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India Budget 2025: इलेक्ट्रिक व्हीकल्स अब नहीं रह जाएंगे महंगे, निर्मला सीतारमण करने जा रही हैं बड़े ऐलान

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों का कहना है कि अगर सरकार ईवी में लोगों की दिलचस्पी बढ़ाना चाहती है तो चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करना होगा। ईवी की कीमतों में कमी लाने के उपाय करने होंगे। ईवी बैटरी की मैन्युफैक्चरिंग देश में ही करने पर फोकस बढ़ाना होगा

अपडेटेड Jan 24, 2025 पर 4:19 PM
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इंडिया ने 2070 तक शून्य उत्सर्जन का टारगेट तय किया है। इसके लिए ईवी इकोसिस्टम को मजबूत बनाना जरूरी है।

सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए यूनियन बजट में बड़ा ऐलान करने जा रही है। ऑटो इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने सरकार को ईवी के लिए कई सुझाव दिए हैं। उनका मानना है कि अगर सरकार ईवी में लोगों की दिलचस्पी बढ़ाना चाहती है तो चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करना होगा। ईवी की कीमतों में कमी लाने के उपाय करने होंगे। ईवी बैटरी की मैन्युफैक्चरिंग देश में ही करने पर फोकस बढ़ाना होगा। ईवी इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि टियर 2 और टियर 3 शहरों में ईवीट बैटरी का इंफ्रास्ट्रक्चर अभी पर्याप्त नहीं है।

देशभर में चार्जिंग स्टेशन का नेटवर्क बनाना होगा

Oben Electric के फाउंडर और सीटीओ दिनकर अग्रवाल ने कहा, "कंज्यूमर कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए व्यापक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जरूरी है।" वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल अंतरिम बजट में कहा था कि सरकार देशभर में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर फोकस बढ़ाएगी। उन्होंने कहा था कि इंडिया ने 2070 तक शून्य उत्सर्जन का टारगेट तय किया है। इसके लिए ईवी इकोसिस्टम को मजबूत बनाना जरूरी है।


88,500 स्थानों पर चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए मिलेगी मदद

यूनियन कैबिनेट ने 11 सितंबर को पीएम ई-ड्राइव स्कीम को मंजरी दी थी। इस स्कीम के वास्ते दो साल के लिए 10,900 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इस स्कीम का मकसद इंडिया में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का इस्तेमाल बढ़ाना है। पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवॉल्यूशन में इनोवेटिव व्हीकल इनहैंसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) स्कीम के तहत 88,500 स्थानों पर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लगाने के लिए 100 फीसदी सहायता दी जाएगी। यह निवेश ऑटो और ऑटो कंपोनेंट सेक्टर के लिए पीएलआई स्कीम से अलग है।

ईवी के लिए सस्ता ऑटो लोन 

क्रेडिफिन लिमिटेड के सीईओ शल्य गुप्ता ने कहा कि पिछले 1-2 सालों में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की कीमतों में कमी आई है। लेकिन, कीमतें अब भी पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों के मुकाबले ज्यादा है। सरकार को पर्सनल और कमर्शियल ईवी की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए FAME स्कीम का विस्तार करना चाहिए। ईवी खरीदने वाले ग्राहकों को सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने के उपाय होने चाहिए। सरकार बैंकों और एनबीएफसी को इसका निर्देश दे सकती है। इससे ईवी खरीदने में लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी।

ईवी के पार्ट्स पर जीएसटी में कमी की मांग

इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार ने ईवी की बैटरी पर जीएसटी घटाकर 5 फीसदी कर दी है, लेकिन ईवी में इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स पर अब भी 18 फीसदी तक जीएसटी लगता है। अगर सरकार पार्ट्स पर जीएसटी घटाती है तो इससे ईवी की कुल कीमत में कमी आ सकती है। गुप्ता ने कहा कि सरकार ईवी खरीदने पर टैक्स बेनेफिट का ऐलान कर सकती है। इससे टैक्सपेयर्स की दिलचस्पी ईवी में बढ़ेगी।

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