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Budget 2025: बड़े शहरों में आम आदमी की पहुंच से दूर हुआ घर, क्या बजट में पूरा होगा सस्ते घर का सपना

Budget 2025: बजट 2025 पेश होने में तीन दिन से भी कम समय बचा है। बजट में रियल एस्टेट सेक्टर को सस्ते आवास (Affordable Housing) में सुधार की उम्मीद है। एक्सपर्ट का मानना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (CLSS) और डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव जैसी योजनाएं इस सेक्टर को मजबूती दे सकती हैं

अपडेटेड Jan 29, 2025 पर 2:09 PM
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Budget 2025: बजट में रियल एस्टेट सेक्टर को सस्ते आवास (Affordable Housing) में सुधार की उम्मीद है।

Budget 2025: बजट 2025 पेश होने में तीन दिन से भी कम समय बचा है। बजट में रियल एस्टेट सेक्टर को सस्ते आवास (Affordable Housing) में सुधार की उम्मीद है। एक्सपर्ट का मानना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (CLSS) और डेवलपर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव जैसी योजनाएं इस सेक्टर को मजबूती दे सकती हैं।

अफोर्डेबल हाउसिंग की परिभाषा बदले सरकार

कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशंस ऑफ इंडिया (CREDAI) ने केंद्र सरकार से अफोर्डेबल हाउसिंग की परिभाषा बदलने की मांग की है। अभी इसकी परिभाषा यूनिट की कीमत और कार्पेट एरिया के आधार पर तय होती है। CREDAI के अध्यक्ष बोमन ईरानी के अनुसार हमारी सिफारिश है कि यूनिट की कीमत को कार्पेट एरिया से अलग कर दिया जाए और मेट्रो शहरों में 70 वर्गमीटर तथा टियर-1 शहरों में 90 वर्गमीटर की सीमा तय की जाए। इससे डेवलपर्स को सस्ते घरों को बनाने का ज्यादा मौका मिलेगा। साथ ही आम लोगों के लिए घर खरीदना आसान होगा।


अफोर्डेबल हाउसिंग सेक्टर पर मंदी का असर

महामारी के बाद अफोर्डेबल हाउसिंग सेक्टर में गिरावट देखी गई है। 2019 में जहां इसकी बाजार हिस्सेदारी 38% थी, वहीं 2024 में यह घटकर सिर्फ 18% रह गई। ANAROCK की रिपोर्ट के अनुसार 2024 में टॉप 7 शहरों में सस्ते घरों की सप्लाई केवल 16% रही, जो 2019 में 40% थी।

शहरों में जमीन की कमी है बड़ी चुनौती

ANAROCK ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी का कहना है कि सस्ते घरों की सबसे बड़ी समस्या जमीन का कम उपलब्ध होना है। सरकार रेलवे, पोर्ट ट्रस्ट और हैवी इंडस्ट्री विभाग जैसी संस्थाओं की खाली जमीन को अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए जारी कर सकती है।

अफोर्डेबल हाउसिंग की कीमत को बढ़ाने की जरूरत

पुरी ने कहा कि अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए 45 लाख रुपये की लिमिट तय कर रखी है। ये महंगे शहरों में अव्यवहारिक है क्योंकि यहां इतनी कम कीमत में अफोर्डेबल घर मिलना नामूमकिन है। मेट्रो शहरों में इसे 60-65 लाख रुपये और मुंबई जैसे महंगे शहरों में 85 लाख रुपये तक बढ़ाया जाना चाहिए। इससे ज्यादा संपत्तियों को अफोर्डेबल हाउसिंग की केटेगरी में लाया जा सकेगा। खरीदारों को कम GST (1% बिना ITC) और अन्य सब्सिडी का फायदा मिल सकेगा।

क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (CLSS) को फिर लागू करने की मांग

एक्सपर्ट ने 2022 में समाप्त हुई CLSS योजना को फिर से शुरू करने की मांग की है, जिससे पहली बार घर खरीदने वालों को फायदा मिल सके। इसे ग्रामीण क्षेत्रों में 'कच्चे' घरों को 'पक्के' घरों में बदलने के लिए भी बढ़ाया जा सकता है। CREDAI ने सरकार को सुझाव दिया है कि वह 70 लाख रुपये तक के होम लोन और 30 लाख रुपये तक के होम इम्प्रूवमेंट लोन के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम शुरू करे। इससे बैंकों का जोखिम कम होगा और लोगों को कम ब्याज दरों पर कर्ज मिलेगा।

होम लोन पर टैक्स में कटौती और स्टांप ड्यूटी घटाने की जरूरत

MORES के सीईओ मोहित मित्तल ने कहा कि सरकार को होम लोन पर टैक्स छूट बढ़ानी चाहिए। साथ ही स्टांप ड्यूटी कम करने की जरूरत है। ओमैक्स लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर मोहित गोयल ने कहा कि PMAY योजना के तहत अधिक फंडिंग और टैक्स बेनेफिट्स से सस्ते और मध्यम आय वर्ग के घरों की मांग को बढ़ावा मिलेगा।

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