Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे साफ हो चुके हैं। इस बार NDA ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है, जहां BJP सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और JDU दूसरे नंबर पर रही। लेकिन दूसरी ओर 'महागठबंधन' के घटक दलों का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा। इनमें सबसे ज्यादा नुकसान विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को हुआ, जो एक भी सीट जीतने में नाकाम रही।
मुकेश सहनी, जिन्हें महागठबंधन ने डिप्टी CM का चेहरा घोषित किया था, इस चुनाव में अपना प्रभाव जमाने में पूरी तरह असफल रहे। उन्होंने 15 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली। कई सीटों पर वे दूसरे स्थान तक पहुंचे, लेकिन जीत की दूरी पार नहीं कर पाए।
कौन-कौन से उम्मीदवार कितने पीछे रहे?
बिहपुर से VIP प्रत्याशी अर्पणा कुमारी को 61,433 वोट मिले और वे दूसरे स्थान पर रहीं। कटिहार सीट से सौरभ कुमार अग्रवाल ने अच्छा मुकाबला किया, लेकिन 78,101 वोट लेकर वे भी दूसरे स्थान पर रहे। केसरिया से वरुण विजय 61,852 वोट लाए, मगर जीत नहीं सके। वहीं औराई सीट से भोगेंद्र सहनी मैदान में थे, लेकिन वे भी 46,879 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर ही रहे। इसके अलावा बरूराज सीट से राकेश कुमार भी 67,827 के साथ दूसरे स्थान पर रहे। अन्य सीटों पर भी VIP उम्मीदवार या तो दूसरे या तीसरे स्थान पर रहे, लेकिन जीत का खाता नहीं खोल सके।
VIP की हार की बड़ी वजहें क्या रहीं?
राजनीतिक पंडितों के अनुसार कई कारण हैं जिनकी वजह से VIP अपना खाता तक नहीं खोल सकी, जिसमें प्रमुख कारण सीट शेयरिंग में देरी को माना जा रहा है। महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर काफी समय तक खींचतान चली। उम्मीदवारों की घोषणा देर से होने की वजह से कई VIP प्रत्याशी जमीन पर मजबूत पकड़ नहीं बना सके।
सिर्फ 'डिप्टी CM' का टैग, जमीन पर कमजोर पकड़
चुनाव अभियान में मुकेश सहनी का फोकस अधिकतर डिप्टी CM बनने की घोषणा पर रहा, जिससे जनता के मन में यह संदेश गया कि उनकी पार्टी का ध्यान जनता के मुद्दों से ज्यादा सत्ता पर है। इसके साथ ही VIP का 'निषाद वोट बैंक' उतना मजबूती से नहीं जुड़ पाया, जितनी उम्मीद मुकेश सहनी को थी। कई सीटों पर VIP को उसी समाज के मतदाताओं ने भी सीमित समर्थन दिया।
VIP को महागठबंधन में 'छोटी पार्टी' के रूप में देखा गया। कई सीटों पर महागठबंधन के अंदर ही फ्रेंडली फाइट का स्थिति बना, जिसका VIP को बड़ा नुकसान हुआ।
डिप्टी CM का सपना अधूरा क्यों रह गया?
मुकेश सहनी को उम्मीद थी कि उन्हें 'महागठबंधन' डिप्टी CM बनाएगा और इससे उनकी राजनीतिक जमीन मजबूत होगी। लेकिन चुनाव के नतीजों ने उनकी महत्वाकांक्षा को बड़ा झटका दिया। न सिर्फ गठबंधन हारा, बल्कि VIP का खाता भी नहीं खुल पाया।
कई राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि सहनी की राजनीति अधिकतर चेहरे और पद पाने पर केंद्रित रही, जबकि जमीनी संगठन और बूथ मैनेजमेंट लगभग कमजोर ही रहा।