कुछ खास ट्रांजेक्शंस के लिए स्टेबलकॉइंस के इस्तेमाल को मिल सकती है इजाजत, इकोनॉमिक सर्वे में आ सकता है प्रस्ताव

Stablecoins एक तरह की क्रिप्टोकरेंसी है, जिसकी वैल्यू डॉलर जैसी मुख्य करेंसी या कमोडिटी से जुड़ी होती है। इसका मकसद कीमत में स्थिरता बनाए रखना है। स्टेबलकॉइन में Bitcoin और Ethereum जैसी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों की तरह उतार-चढ़ाव नहीं होता है

अपडेटेड Nov 19, 2025 पर 3:06 PM
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इंडिया में अभी क्रिप्टोकरेंसी को सरकार और रेगुलेटर ने मान्यता नहीं दी है।

सरकार प्रयोग के तौर पर कुछ खास ट्रांजेक्शंस के लिए स्टेबलकॉइन के इस्तेमाल की इजाजत दे सकती है। इसके नतीजों के आधार पर सरकार क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल को लेकर फैसला कर सकती है। मनीकंट्रोल को यह जानकारी मिली है। मामले की जानकारी रखने वाले एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि 2025-26 के इकोनॉमिक सर्वे में कुछ खास ट्रांजेक्शंस के लिए स्टेबलकाइंस को मान्यता देने का प्रस्ताव शामिल हो सकता है।

स्टेबलकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी में फर्क

Stablecoins एक तरह की क्रिप्टोकरेंसी है, जिसकी वैल्यू डॉलर जैसी मुख्य करेंसी या कमोडिटी से जुड़ी होती है। इसका मकसद कीमत में स्थिरता बनाए रखना है। स्टेबलकॉइन में Bitcoin और Ethereum जैसी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों की तरह उतार-चढ़ाव नहीं होता है।


अभी क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल की इजाजत नहीं

इंडिया में अभी क्रिप्टोकरेंसी को सरकार और रेगुलेटर ने मान्यता नहीं दी है। इस वजह से पेमेंट के लिए इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। हालांकि, सरकार ने क्रिप्टो पर एक डिस्कशन पेपर तैयार किया है। लेकिन, इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है।

पहले यूटिलिटी का पता लगाएगी सरकार

सरकार के अधिकारी ने कहा, "हमें दुनिया में हो रहे बदलाव के साथ तालमेल बैठाना होगा। इसलिए हमें स्टेबलकॉइंस को लेकर एक फ्रेमवर्क बनाने की जरूरत है। पहले हमें इसकी यूटिलिटी का पता लगाना होगा। फिर यह देखना होगा कि क्या बैंकिंग सिस्टम स्टेबलकॉइंस में ट्रांजेक्शंस को हैंडल करने के लिए तैयार है।"

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण दे चुकी हैं संकेत

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अक्टूबर में कौटिल्य इकोनॉमिक कॉनक्लेव में कहा था कि स्टेबलकॉइंस जैसे इनोवेशंस की वजह से मनी और कैपिटल फ्लो के मामले में बदलाव आ रहा है। उन्होंने कहा था, "इन बदलावों को देखते हुए सरकारों के पास दो विकल्प हैं। पहला, नए मॉनेटरी आर्किटेक्चर के हिसाब से खुद को बदला है। दूसरा, इस बदलाव से खुद को बाहर रखना है।"

ग्लोबल पेमेंट्स के लिए आ सकता है रेगुलेशन

मनीकंट्रोल ने जून में बताया था कि क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार के डिस्कशन पेपर में रेगुलेटर पर अंतिम फैसला लिए बगैर क्रिप्टोकरेंसी खासकर स्टेबलकॉइन के टेक्नोलॉजीकल बेनेफिट्स के बारे बताया जा सकता है। इस पेपर में बिटकॉइन, स्टेबलकॉइंस और बाकी क्रिप्टो के अलग-अलग रुख के सुझाव दिए जा सकते हैं। इसमें फोकस ग्लोबल पेमेंट्स के लिए स्टेबलकॉइन के रेगुलेशन पर हो सकता है।

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अमेरिका कर चुका है पहल

अमेरिका में इस साल जुलाई में सरकार ने यूएस स्टेबलकॉइंस एक्ट या GENIUS Act के लिए गाइडिंग एंड एस्टैब्लिशिंग नेशनल इनोवेशन पेश किया था। इसका मकसद डॉलर-बैक्ड स्टेबलकॉइन इश्यूअर्स के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाना था। इससे स्टेबलकॉइन पेमेंट कंपनियों, ट्रेडिशनल फाइनेंशियल इस्टीट्यूसंस को मदद मिल सकती है।

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