भारत अमेरिकी टैरिफ का जमकर मुकाबला करने को तैयार है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारतीय गुड्स पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद सरकार एक्सपोर्टर्स की मदद के लिए नई इनसेंटिव स्कीम पर विचार कर रही है। इस स्कीम की मदद से एक्सपोर्टर्स अमेरिका से इतर मार्केट्स में निर्यात बढ़ाने की कोशिश करेंगे। इससे इंडिया के एक्सपोर्ट में डायवर्सिफिकेशन आएगा। साथ ही अमेरिकी मार्केट में इंडियन एक्सपोर्ट को होने वाले नुकसान की कुछ हद तक भरपाई होगी। इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने यह बताया।
फाइनेंस मिनिस्ट्री नई एक्सपोर्ट स्ट्रेटेजी पर कर रही विचार
एक सूत्र ने कहा, "फाइनेंस मिनिस्ट्री नई एक्सपोर्ट स्ट्रेटेजी के तहत एक स्कीम पर काम कर रही है। इस स्कीम के तहत एक्सपोर्ट्स को यूरोप, यूके, पेरू, चिली, अर्जेंटीन, ब्राजील को निर्यात बढ़ाने और एक्सपोर्ट डायवर्सिफिकेशन को प्रोत्साहित किया जाएगा। हालांकि, इस स्कीम के बारे में अंतिम फैसला ट्रेड डील (India US Trade Deal) को लेकर अमेरिका के साथ होने वाली बातचीत पर निर्भर करेगा। इस महीने के अंत में दोनों देशों के बीच फिर से डील पर बातचीत होने वाली है।"
श्रम के ज्यादा इस्तेमाल वाले सेक्टर पर होना इनसेंटिव का फोकस
सूत्रों के मुताबिक, सरकार की तरफ से नए इनसेंटिव का फोकस नियार्त से जुड़े उन सेक्टर्स पर होगा, जिनमें लेबर यानी श्रम का ज्यादा इ्सतेमाल होता है। इस इनसेंटिव की जरूरत इस बात पर निर्भर करेगी कि अमेरिका और इंडिया के बीच डील कितनी जल्द होती है। अभी इस बारे में तस्वीर साफ नहीं है। स्थितियां लगातार बदल रही हैं। इसलिए फाइनेंस मिनिस्ट्री ने इस बारे में नई इनसेंटिव स्कीम के तहत उपलब्ध कराई जाने वाली मदद के बारे में फैसला नहीं लिया है।
एक्सपोर्ट डायवर्सिफिकेशन पर भी फोकस बढ़ाने की तैयारी
एक दूसरे सूत्र ने कहा, "सरकार मार्केट डायवर्सिफिकेशन के लिए इनसेंटिव्स पर विचार कर सकती है। यह साफ तौर पर दूसरे बाजारों पर फोकस बढ़ाने का सही मौका है। एक्सपोर्ट्स पहले से ही दूसरे देशों पर विचार कर रहे हैं। अगर इनसेंटिव मिलता है तो एक्सपोर्ट्स को प्रोत्साहन मिलेगा।" अमेरिका और इंडिया में ट्रेड डील पर पिछले कई महीनों से बातचीत चल रही है। दोनों देश अगले कुछ महीनों में डील फाइनल करना चाहते हैं।
एग्रीकल्चर और डेयरी जैसे सेक्टर को लेकर अमेरिकी मांग मंजूर नहीं
अमेरिका के साथ डील को लेकर चल रही बातचीत में एग्रीकल्चर और डेयरी जैसे सेक्टर को लेकर पेंच फंसा है। भारत अपने इन सेक्टर्स को दूसरे देशों के लिए आम तौर पर ओपन नहीं करता है। सरकार का मानना है कि इससे भारत में किसानों, पशुपालकों, मछुआरों और दूध उत्पादकों पर खराब असर पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बारे में 7 अगस्त को फिर से सरकार का रुख स्पष्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के हितों के साथ किसी तरह का समझौता नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार इसके लिए भारी कीमत चुकाने को तैयार है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा भारत अनुचित मांग के आगे नहीं झुकेगा
अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ (Trump Tariff) लगाने के ऐलान के अगले ही दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मसले पर भारत का रुख साफ कर दिया। इंडिया का रूस से क्रूड खरीदना ट्रंप की नाराजगी की बड़ी वजह है। रूस से सबसे ज्यादा क्रूड ऑयल खरीदने के मामले में भारत दूसरे पायदान पर है। इस मामले में पहले पायदान पर चीन है। भारत रूस से कम कीमत पर ऑयल खरीदता है।