इन दिनों बोर्ड की परीक्षाएं लगभग खत्म हो गई है। हर एक बोर्ड की परीक्षा दे चुके छात्र अपने रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। बिहार बोर्ड ने तो नतीजे भी घोषित कर दिए हैं। आजकल के इस आधुनिक युग में हर किसी को पढ़ाई के लिए बेहतर बोर्ड की तलाश रहती है। अक्सर आपने भी सुना होगा कि स्टूडेंट्स अलग-अलग शिक्षा बोर्ड्स से पढ़ाई करते हैं। हर राज्य के अपने-अपने अलग बोर्ड हैं। इसके अलावा कुछ बोर्ड ऐसे हैं जो हर राज्य में मौजूद हैं। भारत में चार मुख्य बोर्ड हैं। जिनमें केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE), काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE), कैम्ब्रिज असेसमेंट ऑफ़ इंटरनेशनल एजुकेशन (CAIE), और इंटरनेशनल बैकलॉरिएट (IB) शामिल हैं।
मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार देशभर में वर्तमान समय में 65 बोर्ड मौजूद हैं। ऐसे में अपने बच्चे के लिए सही स्कूल बोर्ड चुनने के लिए कई विकल्पों पर ध्यान देना होगा। ताकि आप सही निर्णय ले सकें। शिक्षा बोर्ड स्कूलों में पाठ्यक्रम और मूल्यांकन छात्रों का भविष्य तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
कौन सा बोर्ड है आपके लिए बेहतर
साल 1929 में सरकार ने हाई स्कूल और इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड नामक एक संयुक्त बोर्ड की स्थापना की थी। 1962 में इसी बोर्ड ने CBSE के रूप में काम करना शुरू किया। CBSE निजी और सार्वजनिक स्कूलों के लिए एक राष्ट्रीय सत्र का शिक्षा बोर्ड है। भारत में करीब 28,000 से ज्यादा स्कूल और अंतरराष्ट्रीय देशों में 240 से ज्यादा स्कूल CBSE बोर्ड से जुड़े हुए हैं। स्कूल स्तर पर CBSE 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करता है। CBSE बोर्ड का पाठ्यक्रम (curriculum) राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ( National Council of Educational Research and Training - NCERT) के अनुरूप है। इसे राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली हुई है। अगर आप NEET, JEE, UPSC जैसी परीक्षाओं में सफलता हासिल करना चाहते हैं तो आपके लिए CBSE बोर्ड बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
भारत में ICSE बोर्ड की स्थापना साल 1986 में की गई थी। ये एक निजी बोर्ड है और इसका संचालन काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE) की ओर से किया जाता है। इसका पाठ्यक्रम भारत में सबसे कठिन में से एक माना जाता है। ICSE बोर्ड को कई इंटरनेशनल एजुकेशन सिस्टम के जरिए एक निजी शिक्षा बोर्ड के तौर पर मान्यता मिली हुई है। CBSE बोर्ड की तरह ICSE भी 10वीं-12वीं के लिए परीक्षा आयोजित करता है। शिक्षा से जुड़े जानकारों का कहना है कि अगर विज्ञान विषय की बात की जाए तो कक्षा 7 से 10वीं तक भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान का पाठ्यक्रम काफी बड़ा है। इसमें हर टॉपिक पर विस्तार से चर्चा की गई है। ICSE बोर्ड में अंग्रेजी पर विशेष महत्व दिया जाता है। ऐसे में IELTS और TOEFL जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रवेश परीक्षाएं पास करने में आसानी होती है।
इंटरनेशनल बैकलॉरिएट (International Baccalaureate - IB) का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है। इसकी स्थापना साल 1968 में हुई थी. यह सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधता का प्रतिनिधित्व करने वाले गवर्नर्स बोर्ड द्वारा शासित एक नॉन प्रॉफिटेबल संगठन है। इसका फोकस स्किल डेवलपमेंट पर ज्यादा रहता है। जानकारों का कहना है कि इस बोर्ड में विश्लेषणात्मक सोच और व्यक्तिगत और पेशेवर कौशल विकसित करने पर फोकस किया जाता है। इसके साथ ही अकादमिक लेखन कौशल पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता है।
शिक्षा से जुड़े जानकारों का कहना है कि कैम्ब्रिज इंटरनेशनल का पाठ्यक्रम कौशल और विषय-वस्तु को बैलेंस करके बनाया गया है। अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे मुख्य विषयों में आलोचनात्मक सोच, तार्किक तर्क और समस्या-समाधान को एकीकृत करता है। इसका पाठ्यक्रम आधुनिक जरूरतों के मुताबिक, डिजाइन किया गया है। ताकि छात्रों को अपना भविष्य बनाने में कठिनाई न हो। अगर आप विदेश में उच्च शिक्षा हासिल करना चाहते हैं तो कैम्ब्रिज इंटरनेशनल बोर्ड से काफी मदद मिल सकती है।
यूपी बोर्ड है दुनिया का सबसे पुराना बोर्ड
कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश बोर्ड दुनिया का सबसे पुराना बोर्ड है। यूनाइटेड प्रॉविंसेस लेजिस्लेटिव काउंसिल के एक एक्ट के जरिए 1921 में यूपी बोर्ड की स्थापना की गई थी। इस बोर्ड ने अपनी पहली परीक्षा 1923 में आयोजित की थी। यह भारत के उन पहले शिक्षा बोर्ड में शामिल है, जिन्होंने शुरुआत से ही 10+2 एग्जामिनेशन सिस्टम को अपनाया था। साल 1923 से पहले हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रयागराज यूनिवर्सिटी की ओर से कराई जाती थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1923 में पहली बार बोर्ड परीक्षा में 5,744 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। 179 केंद्रों में परीक्षाएं कराई गईं थी। उस समय इनमें से 5,665 छात्र हाईस्कूल के थे, जबकि 89 छात्र इंटरमीडिएट के थे।