Budget 2026 : FY27 के बजट में लंबे समय से अटके पड़े 4 लेबर कोड लागू करने का ब्लूप्रिंट हो सकता है पेश - सूत्र

Union Budget 2026 : इस ब्लूप्रिंट को फाइनल करने की कोशिशों के तहत, लेबर मिनिस्टर मनसुख मंडाविया और सीनियर अधिकारी 21 नवंबर को सुबह करीब 10 ट्रेड यूनियनों से मिल सकते हैं

अपडेटेड Nov 21, 2025 पर 9:37 AM
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Union Budget 2026 : लेबर मिनिस्ट्री लेबर कोड को लागू करने में आने वाली किसी परेशानी को दूर करने के लिए इस पर चर्चा करने को तैयार है

Budget 2026 : सरकार लंबे समय से लंबित पड़े चार सेंट्रल लेबर कोड को लागू करने के लिए एक ब्लूप्रिंट तैयार कर सकती है, जिसे आने वाले FY27 के बजट में पेश किया जा सकता है। मनीकंट्रोल को सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक इस ब्लूप्रिंट को फाइनल करने की कोशिशों के तहत, लेबर मिनिस्टर मनसुख मंडाविया और सीनियर अधिकारी 21 नवंबर की सुबह करीब 10 ट्रेड यूनियनों से मिलकर चार सेंट्रल लेबर कोड को लागू करने पर चर्चा कर सकते हैं। यह अहम मीटिंग, ट्रेड यूनियनों और फाइनेंस मिनिस्ट्री के बीच बजट से पहले हुई बातचीत के एक दिन बाद हो रही है।

सूत्रों के मुताबिक लेबर मिनिस्ट्री लेबर कोड को लागू करने में आने वाली किसी परेशानी को दूर करने के लिए इस पर चर्चा करने को तैयार है। बता दें कि 2019-2020 में, कुल 29 लेबर से जुड़े कानूनों को मिलाकर चार बड़े लेबर कोड बनाए गए। इसका मकसद ट्रेड और इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देना,बिज़नेस को आसान बनाना, कम्प्लायंस का बोझ कम करना,डीक्रिमिनलाइज़ेशन को सपोर्ट करना, स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान देना और झगड़े सुलझाने के तरीकों को बेहतर बनाना था।

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ये चार कोड हैं,  वेतन संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध (IR) संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता (SS संहिता), 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां (OSH&WC) संहिता, 2020। हालांकि, इनको संसद से मंज़ूरी मिल गई थी। लेकिन ये प्रस्तावित लेबर कोड 2020 से पेंडिंग हैं।

इन चार लेबर कोड को लागू करने में सेंट्रल लेवल पर देरी के बावजूद, ज़्यादातर भारतीय राज्यों ने इस एरिया में अपने दम पर ज़रूरी सुधारों को आगे बढ़ाया है। ऑफिशियल सोर्स के मुताबिक, महिलाओं को अलग-अलग सेक्टर में नाइट शिफ्ट में काम करने की इजाज़त देने से लेकर गिग वर्कर्स के लिए सोशल सिक्योरिटी बढ़ाने तक, कम से कम 26 राज्यों ने इंडस्ट्री की मांगों को पूरा करने और वर्कफोर्स में सबको शामिल करने को बढ़ावा देने के लिए कई सुधार किए हैं।

इसके अलावा, गुजरात और आंध्र प्रदेश ने फैक्ट्रीज़ एक्ट में बदलाव करके 48 घंटे की हफ़्ते की लिमिट के अंदर 12 घंटे की शिफ्ट की इजाज़त दी है, जिससे बिज़नेस को ज़्यादा फ्लेक्सिबिलिटी मिलेगी।

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