आखिर निर्मला सीतारमण ने बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाने का ऐलान क्यों नहीं किया?
अभी इनकम टैक्स की नई रीजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन 75,000 रुपये है। इसके 1 लाख रुपये होने की उम्मीद की जा रही थी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल जुलाई में इनकम टैक्स की नई रीजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया था
पिछले साल भी वित्तमंत्री ने ओल्ड रीजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन में कोई बदलाव नहीं किया था।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को इनकम टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत दी। उन्होंने सालाना 12.75 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स-फ्री करने का रास्ता साफ कर दिया। इनकम टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया। उन्होंने ये बदलाव सिर्फ इनकम टैक्स की नई रीजीम में किया। उन्होंने इनकम टैक्स की पुरानी रीजीम के बारे में कोई बात नहीं की। साथ ही स्टैंडर्ड डिडक्शन भी नहीं बढ़ाया। आखिर उन्होंने स्टैंडर्ड डिडक्शन क्यों नहीं बढ़ाया?
स्टैंडर्ड डिडक्शन नहीं बढ़ने का अफसोस नहीं
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के 1 फरवरी को स्टैंडर्ड डिडक्शन नहीं बढ़ाने से मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स ज्यादा निराश नहीं है, क्योंकि उसने 12.75 लाख की इनकम टैक्स-फ्री होने की उम्मीद नहीं की थी। यह माना जा रहा था कि वित्तमंत्री सालाना 10 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स-फ्री कर सकती हैं। लेकिन, उन्होंने उम्मीद से ज्यादा 12.75 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स-फ्री कर दी। इससे मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स गदगद हैं।
अभी कितना है स्टैंडर्ड डिडक्शन?
उम्मीद थी कि सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाएगी। वह कम से कम इनकम टैक्स की नई रीजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाएगी। अभी इनकम टैक्स की नई रीजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन 75,000 रुपये है। इसके 1 लाख रुपये होने की उम्मीद की जा रही थी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल जुलाई में इनकम टैक्स की नई रीजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया था। इससे पहले यह 50,000 रुपये था। पिछले साल भी वित्तमंत्री ने ओल्ड रीजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन में कोई बदलाव नहीं किया था।
सरकार का फोकस कंजम्प्शन बढ़ाने पर
सवाल है कि सरकार ने स्टैंडर्ड डिडक्शन को क्यों नहीं बढ़ाया? टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसकी दो वजहें हैं। पहली वजह यह है कि इस बार सरकार का फोकस कंजम्प्शन बढ़ाने वाले उपायों पर था। 12.75 लाख रुपये तक की सालाना इनकम टैक्स-फ्री करने का फैसला इसी दिशा में उठाया गया कदम है। इससे टैक्सपेयर्स के हाथ में अतिरिक्त 1 लाख करोड़ रुपये बचेंगे। सरकार का मानना है कि मिडिल क्लास इस पैसे का इस्तेमाल कंजम्प्शन के लिए करेगा। यही वजह है कि 1 फरवरी को एफएमसीजी, ऑटो जैसे सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में जबर्दस्त तेजी दिखी। अगर सरकार ने स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाने का ऐलान किया होता और 12.75 लाख रुपये की इनकम टैक्स-फ्री नहीं की होती तो लोगों के हाथ में इतने पैसे नहीं बचते।
कुछ टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार इनकम टैक्स के नियमों को आसान बनाने जा रही है। उसका फोकस ऐसे नियमों पर है, जिसे समझने में किसी तरह की दिक्कत का सामना लोगों को नहीं करना पड़े। इसके लिए सरकार एग्जेम्प्शन और डिडक्शन को धीरे-धीरे खत्म करेगी। यही वजह है कि 1 फरवरी को वित्तमंत्री ने डिडक्शन और एग्जेम्प्शन वाली पुरानी रीजीम के बारे में कोई बात नहीं की। उन्होंने होम लोन, हेल्थ पॉलिसी और लाइफ इंश्योरेंस पर डिडक्शन बढ़ाने के ऐलान नहीं किए।