US-India trade deal : ट्रेड डील पर बातचीत के लिए आज रात अमेरिकी अधिकारियों की टीम भारत पहुंचने वाली है। अगले दो दिनों तक डील की शर्तों पर बातचीत होगी। इस टीम में US चीफ नेगोशिएटर ब्रेंडेन लिंच और डिप्टी USTR (US ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव) रिक स्विट्जर शामिल होंगे। उधर भारत की तरफ से दर्पण जैन चीफ नेगोशिएटर बने हैं। दर्पण जैन उद्योग मंत्रालय में ज्वॉइंट सेक्रेटरी हैं। भारत पर 50 फीसदी टैरिफ के बाद US अधिकारियों का ये दूसरा भारत दौरा है। इससे पहले 16 सितंबर को यूएस टीम भारत आई थी। भारत अपनी रेड लाइन के साथ समझौता करने के मूड में नहीं है।
यह अमेरिकी टीम भारत में पुतिन की यात्रा के बाद आ रही है। अमेरिका के सामने भारत रूस संबंधों को लेकर तस्वीर काफी साफ हो चुकी होगी। यही वजह है कि ये दौरा अब बेहद अहम हो गया है। भारत सरकार भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के साथ एक डील को फाइनल करने के लिए उत्सुक है। इस डील से अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ कम के होने की संभावना है। यह टैरिफ भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने के आरोप में लगाए गए थे।
इस बीच इस दौरे से ठीक पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत से आ रहे चावल को लेकर कड़ा बयान दिया है। हालांकि ट्रंप अक्सर किसी भी बातचीत की शुरुआत में इस तरह की बॉरगेनिंग ट्रिक के लिए जाने जाते है। अक्सर वह सामने वाले पर दबाव बनने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाते हैं।
व्हाइट हाउस में एक मीटिंग में बोलते हुए ट्रंप ने एग्रीकल्चर इंपोर्ट्स पर नए टैरिफ लगाने की बात कही। उन्होनें भारतीय चावल और कनाडा से आने वाले फर्टिलाइजर पर खास निशाना साधा।
हालांकि,एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारतीय चावल एक्सपोर्ट पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की यह नई धमकी किसी बड़े पॉलिसी बदलाव के बजाय अमेरिका की घरेलू राजनीतिक मैसेजिंग ज़्यादा है। चावल का मुद्दा उठाने की एक वजह ये भी है कि भारत ने पहले ही साफ कर दिया है कि वो एग्री सेक्टर पर अपनी तय सीमा से पीछे किसी भी हाल में नहीं हटेगा।
एक भारतीय थिंक टैंक,ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का कहना है कि अमेरिकी किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा के साथ जारी किया गया नया टैरिफ एलान,अमेरिकी किसानों को टारगेट करके चुनाव के मौसम में दिया गया मैसेज लगता है।