Bihar Elections 2025: बिहार की राजधानी पटना में संविदा कर्मियों का आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है। रविवार (14 सितंबर) को आंदोलनकारियों ने इनकम टैक्स चौराहा से लेकर वीरचंद्र पटेल मार्ग में जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में AISA संगठन के छात्र-छात्राएं भी शामिल हुए। उनके हाथों में पोस्टर और बैनर थे, जिन पर लिखा था "7480 विशेष सर्वेक्षण संविदा कर्मियों की बर्खास्तगी वापस लो!", "युवाओं पर लाठी चलवाना बंद करो!", और "अभ्यर्थियों पर पुलिसिया बर्बरता पर भाजपा-जदयू जवाब दो!"।
छात्रों और संविदा कर्मियों ने मिलकर NDA सरकार और नीतीश कुमार के खिलाफ जोरदार नारे लगाए। आंदोलन को देखते हुए प्रशासन ने बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना न हो। बावजूद इसके, प्रदर्शन में भारी भीड़ जुटी और माहौल गरमा गया।
स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए प्रशासन ने रविवार सुबह DM डॉ. त्यागराजन एस.एम. और SDM के साथ मिलकर वीरचंद्र पटेल मार्ग का दौरा-निरीक्षण किया। इस दौरान पहले से लागू धारा 144 को बदलकर धारा 163 लागू कर दी गई। बावजूद इसके, संविदा कर्मियों का आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार हो रहे विरोध और प्रदर्शनों से राजधानी की कानून-व्यवस्था पर असर पड़ने लगा है।
बता दे कि इससे एक दिन पहले, शनिवार (13 सितंबर) को भी बर्खास्त किए गए संविदा कर्मियों ने पटना में जोरदार प्रदर्शन किया था। उस दिन प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और भड़क उठा और वे भाजपा कार्यालय तक जा पहुंचे। वहां हजारों की संख्या में संविदा कर्मियों ने कार्यालय का घेराव किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
इस बीच मौके पर पहुंचे उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने आंदोलनकारियों से बातचीत करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि वे विभागीय मंत्री से बातचीत करेंगे और उनकी समस्याओं का समाधान निकालने की कोशिश करेंगे। लेकिन प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े रहे और बातचीत का कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया।
संविदा कर्मियों का कहना है कि उन्हें समान काम के बदले समान वेतन और 60 साल तक नौकरी की गारंटी मिलनी चाहिए। वे लंबे समय से हड़ताल पर हैं और लगातार सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। हड़ताल के बाद से लगभग 8,000 संविदा कर्मियों को नौकरी से हटा दिया गया है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को जानबूझकर नजरअंदाज कर रही है, जबकि वे राज्य की व्यवस्था को चलाने में अहम भूमिका निभाते हैं। उनका आरोप है कि शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान भी उन पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया जा रहा है, जिससे उनकी नाराजगी और बढ़ गई है।