सरकार पीएसयू बैंकों के विलय का एक बड़ा प्लान तैयार कर रही है। इस प्लान से सरकारी बैंकों की संख्या 12 से घटकर सिर्फ 4 रह जाएगी। इस प्लान के अगले वित्त वर्ष में पूरा हो जाने की उम्मीद है। इस प्लान के तहत छोटे पीएसयू बैंकों का विलय सरकार कुछ बड़े सरकारी बैंकों में करेगी। एक सरकारी सूत्र ने बताया कि छोटे बैंकों का विलय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और एक केनरा बैंक-यूनियन बैंक के विलय से बनने वाले बैंक में होगा।
फाइनेंस मिनिस्ट्री में प्लान पर चल रहा विचार
छोटे सरकारी बैंकों के विलय का यह प्लान फाइनेंस मिनिस्ट्री में तैयार हो रहा है। इस प्लान के लागू होने के बाद बैंकों की बैलेंसशीट मजबूत होगी, ऑपरेशनल एफिशियंसी बढ़ेगी और ऐसे बड़े बैंक तैयार होंगे जो दुनिया के बड़े बैंकों का मुकाबला कर सकेंगे। सूत्र ने मनीकंट्रोल को बताया, "प्लान सरकारी बैंकों की संख्या 12 से घटाकर 4 करना है। पहले छोटे सरकारी बैंकों का विलय बड़े PSU Banks में होगा। उसके बाद के कंसॉलिडेशन में कुछ बड़े बैंक बनेंगे जो इंडिया की ग्रोथ की जरूरतें पूरी कर सकेंगे।"
प्लान पूरे होने पर सिर्फ चार बड़े सरकारी बैंक होंगे
सूत्र के मुताबिक, सरकार केनरा बैंक और यूनियन बैंक के विलय पर काम कर रही है। यह चार बड़े बैंकों में से एक होगा। इंडियन बैंक और UCO Bank के विलय पर भी विचार चल रहा है। इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI), बैंक ऑफ इंडिया (BoI) और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BoM) का विलय एसबीआई, पीएनबी या BoB में हो सकता है। पंजाब एंड सिंध बैंक के बारे में अभी फैसला होना बाकी है। सूत्र ने बताया कि इसका विलय चार बड़े बैंकों में से किसी एक में हो सकता है।
सेबी भी बैंकों के कंसॉलिडेशन पर अपनी राय देगा
बैंकों के विलय का प्लान पहले एप्रूवल के लिए फाइनेंस मिनिस्ट्री के पास जाएगा। उसके बाद इस प्रक्रिया को कई परतों वाली जांच से गुजरना होगा। कैबिनेट सेक्रिटेरियट में सीनियर अधिकारी इस पर विचार करेंगे। फिर इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में विचार होगा। फिर इस पर सेबी अपनी राय देगा। सूत्र ने बताया कि फाइनेंस मिनिस्ट्री के एप्रूवल के बाद यह प्लान कैबिने और पीएमओ के पास जाएगा।
बड़े सरकारी बैंकों से इकोनॉमी को होंगे ये फायदे
सरकार का मानना है कि पीएसयू बैंकों की इस रीस्ट्रक्चरिंग से बैंकिंग सेक्टर क्रेडिट की बढ़ती मांग पूरी करने में सक्षम होगा। यह इकोनॉमी की तेज ग्रोथ के लिए जरूरी है। बड़े और मजबूत सरकारी बैंक ज्यादा अमाउंट के लोन दे सकेंगे। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर को पर्याप्त कर्ज उपबल्ध होगा। साथ ही बड़े सरकारी बैंक प्राइवेट बैंकों का मुकाबले कर सकेंगे, जिनकी ग्रोथ बीते कुछ सालों में काफी तेज रही है।
इससे पहले 2017-2020 के बीच पीएसयू बैंकों का हुआ था विलय
इससे पहल सरकार ने 2017 से 2020 के बीच कुछ छोटे सरकारी बैंकों का विलय कुछ बड़े पीएसयू बैंकों में किया था। इससे सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घटकर 12 रह गई थी। इसे बैंकिंग सेक्टर में बड़े रिफॉर्म्स के रूप में देखा गया था। करीब 5 साल बाद सरकार फिर से सरकारी बैंकों का कंसॉलिडेशन करने जा रही है।