Retail Inflation November: नवंबर महीने में भारत में खुदरा महंगाई 0.71% की रफ्तार से बढ़ी। वहीं एक महीने पहले ही यानी अक्टूबर महीने में रिटेल इनफ्लेशन यानी खुदरा महंगाई बढ़ने की रफ्तार 0.25% के रिकॉर्ड निचले स्तर पर चली गई थी। सरकार ने इसकी वजह जीएसटी दरों में कटौती को बताया था। बता दें कि 22 सितंबर को जीएसटी की नई दरें लागू होने के बाद से अक्टूबर पहला महीना था, जब इसमें कटौती का असर दिखा था। अब नवंबर महीने की बात करें तो बेमौसम बारिश और अक्टूबर महीने के बेस इफेक्ट के चलते पहले ही अनुमान लगाया गया था कि नवंबर महीने में रिटेल इनफ्लेशन अधिक हो सकता है। यहां ध्यान दें कि सरकार के मुताबिक अक्टूबर में जो रिकॉर्ड निचला स्तर है, वह कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के मौजूदा सीरीज के तहत है यानी कि जनवरी 2012 के बाद से सबसे कम लेवल पर।
महंगाई को लेकर क्या हैं अनुमान?
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने नवंबर महीने में सीपीआई इंफ्लेशन के 1% के ऊपर जाने का अनुमान लगाया था। इक्रा ने अगले वित्त वर्ष 2027 की पहली तिमाही में इसके 4% तक पहुंचने का अनुमान जाहिर किया था। वहीं आरबीआई ने खाने-पीने वाली चीजों की कीमतों में गिरावट के चलते इस वित्त वर्ष 2026 में महंगाई के अनुमान को कम कर दिया है।
सेगमेंटवाइज क्या है स्थिति
पहले बात करते हैं फूड इनफ्लेशन की तो नवंबर महीने में पिछले साल के नवंबर 2024 की तुलना में ऑल इंडिया कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स -3.91% रहा जोकि अक्टूबर में -3.91% पर था। शहरों में नवंबर में तो यह -3.60% और गांवों में –4.05% रहा जबकि अक्टूबर में शहरों में यह -5.18% और गांवों में -4.85% रहा । नवंबर में इसमें सब्जियों, अंडे, मीट और मछली, मसाले, तेल और बिजली के बढ़े भाव के चलते तेजी आई।
रूरल इंफ्लेशन की बात करें तो अक्टूबर 2025 में यह -0.25% की तुलना में नवंबर में 0.10% रहा तो अर्बन इंफ्लेशन की बात करें तो नवंबर में यह अक्टूबर में 0.88% से बढ़कर 1.40% पर पहुंच गया।
हाउसिंग इंफ्लेशन की बात करें तो नवंबर महीने में यह अक्टूबर में 2.96% की तुलना में हल्का सा गिरकर 2.95% पर आ गया। हाउसिंग इंडेक्स सिर्फ शहरी सेक्टर के लिए होता है। वहीं ए़डुकेशन इंफ्लेशन रेड इस दौरान शहरों और गांवों में मिलाकर 3.54% से गिरकर 3.38% पर आ गया। गांवों और शहरों को मिलाकर हेल्थ इंफ्लेशन की बात करें तो यह भी 3.81% से गिरकर नवंबर में 3.60%, ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन 0.94% से गिरकर 0.88% और तेल और बिजली इंफ्लेशन 1.98% से बढ़कर 2.32% पर पहुंच गया।