US Student Visa Rules: अमेरिका वर्षों से टॉप टैलेंट को अपने यहां लाता रहा है। इसकी एक मुख्य वजह यहां की टॉप यूनिवर्सिटीज रही हैं। यहां से ग्रेजुएट होने वाले स्टूडेंट्स बड़ी-बड़ी कंपनियों को चला रहे हैं। भारत से भी हर साल हजारों स्टूडेंट्स अमेरिकन ड्रीम पूरा करने अमेरिका पहुंचते हैं।यहां की यूनिवर्सिटी से मिली डिग्री और आसान वीजा प्रक्रिया ने पढ़ाई और नौकरी पर ध्यान देना आसान बना दिया था, लेकिन अब ये चीजें धीरे-धीरे बदलती जा रही हैं। ट्रंप प्रशासन ने विदेशी छात्रों के वीजा नियमों को काफी सख्त करने जा रही है।
खत्म होगा 'ड्यूरेशन ऑफ स्टेटस'
डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने एक ऐसे नियम का प्रस्ताव दिया है, जिसके जरिए 'ड्यूरेशन ऑफ स्टेटस' फ्रेमवर्क को फिक्स वीजा टर्म से बदल दिया जाएगा। 'ड्यूरेशन ऑफ स्टेटस' के जरिए स्टूडेंट्स को तब तक देश में रहने की इजाजत होती है, जब तक उनका कोर्स खत्म नहीं हो जाता है। फिक्स वीजा टर्म आने के बाद ये बदल जाएगा।
ट्रंप प्रशासन ने विदेशी छात्रों के वीजा नियम सख्त करने और आने वाले छात्रों पर एक्सट्रा फीस लगाने की तैयारी की है। लंबे समय से चल रही "ड्यूरेशन ऑफ स्टेटस " वाली व्यवस्था खत्म करने और ज्यादा फीस लागू करने के प्रस्तावों से कई परिवारों, खासकर भारत जैसे देशों के, चिंता में हैं क्योंकि यहां से सबसे ज्यादा छात्र अमेरिका पढ़ने जाते हैं। जानकारों का कहना है कि ऐसे फैसलों से अमेरिका के हायर एजुकेशन की साख पर निगेटिव इम्पैक्ट डाल रहा है।
50 साल से चल रहे थे ये नियम
अमेरिका के होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) ने "ड्यूरेशन ऑफ स्टेटस" यानी D/S प्रोसेस को खत्म करने का प्रस्ताव रखा है। करीब 50 साल से यह नियम F-1 छात्रों और J-1 एक्सचेंज प्रोग्राम वाले विदेश छात्रों को पढ़ाई जारी रहने और नियमों का पालन करने तक अमेरिका में रहने की अनुमति देता था। इसमें उनके I-94 दस्तावेज पर कोई तय तारीख नहीं लिखी जाती थी और उनकी गतिविधियों पर निगरानी ज़्यादातर विश्वविद्यालयों के अधिकारी रखते थे, जो बाद में जानकारी DHS के रिकॉर्ड में भेजते थे।
अब ट्रंप प्रशासन ने उठाया ये कदम
ट्रंप प्रशासन का मानना है कि मौजूदा व्यवस्था का कुछ छात्र गलत फायदा उठा रहे हैं। उनका कहना है कि कुछ लोग हायर एजुकेशन लेने के बाद भी लगातार नए कोर्स या लैंग्वेज स्कूलों में दाखिला लेकर सालों तक अमेरिका में बने रहते हैं। DHS का तर्क है कि अगर वीजा पर निश्चित समय सीमा तय कर दी जाए तो सरकार आसानी से जांच कर पाएगी और ऐसे दुरुपयोग को रोका जा सकेगा। नए प्रस्ताव के मुताबिक, छात्रों को अधिकतम चार साल या उनके कोर्स खत्म होने तक ही अमेरिका में रहने की अनुमति मिलेगी, जो भी पहले पूरा हो। अगर किसी को ज्यादा समय चाहिए, जैसे पीएचडी पूरी करने या OPT करने के लिए, तो उन्हें USCIS के पास आवेदन करना होगा। इसके लिए फॉर्म भरना, फीस जमा करना, आर्थिक दस्तावेज देना, बायोमेट्रिक देना और जरूरत पड़ने पर इंटरव्यू में शामिल होना जरूरी होगा।
अब सिर्फ 60 दिनो ंकी छूट
नए नियमों के तहत पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्रों को अमेरिका में रुकने की छूट 60 दिन से घटाकर सिर्फ 30 दिन कर दी जाएगी। कॉलेज बदलने पर भी पाबंदी होगी- ग्रेजुएट छात्रों को ट्रांसफर से पहले कम से कम एक साल पढ़ना अनिवार्य होगा, जबकि ग्रेजुएट छात्रों को बीच में कोर्स बदलने की इजाजत नहीं होगी। इसके अलावा, F-1 वीजा पर रहते हुए वही स्तर या उससे नीचे की नई डिग्री शुरू नहीं की जा सकेगी, जिससे दूसरी मास्टर डिग्री लेने का विकल्प लगभग खत्म हो जाएगा। लैग्वेज कोर्स की अवधि भी अधिकतम 24 महीने तक सीमित कर दी जाएगी।
ये फिलहाल ड्राफ्ट नियम हैं और अभी लागू नहीं हुए हैं। DHS का कहना है कि अंतिम नियम बनाते समय बदलाव की गुंजाइश रहेगी। मौजूदा छात्रों को उनके दस्तावेजों के आधार पर तय समय सीमा और एक बार की छूट दी जाएगी। इस प्रस्ताव पर लोगों की राय सितंबर से अक्टूबर के अंत तक मांगी जाएगी, जिसके बाद विभाग सबकी टिप्पणियों की समीक्षा करेगा। अगर प्रक्रिया तय योजना के अनुसार आगे बढ़ी, तो ये नए नियम 2026 की शुरुआत या बीच में लागू हो सकते हैं।
वीजा फीस भी हुई काफी महंगी
सख्त नियमों के साथ अब अमेरिका ने वीजा फीस भी बढ़ा दिया है। 1 अक्टूबर से वीजा छूट कार्यक्रम से बाहर के देशों के यात्रियों को 250 डॉलर का नया "वीजा इंटेग्रिटी फीस" देना होगा। इससे अमेरिकी वीजा की कुल लागत बढ़कर 442 डॉलर हो जाएगी, जो दुनिया में सबसे ऊंचे वीजा फीस में गिनी जाएगी। इस फैसले का असर खासकर भारत, चीन, ब्राज़ील, मेक्सिको और अर्जेंटीना जैसे देशों पर ज्यादा पड़ेगा, जहां से बड़ी संख्या में छात्र और पेशेवर अमेरिका जाते हैं।
वहीं उद्योग संगठनों का कहना है कि यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या पहले से ही घट रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में इसमें 3.1% की कमी आई, जो लगातार पांचवें महीने गिरावट को दिखाता है। ट्रैवल एक्सपर्ट का मानना है कि अगर रुकावटें और बढ़ीं तो यह गिरावट और तेज हो सकती है, जिससे परिवारों और विश्वविद्यालयों के लिए भविष्य की योजना बनाना और कठिन हो जाएगा।
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