‘नौंवी फेल तेजस्वी’, बार-बार शिक्षा पर निशाना क्यों साधते हैं PK, ‘जंगलराज’ की याद दिलाने की कोशिश?

नवंबर 2023 में, प्रशांत किशोर ने कहा था कि अगर तेजस्वी यादव बिना कागज देखे GDP का फुल फॉर्म लिख दें, तो वह मान जाएंगे। आखिर प्रशांत किशोर ऐसा क्यों करते हैं? इसका सही जवाब तो PK ही जानते होंगे लेकिन राजनीति में इसे मनोवैज्ञानिक युद्ध (Psychological Warfare) कहा जाता है

अपडेटेड Jun 11, 2025 पर 7:09 PM
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Bihar Election 2025: PK एक बार तेजस्वी से GDP का फुलफॉर्म तक पूछ चुके हैं!

2022 से बिहार में जनसुराज अभियान के जरिए एक नई राजनीतिक लकीर खींचने को बेकरार प्रशांत किशोर पुरानी राजनीतिक पार्टियों पर चुभने वाले हमले करते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव तक उनके तीखे राजनीतिक बयानों के केंद्र में रहते हैं। लेकिन जब भी तेजस्वी यादव का जिक्र आता है तो प्रशांत किशोर शिक्षा को लेकर निशाना जरूर साधते हैं। पिछले तीन वर्षों के दौरान कई बार तेजस्वी यादव को प्रशांत किशोर नौंवी फेल बता चुके हैं। यहां तक कि PK एक बार तेजस्वी से GDP का फुलफॉर्म तक पूछ चुके हैं!

नवंबर 2023 में, प्रशांत किशोर ने कहा था कि अगर तेजस्वी यादव बिना कागज देखे जीडीपी का फुल फॉर्म लिख दें, तो वह मान जाएंगे। आखिर प्रशांत किशोर ऐसा क्यों करते हैं? इसका सही जवाब तो PK ही जानते होंगे लेकिन राजनीति में इसे मनोवैज्ञानिक युद्ध (Psychological Warfare) कहा जाता है। इसी मनोवैज्ञानिक युद्ध की प्रक्रिया में रिपीटिशन टेक्नीक का इस्तेमाल होता है। यानी अगर कोई बात आपको जनता के दिमाग में बिठानी है तो उसका बार-बार, कई मंचों से इस्तेमाल किया जाए। लोगों को यह भरोसा दिलाया जाए कि जो कहा जा रहा है, वही सत्य है।

‘पहले दसवां क्लास पास करके दिखाएं तेजस्वी’


अभी हाल में एक पत्रकार ने जातीय जनगणना को लेकर प्रशांत से सवाल पूछा। पत्रकार ने पूछा कि तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं, आपकी इस पर क्या राय है? इस सवाल का जवाब देते हुए प्रशांत किशोर ने जातीय जनगणना को सही बताया लेकिन वह पूछ बैठे कि दलितों की संख्या तो सरकारों को मालूम रही है, उस पर क्या हुआ? प्रशांत यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा-तेजस्वी की कोई समझ नहीं है यार, पहले आप लोग तेजस्वी यादव से पूछिए कि दसवां क्लास कब पास करोगे?

ये पहली या आखिरी बार नहीं था जब PK ने तेजस्वी की शिक्षा को लेकर सवाल उठाए। इससे पहले भी वह खुले मंचों से तेजस्वी यादव को नौंवी फेल बोल चुके हैं। ऐसा नहीं है कि तेजस्वी की शिक्षा पर केवल PK की सवाल करते हैं। बीजेपी भी तेजस्वी की शिक्षा को लेकर RJD पर निशाना साध चुकी है। लेकिन PK जब भी बोलते हैं, बेहद तीखे तरीके से हमले करते हैं।

लालू के उत्तराधिकारी हैं तेजस्वी, इसलिए PK साधते हैं निशाना?

तेजस्वी यादव बिहार के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह वर्तमान में विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष हैं। वह RJD में लालू यादव के उत्तराधिकारी के रूप में देखे जाते हैं। और यही वजह है कि 2015 में जेडीयू और RJD ने मिलकर सरकार बनाई थी, उस वक्त भी ‘छोटा भाई’ होने के बावजूद तेजस्वी को डिप्टी सीएम का पद दिया गया था। जबकि बड़े भाई तेज प्रताप यादव को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था।

PK ये जानते हैं कि अब लालू यादव (Lalu Yada) के बाद RJD का मुख्य चेहरा तेजस्वी यादव ही हैं। एक वक्त में RJD के शासन के लिए ‘जंगलराज’ जैसे टर्म का इस्तेमाल किया जाता था। यह टर्म आज भी RJD पर राजनीतिक निशाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। संभव है कि PK लोगों के जेहन में ‘जंगलराज’ की यादें ताजा करने के लिए तेजस्वी की शिक्षा पर बार-बार निशाना साधते हैं। वह बिहार की जनता में यह संदेश देना चाहते हैं कि लालू यादव के लिए जिस शासन के लिए ‘जंगलराज’ टर्म का इस्तेमाल किया जाता है, उनके बेटे भी अपनी शिक्षा हाईस्कूल तक भी नहीं पूरी कर सके।

मीसा की डिग्री पर भी उठे हैं सवाल

दरअसल लालू यादव परिवार में अकेले तेजस्वी नहीं ,हैं जिनकी शिक्षा पर सवाल उठते हैं। ‘Broken Promises: Caste, Crime and Politics in Bihar’ नाम की चर्चित किताब के लेखक मुत्युंजय शर्मा ने दावा किया था कि लालू यादव की बेटी मीसा भारती ने MBBS की डिग्री बिना एंट्रेंस एक्जाम पास किए हासिल की। उन्होंने यह भी दावा किया था कि मीसा भारती ने कभी डॉक्टर की प्रैक्टिस नहीं की लेकिन उनके पास एक MBBS डिग्री है! मशहूर पॉडकास्टर राज शमानी को दिए इंटरव्यू के दौरान मृत्युंजय शर्मा द्वारा कही गई यें बातें काफी वायरल हुई थीं।

लेकिन PK के निशाने पर केवल तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) रहते हैं। दरअसल PK को भी यह मालूम है कि RJD का मुख्य चेहरा अब तेजस्वी यादव ही हैं। दरअसल पहली बार बिहार में अपनी किस्मत आजमा रहे PK की रणनीति ऐसी लग रही है कि तेजस्वी यादव की शिक्षा के जरिए लालू यादव के शासनकाल की स्थितियों को लोगों को जेहन में ताजा रखा जाए।

लालू यादव के शासनकाल में बिहार की शिक्षा व्यवस्था शिक्षक भर्तियों में कमी, चरवाहा विद्यालय योजना की विफलता, साक्षरता दर में पिछड़ापन, स्कूलों में बुनियादी ढांचे की कमी, और उच्च शिक्षा के पतन से बर्बाद मानी गई। साक्षरता दर 1991 में 38% थी, जो 2001 तक केवल 47% तक पहुंची। कुछ प्राथमिक स्कूल खोलने के प्रयास हुए, लेकिन भ्रष्टाचार और प्रबंधन की कमी ने इन्हें प्रभावी होने से रोका।

Arun Tiwari

Arun Tiwari

First Published: Jun 11, 2025 1:39 PM

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