Bihar Chunav: SIR का असर या सत्ता परिवर्तन का संकेत, क्या कहती है बिहार चुनाव के पहले चरण की बंपर वोटिंग?
Bihar Election 2025: महिलाओं की लंबी कतारों को NDA ने अपने लिए शुभ संकेत बताया, तो महागठबंधन ने कहा कि “यह जनता की नाराजगी का इजहार है,” और यह कि लोग इस बार नीतीश कुमार सरकार को हटाना चाहते हैं। जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर (PK) ने भी कहा, “पिछले 30 सालों में सबसे ज्यादा वोटिंग का मतलब साफ है: बिहार में बदलाव आने वाला है। 14 नवंबर को नया सिस्टम बनेगा
Bihar Chunav: SIR का असर या सत्ता परिवर्तन का संकेत, क्या कहती है बिहार चुनाव के पहले चरण की बंपर वोटिंग?
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 64% की रिकॉर्ड वोटिंग हुई। यह वोटिंग 243 में से 121 सीटों पर हुई है। इस आंकड़े को देखकर दोनों गठबंधन- NDA और महागठबंधन अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि इतनी बड़ी वोटिंग से साफ है कि लोग बदलाव चाहते हैं, “लगभग 65% वोटिंग बताती है कि राज्य में लोग परिवर्तन के मूड में हैं। इंडिया ब्लॉक दो-तिहाई बहुमत से सरकार बनाएगा।”
वहीं भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि “ज्यादा वोटिंग NDA के पक्ष में है। पहले भी बिहार में ऐसा हुआ है कि जब ज्यादा वोट पड़े, NDA को भारी बहुमत मिला।” उन्होंने मध्य प्रदेश, गुजरात और दिल्ली की मिसालें देते हुए कहा कि “जहां ज्यादा वोटिंग हुई, वहां की सरकार दोबारा बनी।”
महिलाओं की लंबी कतारों को NDA ने अपने लिए शुभ संकेत बताया, तो महागठबंधन ने कहा कि “यह जनता की नाराजगी का इजहार है,” और यह कि लोग इस बार नीतीश कुमार सरकार को हटाना चाहते हैं।
जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर (PK) ने भी कहा, “पिछले 30 सालों में सबसे ज्यादा वोटिंग का मतलब साफ है: बिहार में बदलाव आने वाला है। 14 नवंबर को नया सिस्टम बनेगा।”
क्या ज्यादा वोटिंग का मतलब सत्ता परिवर्तन होता है?
राजनीति में एक पुराना सवाल है- क्या ज्यादा वोटिंग हमेशा बदलाव लाती है? इसका जवाब इतना आसान नहीं है।
उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में वोटिंग बढ़ी और भाजपा सत्ता में आई, लेकिन कर्नाटक के कई चुनावों में देखा गया कि ज्यादा वोटिंग होने के बावजूद सरकारें दोबारा बन गईं। यानी ज्यादा वोटिंग का मतलब हमेशा सत्ता परिवर्तन नहीं होता।
फिलहाल बिहार में दूसरा चरण 11 नवंबर को होगा और नतीजे 14 नवंबर को आएंगे। तभी असली तस्वीर साफ होगी।
क्या SIR की वजह से बढ़ी वोटिंग?
चुनाव आयोग ने इसे “लोकतंत्र की जीत” बताया। आयोग ने कहा कि Special Intensive Revision (SIR) यानी मतदाता सूची की विशेष समीक्षा से वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है।
SIR के दौरान लगभग 60 लाख पुराने नाम हटाए गए, और नई लिस्ट में मृत, डुप्लीकेट और प्रवासी मतदाताओं के नामों को निकाल दिया गया। इस वजह से कुल वोटरों की संख्या थोड़ी कम हुई, जिससे प्रतिशत के हिसाब से वोटिंग ज्यादा दिखी। हालांकि, कुल वोट डालने वालों की संख्या पिछले चुनावों से ज्यादा रही।
C-Voter के प्रमुख यशवंत देशमुख ने कहा, “करीब 10% फालतू नाम हटने से रिकॉर्ड वोटिंग हुई है। बिहार की जनता ने लोकतंत्र में भरोसा दिखाया है।”
राजनीतिक विशेषज्ञ राहुल वर्मा ने कहा, “यह असली मतदाता जागरूकता से ज्यादा एक सांख्यिकीय असर (statistical artefact) है।”
भाजपा नेता पल्लवी सीटी ने बताया कि SIR के बाद 21.5 लाख नए वोटर जुड़े, जबकि 65 लाख हटाए गए, जिससे कुल मतदाता 7.42 करोड़ रह गए। यही वजह है कि प्रतिशत बढ़ा, लेकिन वोटों की संख्या लगभग समान रही।
तो आखिर क्या मतलब है इस 64% वोटिंग का?
यह रिकॉर्ड वोटिंग बिहार के बदलते जनमत की निशानी भी हो सकती है, और सिर्फ एक सांख्यिकीय भ्रम भी। शायद यह दिखाता है कि बिहार की जनता अब लोकतंत्र में पहले से ज्यादा भागीदारी कर रही है।
लेकिन सच्चाई 14 नवंबर को EVM खुलने के बाद ही सामने आएगी। फिलहाल, 64% वोटिंग बिहार का आईना भी है और रहस्य भी।