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1967 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद देश में पहली बार जनसंघ और CPI ने मिलकर बनाई थी सरकार

1967 के चुनावों में कांग्रेस के मुख्यमंत्री कृष्ण वल्लभ सहाय को भारी मतों से हराने वाले महामाया प्रसाद सिन्हा तब बिहार के नए मुख्यमंत्री बने थे। वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीते थे

Surendra Kishoreअपडेटेड Jul 25, 2025 पर 5:33 PM
1967 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद देश में पहली बार जनसंघ और CPI ने मिलकर बनाई थी सरकार
1967 में बिहार में जब कांग्रेस की सरकार गिरी तो कृष्ण बल्लभ सहाय सीएम थे। (तस्वीर बीच में)। बायीं तरफ राम मनोहर लोहिया और दाईं तरफ कर्पूरी ठाकुर

1967 में कांग्रेस को बिहार की कुल 53 लोकसभा सीटों में से 34 सीटें मिल गईं थीं। लेकिन बिहार विधान सभा चुनाव में कांग्रेस अल्पमत में आ गई। क्योंकि तब लोगों में केंद्र सरकार की अपेक्षा राज्य सरकार से ज्यादा नाराजगी थी। तब दोनों चुनाव एक साथ ही होते थे। कांग्रेस को कुल 318 में से सिर्फ 128 विधान सभा सीटें ही मिल पाई थीं।

प्रतिपक्ष में सबसे अधिक यानी 67 सीटें संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (संसोपा) को मिली थीं। तब बिहार संसोपा के सर्वोच्च नेता कर्पूरी ठाकुर थे। राज्य में मिली जुली सरकार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ही बनें, ऐसा दल के शीर्ष नेता डॉक्टर राममनोहर लोहिया भी चाहते थे।

कर्पूरी ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में नहीं थीं कुछ पार्टियां

लेकिन, कुछ सहयोगी गैर कांग्रेसी दल-जन क्रांति दल के महामाया प्रसाद सिन्हा को मुख्यमंत्री बनवाना चाहते थे। महामाया बाबू ने पटना पश्चिम विधान सभा क्षेत्र में तब के मुख्यमंत्री कृष्ण बल्लभ सहाय को 1967 के चुनाव में भारी मतों से हराया था। महामाया बाबू निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते थे।

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