बहुत लोग मांग कर रहे हैं और दबाव बना रहे हैं कि सरकार फिस्कल कंसोलिडेशन में थोड़ा रिलैक्सेशन दे। इसके साथ ही फिस्कल डेफिसिट के टारगेट में थोड़ा ढील दे। इसके साथ सरकार अपना खर्च काफी ज्यादा बढ़ाये ताकि मार्केट में डिमांड बढ़े।
फिस्कल कंसोलिडेशन में सरकार का ढील देने का नहीं है इरादा
उन्होंने वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा कि सरकार इस मोर्चे पर कोई रियायत देने के मूड में नही है। फिस्कल कंसोलिडेशन में सरकार कोई ढील देने का मन नहीं बना रही है। सरकार का अगले कारोबारी साल का जो फिस्कल डेफिसिट का टारगेट है यानी कि 4.5% या इससे कम फिस्कल डेफिसिट लक्ष्य से समझौता संभव नहीं हैं। सरकार का मानना है कि इसकी वजह से एफआईआई आते हैं और रेटिंग अच्छी रहती है। इसके साथ इकोनॉमी की हालत बेहतर होती है।
आखिर सरकार कैसे बढ़ायेगी खर्च डिमांड
इस पर सूत्रों के हवाले से लक्ष्मण रॉय ने कहा कि सरकार का मानना है कि रेवन्यू बड़ा कंसर्न नहीं है। सरकार का मानना है कि इनकम टैक्स कलेक्शन, जीएसटी कलेक्शन भी अनुमान से ज्यादा रहने वाला है। इस साल कैपेक्स कम हुआ इसलिए सरकार के पास 70 हजार करोड़ की बचत होने जा रही है। कैपेक्स में कमी से आय पर दबाव नहीं दिख रहा है। वहीं रेवन्यू फ्रंट पर सरकार मजबूत नजर आ रही है। टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी से आय पर दबाव नहीं दिख रहा है। इनकम टैक्स कलेक्शन बजट लक्ष्य से ज्यादा की उम्मीद है।
नॉन प्रोडक्टिव खर्च घटाने के हो सकते हैं ऐलान
इसके अलावा सरकार रेवेन्यू बढ़ाने के लिए टैक्स की दरें बढ़ाने की बजाय रिफॉर्म पर जोर देगी यानी कि नये प्रोसेस के तहत ज्यादा टैक्स कलेक्शन लाने पर जोर देगी। सूत्रों के मुताबिक नॉन प्रोडक्टिव खर्च घटाने के लिए ऐलान हो सकते हैं। इसके साथ ही पब्लिक इनवेस्टमेंट पर खास जोर रह सकता है।