Bihar Election 2025: बिहार के इन 10 सीटों पर हरबार वोटरों का बदलता मिजाज, दिग्गजों की भी उड़ रही नींद

Bihar Assembly Elections 2025 : अमेरिका में जैसे कुछ राज्यों को स्विंग स्टेट कहा जाता है क्योंकि वहां के मतदाता हर चुनाव में एक ही पार्टी को वोट नहीं देते, वैसे ही बिहार में भी कुछ विधानसभा सीटें हैं जहां लोगों की पसंद बदलती रहती है। इस बार अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने सभी सात स्विंग स्टेट्स में जीत दर्ज की। बिहार में भी पिछली दो विधानसभा चुनावों में इन कुछ सीटों पर अलग-अलग दलों को जीत मिली है, इसलिए इन्हें बिहार की स्विंग सीटें माना जा रहा है

अपडेटेड Nov 04, 2025 पर 7:00 AM
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Bihar Assembly Elections 2025: बिहार की वो सीटें जहां हर बार बदलते हैं नतीजे

बिहार में इस बार NDA और महागठबंधन (MGB) ने 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार सोच-समझकर उतारे हैं। दोनों गठबंधन जीत की संभावनाओं और जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर टिकट दे रहे हैं। इसके बीच कुछ सीटें ऐसी भी हैं जिन्हें स्विंग सीट कहा जा रहा है, क्योंकि यहां मतदाताओं का रुझान बदल सकता है। 2015 और 2020 के चुनावों में इन सीटों पर बहुत कम अंतर से जीत-हार हुई थी, इसलिए इस बार भी इन सीटों पर मुकाबला कड़ा रहने की उम्मीद है।

क्या होता है स्विंग सीट 

अमेरिका में जैसे कुछ राज्यों को स्विंग स्टेट कहा जाता है क्योंकि वहां के मतदाता हर चुनाव में एक ही पार्टी को वोट नहीं देते, वैसे ही बिहार में भी कुछ विधानसभा सीटें हैं जहां लोगों की पसंद बदलती रहती है। इस बार अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने सभी सात स्विंग स्टेट्स में जीत दर्ज की। बिहार में भी पिछली दो विधानसभा चुनावों में इन कुछ सीटों पर अलग-अलग दलों को जीत मिली है, इसलिए इन्हें बिहार की स्विंग सीटें माना जा रहा है।

  • बरबीघा विधानसभा सीट


इस सीट पर मुकाबला हमेशा से कड़ा रहा है। मौजूदा विधायक और JD(U) नेता सुदर्शन कुमार ने 2020 के चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 113 वोटों के बेहद छोटे अंतर से हराया था। दिलचस्प बात यह है कि 2015 में वे कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में इसी सीट से 15,717 वोटों के बड़े अंतर से जीत चुके थे। यह दिखाता है कि बरबीघा में कांग्रेस की पकड़ अब भी मौजूद है। वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र में BJP को 29,072 वोटों की बड़ी बढ़त मिली थी, जो NDA की मजबूती का संकेत है। इस बार सुदर्शन कुमार का सामना कांग्रेस के त्रिशूलधारी सिंह से हो रहा है, और मुकाबला फिर से कड़ा रहने की उम्मीद है।

  • बछवाड़ा विधानसभा सीट

बेगूसराय की इस सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। यहां INDIA ब्लॉक के दो दलों के बीच दोस्ताना टक्कर की स्थिति बन रही है—क्योंकि कांग्रेस ने अपने युवा नेता प्रकाश गरीब दास को उम्मीदवार बनाया है, जबकि CPI के पूर्व विधायक अवधेश रॉय ने भी नामांकन दाखिल कर दिया है। दूसरी ओर, BJP के सुरेंद्र मेहता इस सीट से मौजूदा विधायक हैं और पार्टी ने उन्हें दोबारा टिकट दिया है। 2020 में सुरेंद्र मेहता ने यह सीट जीती थी, जबकि 2015 में कांग्रेस के रामदेव राय यहां से विजेता रहे थे। इस बार भी बछवाड़ा में चुनावी मुकाबला काफी रोचक रहने वाला है।

  • भोरे विधानसभा सीट

इस सीट पर 2020 में बेहद करीबी मुकाबला देखने को मिला था, जब JD(U) के सुनील कुमार ने CPI(ML) के जितेंद्र पासवान को सिर्फ 462 वोटों से हराया था। अब लेफ्ट पार्टियां आधिकारिक रूप से INDIA ब्लॉक का हिस्सा हैं, इसलिए यहां इस बार भी NDA और लेफ्ट के बीच सीधी टक्कर देखने की संभावना है। इस चुनाव में CPI(ML) ने सुनील कुमार के मुकाबले धनंजय को उम्मीदवार बनाया है। दिलचस्प यह है कि 2015 में यहां कांग्रेस के अनिल कुमार ने 74,365 वोट पाकर जीत हासिल की थी, जिससे पता चलता है कि इस सीट पर राजनीतिक मुकाबला समय-समय पर बदलता रहा है।

