यूनियन बजट 2026 बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। फाइनेंस मिनिस्ट्री उद्योग और अर्थव्यवस्था से जुड़े लोगों से इस बारे में चर्चा कर रही है। कंसल्टेंसी फर्म डेलॉयट ने सरकार को यूनियन बजट 2026 से अपनी उम्मीदों के बारे में बताया है। उसने खासकर पर्सनल इनकम टैक्स के नियमों को आसान बनाने और टैक्स के नियमों को लेकर उलझन खत्म करने की सलाह सरकार को दी है।
टैक्स के नियमों को आसान बनाने की जरूरत
Deloitte के पार्टनर दिव्या बावेजा के मुताबिक, ग्लोबल इकोनॉमिक इनवायरमेंट अनिश्चित बना हुआ है। हालांकि, इंडियन इकोनॉमी की सेहत अच्छी दिख रही है। इसमें सरकार की पॉलिसी का हाथ है। सरकार प्रोडक्शन, इनवेस्टमेंट और एंप्लॉयमेंट बढ़ाने वाली पॉलिसी पर फोकस कर रही है। डेलॉयट का कहना है कि सरकार को पर्सनल इनकम टैक्स के उन मामलों पर फोकस करने की जरूरत है, जिन्हें लेकर उलझन की स्थिति है।
ईसॉप्स से जुड़े टैक्स के नियम को स्पष्ट करना होगा
कंसल्टेंसी फर्म का कहना है कि क्रॉस-बॉर्डर एंप्लॉयीज के लिए एंप्लॉयी स्टॉक ऑप्शन प्लान (ESOPs) के टैक्स के नियमों को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की जरूरत है। अभी ESOPs पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 17(2) के तहत बतौर पर्क्विजिट्स (perquisites) टैक्स लगता है। यह ईसॉप्स को एक्सरसाइज करने के वक्त लगता है। लेकिन, मल्टीपल ज्यूरिडिक्शंस में एंप्लॉयीज की सर्विस के विभाजन (Apportionment) को लेकर नियम स्पष्ट नहीं हैं।
ईवी को लेकर टैक्सेबेल पर्क्विजिट्स के नियम साफ नहीं
उसने कहा है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) को इस बारे में स्टैंडर्ड गाइडलाइंस इश्यू करना चाहिए। इसमें सर्विसेज के लोकेशन, डॉक्युमेंटेशन रिक्वायरमेंट और इंटरनेशनल बेस्ट प्रैक्टिसेज के आधार पर फॉर्मूला होना चाहिए। इससे कानूनी विवाद के मामलों में कमी आएगी। एंप्लॉयर की स्कीम के तहत इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) लेने वाले एंप्लॉयीज के लिए टैक्सेबेल पर्क्विजिट्स के लिहाज से वैल्यूएशन के स्पष्ट नियम नहीं हैं।
मल्टीपल ज्यूरिडिक्शंस से जुड़े एंप्लॉयीज को दिक्कत
डेलॉयट ने कहा है कि मल्टीपल ज्यूरिडिक्शंस में काम करने वाले एंप्लॉयीज को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। कई ज्यूरिडिक्शंस में फॉरेन टैक्सेज सिर्फ रिटर्न फाइल करने के वक्त क्रेडिट हो सकते हैं। इससे इंडिया में ज्यादा टीडीएस डिडक्शन की वजह से अक्सर कैश फ्लो से जुड़े मसले सामने आते हैं। कंसल्टेंसी फर्म ने रिवाइज्ड और बिलेटेड रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन बढ़ाने की भी सलाह सरकार को दी है।
बिलेटेड रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन बढ़ाई जाए
उसने कहा है कि सरकार को खासकर ऐसे रेजिडेंट और ऑर्डनरिली रेजिडेंट इंडिविजुअल्स के लिए रिवाइज्ड और बिलेटेड रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन बढ़ानी चाहिए, जिन्हें फॉरेन इनकम होती है। अभी जो डेडलाइन है, उससे इंटरनेशनल टैक्स कैलेंडर्स के हिसाब से मिसमैच की दिक्कत आती है। इससे प्रोविजनल एस्टिमेट्स और रिफंड में देर जैसी दिक्कत आती है।