क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकों की नजरें 1 फरवरी पर लगी हैं। उन्हें उम्मीद है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण यूनियन बजट 2025 में क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स के नियमों का ऐलान करेंगी। वित्तमंत्री ने यूनियन बजट 2022 में क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले मुनाफे और ट्रांजेक्शन पर टैक्स लगाया था। तब यह कहा गया था कि सरकार बाद में व्यापक चर्चा के बाद इस बारे में नियमों का ऐलान करेगी। लेकिन, अभी तक क्रिप्टोकरेंसी के व्यापक नियम और कानून सरकार ने पेश नहीं किए हैं।
अभी मुनाफे पर लगता है 30 फीसदी टैक्स
सरकार ने यूनियन बजट 2022 में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) से होने वाले मुनाफे पर 30 फीसदी टैक्स लगाने का ऐलान किया था। सरकार ने वीडीए को लॉटरी और गैंबलिंग की कैटेगरी में रखा है। सरकार ने तब क्रिप्टोकरेंसी में 10,000 रुपये से ज्यादा के ट्रांजेक्शन पर 1 फीसदी TDS भी लगाया था। सरकार ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में पारदर्शिता लाने के लिए ऐसा किया गया है। लेकिन, इसका का सीधा असर क्रिप्टकरेंसी के ट्रेडिंग वॉल्यूम पर पड़ा था। इंडिया में बैंकिंग रेगुलेटर RBI और सरकार क्रिप्टोकरेंसी को रिस्की एसेट मानती है।
क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों की मांग है कि सरकार को वीडीए पर टीडीएस के रेट को 1 फीसदी से घटाकर 0.01 फीसदी करना चाहिए। इससे टैक्स कंप्लायंस बढ़ेगा और सरकार की आमदनी भी बढ़ेगी। इंडियन इनवेस्टर्स विदेशी प्लेटफॉर्म की जगह इंडियन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल क्रिप्टो में निवेश के लिए करेंगे। सरकार को वीडीए ट्रांजेक्शन पर हुए लॉस को कैरी फॉरवर्ड करने की इजाजत देनी चाहिए। क्रिप्टो के इनवेस्टर्स का कहना है कि क्रिप्टो से होने वाली इनकम पर 30 फीसदी टैक्स बहुत ज्यादा है। सरकार को इसमें कमी करनी चाहिए।
सरकार और रेगुलेटर्स का रुख बिटकॉइन सहित क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के खिलाफ रहा है। उनका मानना है कि चूंकि क्रिप्टोकरेंसी किसी रेगुलेशन के तहत नहीं आती है, जिससे इसमें निवेश के साथ काफी ज्यादा रिस्क जुड़ा है। किसी वजह से अचानक क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में बड़ी गिरावट आती है तो निवेशकों को बड़ा नुकसान हो सकता है। वे क्रिप्टोकरेंसी में अपने निवेश से जुड़े मसले को लेकर कहीं शिकायत नहीं कर सकेंगे।
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टैक्स घटने से सरकार का रेवेन्यू बढ़ेगा
उधर, क्रिप्टोकरेंसी इंडस्ट्री का मानना है कि सरकार के क्रिप्टोकरेंसी से इनकम और ट्रांजेक्शन पर टैक्स लगा देने का असर क्रिप्टोकरेंसी के वॉल्यूम पर पड़ा है। अब इंडियन इनवेस्टर्स क्रिप्टो में निवेश के लिए विदेशी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे सरकार को रेवेन्यू में लॉस हो रहा है। सरकार ने VDA में हुए गेंस को दूसरे एसेट्स पर हुए लॉस के साथ एडजस्ट करने इजाजत नहीं दी है। दूसरे एसेट्स क्लास में इसकी इजाजत है। इससे टैक्सपेयर्स की कुल टैक्स लायबिलिटी कम हो जाती है।