बिहार चुनावों में 'जंगल राज' शब्द सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों में से एक है। लेकिन ऐसी संभावन बेहद कम है कि राज्य विधानसभा में बेदाग नेता बिल्कुल न पहुंचें, क्योंकि अदालतों की बार-बार चेतावनी के बावजूद सभी राजनीतिक दल दागी उम्मीदवारों को मैदान में उतार रहे हैं। 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में, तीन में से एक उम्मीदवार पर आपराधिक आरोप हैं और तीन में से दो विधानसभा क्षेत्रों को "रेड अलर्ट" के रूप में चिह्नित किया गया है, जिससे मतदाताओं के लिए एक साफ-सुथरे उम्मीदवार को चुनने की संभावना काफी कम हो गई है।
चुनाव निगरानी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार, 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा के लिए कुल 2,616 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से कम से कम 2,600 के चुनावी हलफनामों का विश्लेषण किया गया।
विश्लेषण से पता चला कि कम से कम 838 उम्मीदवारों (32%) ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं- लगभग हर तीन में से एक उम्मीदवार के खिलाफ मामले दर्ज हैं। कम से कम 695 उम्मीदवार (27%)– हर चार में से एक – गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं, जैसे हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध और/या भ्रष्टाचार।
गंभीर आरोपों का सामना कर रहे उम्मीदवारों में 52 पर हत्या और 165 पर हत्या की कोशिश के मामले दर्ज हैं; 94 पर महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े मामले हैं, जिनमें से पांच पर बलात्कार का आरोप है।
स्थिति और भी गंभीर है, क्योंकि कम से कम 67 प्रतिशत सीटों- 243 में से 164 - को रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र कहा गया है, जहां तीन या ज्यादा उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
अपनी रिपोर्ट में ADR ने बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के चयन में राजनीतिक दलों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का कोई असर नहीं पड़ा है, क्योंकि उन्होंने फिर से दोनों चरणों में से हर एक में आपराधिक मामलों वाले लगभग 32 प्रतिशत उम्मीदवारों को टिकट देने की अपनी पुरानी प्रथा को जारी रखा है।
विश्लेषण में यह भी बताया गया है कि बिहार चुनाव में भाग लेने वाले सभी प्रमुख दलों ने 20 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं, जिन्होंने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फरवरी 2020 के आदेश में राजनीतिक दलों को खासतौर से निर्देश दिया था कि वे इस तरह के चयन के कारण बताएं और बताएं कि आपराधिक बैकग्राउंड वाले दूसरे व्यक्तियों को उम्मीदवार के रूप में क्यों नहीं चुना जा सकता है।
2,600 उम्मीदवारों में से, ADR ने बताया कि 1,081 उम्मीदवार (42 प्रतिशत) करोड़पति हैं, जिसका मतलब है कि हर पांच में से लगभग दो उम्मीदवारों के पास 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने 14 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक करोड़पति उम्मीदवार उतारे हैं। उम्मीदवारों की औसत संपत्ति लगभग 3.35 करोड़ रुपए है, जो बिहार के चुनावी मैदान में धनबल को उजागर करता है।
बिहार विधानसभा चुनाव के दो चरण गुरुवार, 6 नवंबर से शुरू होंगे, जब 121 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होगा। दूसरे चरण में 11 नवंबर को 122 सीटों के लिए मतदान होगा और उसके बाद 14 नवंबर को मतगणना होगी।