  • रामगढ़ विधानसभा सीट

इस सीट पर 2020 में बेहद कड़ा मुकाबला हुआ था, जिसमें RJD के सुधाकर सिंह ने सिर्फ 189 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। उन्हें 58,083 वोट मिले, जबकि BSP के अंबिका सिंह यादव को 57,894 वोट हासिल हुए। इससे पहले, 2015 में BJP के अशोक कुमार सिंह ने यहां जीत पाई थी। इस चुनाव में BJP ने फिर से अशोक कुमार सिंह को टिकट दिया है और उनका मुकाबला RJD के अजीत कुमार से होगा, जो पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं। मुकाबला इस बार भी काफी दिलचस्प रहने की उम्मीद है।

  • चकई विधानसभा सीट

इस सीट पर पिछले दो चुनावों में जीत-हार का अंतर काफी दिलचस्प रहा है। 2020 में निर्दलीय सुमित कुमार सिंह ने RJD की सावित्री देवी को सिर्फ 581 वोटों के अंतर से हराया था। वहीं, 2015 में सावित्री देवी ने सुमित कुमार सिंह को 12,113 वोटों से मात दी थी। इस बार फिर से दोनों आमने-सामने हैं, और इनके साथ JSP के राहुल कुमार भी मैदान में उतर गए हैं। इसलिए चकई में मुकाबला इस बार भी कड़ा और रोचक रहने वाला है।

  • कुरहानी विधानसभा सीट

यह सीट कई बार राजनीतिक बदलाव का गवाह रही है और 2022 में यहां उपचुनाव भी हुआ था। वर्तमान में RJD के अनिल कुमार साहनी इस सीट के विधायक हैं। उन्होंने 2020 में यह सीट जीती थी, जबकि 2015 में BJP के केदार प्रसाद गुप्ता यहां से विजेता रहे थे। इस बार मुकाबला फिर रोमांचक है, जहां BJP के केदार प्रसाद गुप्ता, RJD के सुनील कुमार सुमन और JSP के मोहम्मद अली इरफान आमने-सामने हैं। कुरहानी में वोटों का रुख हर बार बदलता दिखा है, इसलिए इस चुनाव में भी कड़ी टक्कर की उम्मीद है।

  • डेहरी विधानसभा सीट

इस सीट पर 2020 में बेहद नज़दीकी मुकाबला हुआ था, जब RJD के फते बहादुर सिंह ने BJP के सत्यनारायण सिंह को सिर्फ 464 वोटों से हराया था। इस बार मुकाबला लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के राजीव रंजन सिंह और RJD के गुड्डू कुमार चंद्रवंशी के बीच है। इससे पहले 2015 में RJD के मोहम्मद इलियास हुसैन ने 49,402 वोटों के बड़े अंतर से यहां जीत दर्ज की थी। डेहरी में हर चुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिलता है और इस बार भी वही हाल रहने की उम्मीद है।

  • बखरी विधानसभा सीट

इस सीट पर 2020 में CPI के सूर्यकांत पासवान ने BJP के रामशंकर पासवान को हराया था। दोनों उम्मीदवारों को मिलकर कुल वोटों का 43% से अधिक समर्थन मिला था, जो कड़े मुकाबले का संकेत देता है। इससे पहले 2015 में RJD के उपेंद्र पासवान ने 72,632 वोट लेकर यह सीट अपने नाम की थी। इस बार फिर मुकाबला दिलचस्प है, जहां CPI के सूर्यकांत पासवान का सामना लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के संजय कुमार से होगा। इस सीट पर हर बार चुनाव बेहद प्रतिस्पर्धी रहा है और इस बार भी ऐसा ही माहौल देखने को मिलेगा।

  • मटिहानी विधानसभा सीट

इस सीट पर 2020 में LJP के राज कुमार सिंह ने JD(U) के नरेंद्र कुमार सिंह को केवल 333 वोटों के बेहद छोटे अंतर से हराया था। वहीं, 2015 में JD(U) के नरेंद्र कुमार सिंह ने BJP के सर्वेश कुमार को मात देकर जीत हासिल की थी। इस बार चुनाव फिर दिलचस्प है—JD(U) ने राज कुमार सिंह को उतारा है और उनका मुकाबला RJD के नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ़ बोगो सिंह से होगा। मटिहानी में हर चुनाव में कड़ी टक्कर देखने को मिली है और इस बार भी वही स्थिति बनती दिख रही है।

  • हिलसा विधानसभा सीट

इस सीट पर चुनावी मुकाबला हमेशा दिलचस्प रहा है। 2015 में RJD के शक्ति सिंह यादव ने LJP की दीपिका कुमारी को 26,076 वोटों के बड़े अंतर से हराया था। लेकिन 2020 में समीकरण बदल गए और JD(U) के कृष्णमुरारी शरण, जिन्हें प्रेम मुखिया भी कहा जाता है, ने शक्ति सिंह यादव को हराया। उस चुनाव में दोनों उम्मीदवारों को करीब 37.35% वोट मिले थे, जो बेहद कड़ी टक्कर का संकेत है। इस बार भी मुकाबला वही है—JD(U) के कृष्णमुरारी शरण बनाम RJD के अत्रि मुनि। ऐसे में हिलसा में फिर से तेज़ चुनावी जंग देखने को मिलेगी।

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