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एक बार फिर 'हिन्दी चीनी भाई-भाई', भारत और चीन मिलकर क्या अमेरिकी दादागिरी का जवाब दे सकेंगे?

चीन के साथ रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने लगी है। दोनों एक दूसरे के करीब आने को तैयार दिख रहे हैं। अगले महीने से दोनों देशों के बीच सीधी फ्लाइट्स शुरू हो जाने की उम्मीद है, जो बीते 5 सालों से बंद है। दोनों बंद दरवाजें खोलने को तैयार हैं

अपडेटेड Aug 14, 2025 पर 10:55 AM
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भारत ने चीन के नागरिकों को टूरिस्ट्स वीजा इश्यू करना शुरू कर दिया है। ऐसा पांच साल के बाद हो रहा है। कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हो गई है।

दशकों से इंडिया और चीन का रिश्ता अनोखा रहा है। दोनों के बीच व्यापार के मामले में बड़ी भागीदरी रही है। सीमा पर दोनों आमने-सामने खड़े रहे हैं। उधर, दुनिया पर असर के मामले में दोनों के बीच प्रतिद्वंद्विता देखने को मिलती रही है। लेकिन, अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रुख और उनकी टैरिफ पॉलिसी ने भारत और चीन को एक-दूसरे के करीब ला दिया है। दोनों एक-दूसरे के लिए बंद दरवाजें खोल रहे हैं। सवाल है कि क्या यह नजदीकी सिर्फ समय की मांग है या लंबे समय तक जारी रहने वाली है?

प्रधानमंत्री मोदी चीन में एससीओ समिट में ले सकते हैं हिस्सा

2020 में गलवान घाटी में झड़प के बाद भारत और चीन (India China Relations) के रिश्तें ज्यादा खराब हो गए। सीधी फ्लाइट्स बंद कर दी गई। बॉर्डर ट्रेड को नुकसान पहुंचा और उच्च-स्तरीय यात्राएं रुक गईं। अब रिश्ते पर जमी बर्फ पिघलती दिख रही है। अगले महीने दोनों देशों के बीच पैसेंजर फ्लाइट्स शुरू हो जाने की उम्मीद है। इस महीने के आखिर में होने वाली शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन जाने का जल्द ऐलान हो सकता है।


भारत ने चीनी नागरिकों को टूरिस्ट वीजा जारी करना शुरू किया

भारत ने चीन के नागरिकों को टूरिस्ट्स वीजा इश्यू करना शुरू कर दिया है। ऐसा पांच साल के बाद हो रहा है। कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हो गई है। इंडिया से डीजल लेकर जहाज चीन के लिए निकल चुका है। 2021 के बाद से ऐसा पहली बार हो रहा है। पिछले साल अक्टूबर में दोनों देशों ने सीमा पर पेट्रोलिंग और सैनिकों की संख्या कम करने के लिए एक एग्रीमेंट किया था। इससे भारतीय चरवाहों ने फिर से सीमाई इलाकों में अपने पशु चराने शुरू कर दिए थे।

ट्रंप की पॉलिसी ने भारत और चीन की मुसीबत बढ़ाई है

ट्रंप की पॉलिसी ने चीन और भारत दोनों के लिए मुसीबत पैदा की है। उन्होंने इंडियन गुड्स पर 50 फीसदी टैरिफ का ऐलान किया है। हालांकि, चीन के भारी टैरिफ से बचने के लिए ट्रंप चीन के साथ टैरिफ को लेकर बातचीत करने को मजबूर दिखे हैं। इस बीच, पाकिस्तान को लेकर ट्रंप का रुख बदला है। संभवत: इसकी वजह पाकिस्तान को चीन से दूर करना हो सकता है। हालांकि, पाकिस्तान को लेकर इस नए अमेरिका प्रेम ने इंडिया को सतर्क कर दिया है।

ट्रंप के नए पाकिस्तान प्रेम की खास वजहें

अमेरिका की किसी चाल का मुकाबला चीन से नजदीकी बढ़ाकर किया जा सकता है। चीन में भी पाकिस्तान को लेकर अमेरिकी रुख में आए बदलाव की वजह चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के महत्व को कम करने की कोशिश मानी जा रही है। यह भी माना जा रहा है कि अमेरिका पाकिस्तान में चाइनीज मिलिट्री सिस्टम के बारे में जानकारियां हासिल करने के लिए पाकिस्तान से रिश्ते बढ़ा रहा है। दिल्ली के इकोनॉमिस्ट बिश्वजीत धर का मानना है कि ट्रंप की संरक्षणवादी नीति इंडिया और चीन दोनों की चिंता बढ़ा रही है।

भारत और चीन ट्रंप की मनमानी के आगे झुकने को तैयार नहीं

भारत और चीन दोनों ने ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी का खुलकर विरोध किया है। भारत में विदेश मंत्रालय ने एक सख्त बयान जारी कर टैरिफ के अमेरिकी कदम को अनुचित बताया था। भारत ने यह भी बताया कि कैसे अमेरिका और यूरोप ने खुद रूस से व्यापार जारी रखा है। अमेरिका यूरेनियम, पैलेडियम और फर्टिलाइजर्स खरीदता रहा है। भारत ने इस दोहरे मापदंड को खारिज किया है।

चीन ने रूस से तेल की खरीद जारी रखने के लिए इंडिया की तारीफ की

उधर, चीन में भी सरकार ने एनर्जी सिक्योरिटी के लिए उन रास्तों के इस्तेमाल की बात कही है, जो उसके राष्ट्रीय हित में होगा। चीन ने अमेरिका को यह बता दिया है कि जोर-जबर्दस्ती के तरीके काम नहीं करेंगे। चीन के सरकारी मीडिया ने रूस से तेल की खरीद जारी रखने के लिए इंडिया की तारीफ की है। ग्लोबल टाइम्स ने इसे इंडिया की स्वतंत्र विदेश नीति का उदाहरण बताया है।

भारत और चीन मिलकर अमेरिका को दे सकते हैं कड़ी टक्कर

भारत और चीन के बीच बढ़ती नजदीकी दोनों के लिए फायदेमंद है। इससे इंडिया को एक तरफ अमेरिकी आर्थिक दवाब का सामना करने में मदद मिलेगी तो दूसरी तरफ चीन के साथ सीमा पर तनाव घटेगा। चीन भी यह समझ चुका है कि भारत से संबंध खराब करना उसके हित में नहीं है। पिछले एक-डेढ़ साल में दोनों देशों के बीच बातचीत में जिस तरह से प्रगति हुई है, उससे यह संकेत मिलता है। रूस से तेल की खरीद जारी रखने पर चीन का इंडिया की तारीफ करना उसके बदले व्यवहार का संकेत है।

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बातचीत से विवादित मसलों का निकल सकता है समाधान

एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत और चीन साझा मकसद के लिए एक-दूसरे के करीब आए हैं। लेकिन, यह रिश्ता तभी टिकेगा जब दोनों पक्ष विवादित मसलों का समाधान बातचीत से करने में दिलचस्पी दिखाएंगे। हालांकि, फिलहाल दोनों देशों के बीच बातचीत, व्यापारिक चैनल्स का बढ़ना और फ्लाइट्स का शुरू होना बड़ी बात है। इस पर अमेरिका की भी नजरें जरूर होंगी।

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