Bihar Chunav Survey : बिहार विधानसभा चुनाव के तारीखों का अभी तक ऐलान नहीं हुआ है पर सूबे में सियासी बयार काफी तेजी से बह रही है। बिहार में चुनाव से पहले सभी दल अपना दमखम दिखाने को तैयार दिख रहे हैं। वहीं बिहार में इस चुनावी बयार के बीच एक हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। 14 सितंबर को आए वोट वाइब सर्वे के मुताबिक, राज्य में एनडीए और आरजेडी-कांग्रेस-वामपंथी दलों के महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला दिख रहा है। इस सर्वे में मुस्लिम समुदाय को लेकर भी एक चौंकेने वाले आंकड़े सामने आए हैं।
नीतीश कुमार के खिलाफ बह रही है लहर!
सर्वे नतीजों से पता चलता है कि बिहार चुनाव का परिणाम काफी हद तक वोटिंग टर्नआउट और आखिरी वक्त के बदलावों पर निर्भर करेगा। जातीय समीकरण दोनों ही गठबंधनों के लिए अहम बने हुए हैं, जबकि युवाओं का रुझान महागठबंधन की संभावनाओं को बढ़ा सकता है। जुलाई में हुए सर्वे और अब सितंबर के आंकड़ों की तुलना करें तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली भाजपा-जद(यू) सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर लगभग समान रही है—जुलाई में 48.5% और सितंबर में 48%। हालांकि, सरकार के समर्थन में झुकाव जुलाई के 18.3% से बढ़कर सितंबर में 27.1% तक पहुंच गया है।
किस तरफ है मुस्लिम समुदाय का झुकाव
सर्वे के डेमोग्राफी एनालिसिस में सामने आया कि 18 से 24 साल के युवाओं में सरकार के खिलाफ सबसे ज़्यादा नाराजगी है। इनमें से 57% ने महागठबंधन का समर्थन किया, जबकि 45 साल से ऊपर के मतदाता एनडीए के साथ ज़्यादा दिखे। धार्मिक आधार पर देखें तो मुस्लिम समुदाय का रुझान महागठबंधन की ओर सबसे मजबूत है। सर्वे में शामिल 70% मुसलमानों ने महागठबंधन को चुना, जबकि सिर्फ 5% ने एनडीए के पक्ष में वोट देने की बात कही।
एनडीए को यहां मिल रहा फायदा
सर्वे के मुताबिक, एनडीए को ऊंची जातियों से सबसे ज्यादा समर्थन मिलने की संभावना है। इस वर्ग के 55% लोगों ने एनडीए को वोट देने की बात कही, जबकि 15% महागठबंधन के पक्ष में रहे। ओबीसी मतदाता बंटे हुए दिखे—43% ने एनडीए और 36% ने महागठबंधन को चुना। अनुसूचित जातियों में भी एनडीए का पलड़ा भारी नज़र आया। यहाँ 43% लोगों ने एनडीए का समर्थन किया, जबकि 25% ने महागठबंधन को वोट देने की बात कही।
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