बिहार विधानसभा चुनावों के लिए उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। बीजेपी-जेडीयू अपने गैर यादव, गैर मुसलमान समेत अगड़ी जातियों के वोटों को लेकर आश्वस्त है तो RJD और कांग्रेस यादव, अल्पसंख्यक वोटों के सहारे थोड़े अगड़े वोट बैंक को मिलाने की जुगत मे लग गए हैं। RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने यादव, अल्पसंख्यक, अति पिछड़ा और थोड़े राजपूत वोटों के सहारे लगभग बीस सालों तक बिहार पर राज किया।
2005 में ये तिलिस्म टूटा और ऐसा टूटा कि 20 सालों से सत्ता में आने के लिए उन्हें नीतीश कुमार का सहारा लेना पड़ा। एक बार फिर अगड़ी जातियों के रहनुमा बनने की कोशिश में लगी हैं बिहार में दो दो हाथ कर रही तमाम पार्टियों। सभी गठबंधनों को पता है कि कोई भी एक अगड़ी जाति टूटी तो मुश्किले बढ सकती हैं।
इसी कड़ी में राजपूत समाज को जोड़ेने की शुरुआत की है सारण से बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने। जय सांगा की शुरुआत हुई है 3 अप्रैल को पटना में आयोजित बाबू वीर कुंवर सिंह शौर्य दिवस के दिन से। ये दिन बिहार के लिए ऐतिहासिक बन गया क्योंकि पहली बार भारतीय वायुसेना का एयर शो इसी दिन यानि वीर कुंवर सिंह क जन्म दिवस पर आयोजित किया गया था। नीले आकाश से कुंवर सिंह के शौर्य को सलामी दी। वायु सेना के युद्धक विमानों के करतब और जांबाजी देखना भी बिहार और पटना के निवासियों के लिए अभूतपूर्व था।
इस कार्यक्रम को पटना में आयोजित करने के पीछे सारण से बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी थे। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता भी रुडी ही थे। उन्होंने वीर कुंवर सिंह की वीरता, संघर्ष और स्वाभिमान का स्मरण कराते हुए समाज को संगठित रहने का संदेश दिया। राजीव प्रताप रूडी ने इस आयोजन के बाद संदेश दिया कि अब राजपूत समाज के एकजुट होने का समय आ गया है। इसलिए 23 अप्रैल को पटना के उसी मंच से ही पहली बार “जय सांगा” का नारा गूंजा।
पटना के इसी कार्यक्रम में उपस्थित क्षत्रिय समाज के लोगों ने सांसद राजीव प्रताप रूडी के नेतृत्व में इस सामाजिक चेतना को केवल नारों तक सीमित न रखकर इसे अभियान का रूप देने का संकल्प लिया। यह घोषणा की गई कि बिहार के सभी जिलों में “सांगा यात्रा” निकाली जाएगी, ताकि राजपूत समाज अपने इतिहास, संस्कृति और संगठन के महत्व को समझे और एकजुट हो।
इस यात्रा की शुरुआत अमर स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस की कीर्ति स्थली मुजफ्फरपुर से हुई, जहां बड़ी संख्या में समाज के लोगों ने भाग लिया और “जय सांगा” के नारे से पूरा वातावरण गुंज उठा। सांगा यात्रा’ बिहार के हर जिले तक जाएगी और समाज को उसकी विरासत पर गर्व करना सिखाएगी। ‘जय सांगा’ अब केवल नारा नहीं, हमारे स्वाभिमान का प्रतीक है। तय ये भी हुआ है कि समाज के लोग जब भी आपस में मिलें तो नमस्कार की जगह “जय सांगा” कहे। रुड़ी का मानना है कि जय सांगा का उद्घोष इसी आत्मसम्मान और एकता की चेतना का प्रतीक है।
इसके ठीक 1 महीने पहले 22 मार्च को संसद में समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा राणा सांगा पर की गई अमर्यादित टिप्पणी ने राजपूत समाज में आक्रोश फैला दिया। राणा सांगा पर की गई टिप्पणी पर संसद में भी जोरदार विरोध हुआ और लोग सड़कों पर भी उतर आए थे। संसद मे भी राजीव प्रताप रूडी ने जय सांगा कह कर अपनी स्पीच शुरु की थी। सारण सांसद राजीव प्रताप रूडी का कहना है कि सामाजिक समरसता को मजबूत करते हुए क्षत्रिय समाज को संगठित कर उनकी ऐतिहासिक विरासत और स्वाभिमान को पुनर्जीवित करना ही सांगा यात्रा का मूल उद्देश्य है।
जानकारी के लिए बता दें कि राजीव प्रताप रूडी ने 2025 के लोकसभा चुनावों के एक साल पहले बिहार के हर जिले में घुम घुम कर बिहार के विकास को लेकर जन संवाद किया था। ये किसी पार्टी के बैनर तले नहीं था। लेकिन आम आदमी को जुटाने में वो सफल रहे थे। इस बार फिर विधानसभा चुनावों के पहले राजपुत समाज को एकजुट करने के लिए सांगा यात्रा शुरू की है। रुड़ी का लक्ष्य है बिहार के दूर दराज के इलाकों में राजपूत समाज को एकजुट करना। राजपूत समाज की एकजुटता का फायदा किसे मिलेगा अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। महज 26 साल की उम्र में विधायक चुने जाने के बाद रूडी का चुनावी राजनीति में 35 साल से ज्यादा सफर बीत चुका है। सारण से लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार से देो दशकों से चुनावों मे टकरा रहे और हरा भी रहे राजीव प्रताप रूडी का सफर अभी बाकी है।