Bihar Elections 2025: बिहार में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के दो प्रमुख दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (13 अक्टूबर) को लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की तरफ से पिछले आम चुनावों के दौरान लगाए गए "वोट चोरी" के आरोपों की विशेष जांच दल (SIT) से जांच कराने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। वकील रोहित पांडे द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) में कांग्रेस नेता द्वारा लगाए गए आरोपों की एसआईटी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से निर्देश देने की मांग की गई है।
जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता भारत के चुनाव आयोग (ECI) से संपर्क कर सकता है। वकील पांडे ने राहुल गांधी द्वारा 7 अगस्त को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला दिया था, जिसमें उन्होंने भाजपा और चुनाव आयोग के बीच "मिलीभगत" के जरिए चुनावों में "बड़े पैमाने पर आपराधिक धोखाधड़ी" का विस्फोटक दावा किया था और पिछले साल कर्नाटक के एक निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची के विश्लेषण का हवाला दिया था।
7 अगस्त को, कांग्रेस नेता ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा वोटों की चोरी का आरोप लगाते हुए आंकड़े जारी किए। अपने लंबे भाषण में राहुल गांधी ने 'वोट चोरी' शब्द का इस्तेमाल यह बताने के लिए किया कि इस सीट पर 11,965 डुप्लीकेट मतदाता, 40,009 मतदाता फर्जी और अमान्य पते वाले, 10,452 बल्क मतदाता या सिंगल एड्रेस वाले मतदाता, 4,132 मतदाता अमान्य फोटो वाले और 33,692 मतदाता नए मतदाताओं के लिए बने फॉर्म 6 का दुरुपयोग कर रहे हैं।
उन्होंने हाल के महीनों में महाराष्ट्र और हरियाणा के संबंध में भी इसी तरह के आरोप लगाए थे। गांधी के "वोट चोरी" के आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने उनसे शपथ लेकर मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं का डिटेल्स पेश करने को कहा। साथ ही चेतावनी दी कि झूठे सबूत पेश करना भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 227 के तहत दंडनीय होगा।
कर्नाटक, महाराष्ट्र और हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) ने गांधी को पत्र लिखकर बताया कि कांग्रेस ने इन तीनों राज्यों में प्रकाशित मतदाता सूची के लिए कोई दावा या अपील दायर नहीं की है। उन्होंने 2004 से लोकसभा सदस्य गांधी को याद दिलाया कि चुनाव परिणामों को केवल उपयुक्त हाई कोर्ट में दायर एक औपचारिक चुनाव याचिका के माध्यम से ही चुनौती दी जा सकती है।
दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को कथित आईआरसीटीसी घोटाला मामले में राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनके बेटे एवं राज्य में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोप तय किए। इसके साथ ही बिहार में चुनाव से पहले उनके खिलाफ मुकदमे की तैयारी शुरू हो गई है।
विशेष जज विशाल गोगने ने इस मामले में राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के साझा आरोप तय किए। यह मामला भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (IRCTC) के दो होटलों के संचालन के ठेके एक निजी कंपनी को देने में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है।
अदालत ने लालू प्रसाद के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोप तय किए। लालू ने आरोपों से इनकार किया है। इससे पहले 24 सितंबर को अदालत ने आरोप तय करने के अपने आदेश के लिए सभी आरोपियों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था।
सीबीआई के आरोपपत्र के अनुसार, 2004 और 2014 के बीच कथित तौर पर एक साजिश रची गई थी जिसके तहत पुरी और रांची स्थित भारतीय रेलवे के बीएनआर होटलों को पहले आईआरसीटीसी को हस्तांतरित किया गया।
बाद में, इनके संचालन, रखरखाव और देखभाल के लिए, बिहार के पटना स्थित सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को पट्टे पर दे दिया गया। एजेंसी ने आरोप लगाया कि कॉन्ट्रेक्ट प्रक्रिया में धांधली और हेराफेरी की गई और निजी संस्था सुजाता होटल्स की मदद के लिए शर्तों में फेरबदल किया गया।