अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के लिए नए टैरिफ को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है। 30 जुलाई को 25 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा के बाद ट्रंप ने 6 अगस्त को और 25 प्रतिशत का टैरिफ घोषित किया। यह एक्स्ट्रा टैरिफ रूस से तेल खरीद जारी रखने के लिए भारत पर पेनल्टी के तौर पर लगाया गया है। 30 जुलाई को घोषित 25 प्रतिशत टैरिफ 7 अगस्त से लागू हो गया, जबकि एक्स्ट्रा 25 प्रतिशत टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा।
अमेरिका को एक्सपोर्ट होने वाले भारतीय सामानों पर लगाया गया एक्स्ट्रा 25 प्रतिशत टैरिफ, अगर लागू होता है तो वित्त वर्ष 2026 में जीडीपी ग्रोथ पर भारी पड़ सकता है। अर्थशास्त्रियों और ट्रेड एक्सपर्ट्स को डर है कि अमेरिका के कदम से निकट भविष्य में भारत की ग्रोथ रेट पर 30-50 बेसिस पॉइंट्स का असर पड़ेगा।
ट्रेड में रियायत के लिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश
वैसे ट्रंप के नए ऐलान को भारत से ट्रेड में रियायतें हासिल करने के मकसद से ज्यादा दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर छठे दौर की बातचीत के लिए 25 अगस्त को अमेरिकी टीम भारत आने वाली है। यह बातचीत कुछ मसलों पर अटकी हुई है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर बातचीत नाकाम हो जाती है और टैरिफ लागू हो जाता है, तो इसका अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर हो सकता है।
HDFC Bank की प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट साक्षी गुप्ता का कहना है, "यह मोटे तौर पर एक निगोसिएशन की रणनीति लगती है और यह अनिश्चित है कि क्या आखिरकार निगोसिएशन होगा। ट्रंप का एक्स्ट्रा 25 प्रतिशत टैरिफ इस सप्ताह से प्रभावी नहीं है और इसलिए समझौते को लेकर और 21 दिन मिलेंगे। अगर ऐसा नहीं होता है, तो हमें वित्त वर्ष 2026 के ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट्स (जीडीपी) ग्रोथ अनुमान को घटाकर 6 प्रतिशत से नीचे करना होगा, यानि कि कम से कम 40-50 बेसिस पॉइंट्स का झटका। यह हमारे पिछले अनुमानों से दोगुना है।"
भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्त वर्ष 2026 के लिए रियल जीडीपी ग्रोथ एस्टिमेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.3-6.8 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान जताया गया था।
अमेरिका का एक्स्ट्रा टैरिफ भारत की ओर से अमेरिका को निर्यात के लगभग तीन-चौथाई हिस्से को प्रभावित कर सकता है। वित्त वर्ष 2025 में भारत से अमेरिका को निर्यात 86 अरब डॉलर का रहा था। नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (नैबफिड) के मुख्य अर्थशास्त्री सुजीत कुमार का कहना है कि एक्स्ट्रा टैरिफ कुछ भारतीय निर्यातों पर टैरिफ की मौजूदा दर को 50 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं। वहीं भारत को अमेरिका से निर्यात में अमेरिका को कुछ नुकसान हो सकता है। कुल मिलाकर, अगर आने वाले महीनों में भी टैरिफ लागू रहे तो वित्त वर्ष 2026 में जीडीपी में लगभग 30 बेसिस पॉइंट्स का नुकसान होगा। कुमार ने भी कहा कि अमेरिका के ये एक्शन, व्यापार समझौते पर बातचीत के तहत भारत से रियायतें हासिल करने के लिए दबाव बनाने की एक रणनीति लगते हैं।
अभी कितना है अमेरिका को निर्यात
अमेरिका को भारत की ओर से सामान का निर्यात जून 2025 में 23.53 प्रतिशत बढ़कर 8.3 अरब डॉलर हो गया। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान अमेरिका से आयात 10.61 प्रतिशत घटकर लगभग 4 अरब डॉलर रहा। अप्रैल-जून 2025 के दौरान अमेरिका को भारत से निर्यात 22.18 प्रतिशत बढ़कर 25.51 अरब डॉलर हो गया। इस दौरान आयात 11.68 प्रतिशत की तेजी के साथ 12.86 अरब डॉलर रहा। वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका-भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 131.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इसमें से भारत ने 86.5 अरब डॉलर के सामान का निर्यात किया। अमेरिका से आयात 45.3 अरब डॉलर का रहा।
टैरिफ बढ़ने से किन सेक्टर्स को सबसे ज्यादा नुकसान
'दोस्त' भारत के लिए ट्रंप की ओर से टैरिफ बढ़ाए जाने से भारतीय टेक्सटाइल/अपैरल, जेम्स एंड ज्वैलरी, झींगा, लेदर और फुटवियर, पशु उत्पाद, केमिकल, बिजली और मशीनरी जैसे सेक्टर्स पर बुरा असर पड़ने का डर है। भारतीय निर्यातकों, खासकर कि एमएसएमई के लिए संकट खड़ा हो गया है। हालांकि दवा, एनर्जी प्रोडक्ट्स (कच्चा तेल, रिफाइंड फ्यूल, प्राकृतिक गैस, कोयला और बिजली) महत्वपूर्ण खनिज, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर्स की एक बड़ी रेंज पर ये टैरिफ लागू नहीं होंगे।