बिहार की 243 सीटों वाली विधानसभा के चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राज्य में जोरदार चुनावी माहौल बन गया है। बिहार में इस बार का चुनाव भी अलग-अलग नारों से भरा हुआ दिख रहा है। बिहार में दो फेज यानी 6 नवंबर और 11 नवंबर को वोटिंग होगी और 14 नवंबर को नतीजे आएंगे। चुनाव आयोग की औपचारिक घोषणा होते ही बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने अपना प्रचार अभियान तेज कर दिया। एनडीए का कहना है कि, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का असली मकसद तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना है।
सीएम फेस पर उलझी गुत्थी
वहीं महागठबंधन के भीतर एक मुद्दा लगातार चर्चा में है, मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की आधिकारिक घोषणा न होना। यह सवाल कई बार प्रेस कॉन्फ्रेंस और बैठकों में उठा है। वरिष्ठ नेताओं ने भी माना है कि मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर अभी तक कोई साफ़ फैसला नहीं लिया गया है, जिससे गठबंधन के अंदर हलचल बनी हुई है। इस मुद्दे की अहमियत हाल ही में हुई एक घटना से साफ झलकती है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए खुद को पार्टी का नहीं महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। यह ऐलान लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ के आखिरी चरण के दौरान बिहार में किया गया। तेजस्वी के इस बयान ने महागठबंधन के अंदर हलचल मचा दी और मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही असमंजस की स्थिति को और बढ़ा दिया।
महागठबंधन अब तक मुख्यमंत्री पद के लिए किसी एक नाम पर सहमति नहीं बना पाया है। इस वजह से न सिर्फ अंदरूनी हालात उलझे हुए हैं, बल्कि इसका असर चुनावी रणनीति पर भी पड़ सकता है। गठबंधन फिलहाल एनडीए से सीधी टक्कर की तैयारी कर रहा है। इस साल अप्रैल में तेजस्वी यादव को बिहार विधानसभा चुनावों के लिए इंडिया गठबंधन की समन्वय समिति का प्रमुख बनाया गया था।
हाल ही में राहुल गांधी की मौजूदगी में तेजस्वी यादव के “मुख्यमंत्री पद” वाले बयान को राजद सांसद मनोज झा ने भी दोहराया। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव ही बिहार में महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे हैं। मनोज झा ने इसे “सच” बताया और कहा कि यह उतना ही स्पष्ट है, जितना पूर्व में उगता सूरज।
तेजस्वी यादव का क्लीयर मैसेज!
सितंबर में एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में तेजस्वी यादव ने साफ कहा कि महागठबंधन बिहार विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बिना नहीं लड़ेगा। उन्होंने हल्के मजाकिया अंदाज में कहा, “क्या हम बीजेपी जैसे हैं जिनके पास कोई चेहरा नहीं होता? हम बिना मुख्यमंत्री पद का चेहरा तय किए चुनाव नहीं लड़ेंगे।” तेजस्वी यह बात अपनी पूरक अधिकार यात्रा के दौरान कह रहे थे। यह यात्रा उन इलाकों में की गई थी जो दो हफ्ते पहले खत्म हुई मतदाता अधिकार पदयात्रा में शामिल नहीं हो पाए थे।
राजद-कांग्रेस गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के नेतृत्व वाला महागठबंधन इस समय सीट बंटवारे को लेकर मुश्किल में है। इसका कारण है उनके सहयोगी मुकेश सहनी की पार्टी — विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी)। वीआईपी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए के साथ रहते हुए 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था। अब जब वह महागठबंधन का हिस्सा है, तो मुकेश सहनी अपनी पार्टी के लिए ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं ताकि उनका जनाधार बढ़ाया जा सके। हालांकि, वीआईपी और महागठबंधन के बीच अब तक कोई अंतिम समझौता नहीं हो पाया है। इसी वजह से सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा लगातार टल रही है।
महागठबंधन सावधानी से उठा रहा कदम
वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक, बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर महागठबंधन बहुत सोच-समझकर कदम उठा रहा है। गठबंधन के दलों के बीच लगातार बैठकों और चर्चाओं का दौर चल रहा है, ताकि यह तय किया जा सके कि कौन-सी पार्टी किन सीटों पर बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। जिन इलाकों में गठबंधन पिछली बार हार गया था, उन पर खास ध्यान दिया जा रहा है। इसमें हार का अंतर, जातीय समीकरण और स्थानीय समर्थन जैसी बातों का बारीकी से विश्लेषण किया जा रहा है। एक वरिष्ठ नेता ने बताया, “हमारा मकसद सीटों का बंटवारा इस तरह करना है कि हर सीट उस पार्टी को मिले जो वहां जीतने की सबसे ज़्यादा संभावना रखती हो।”
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