Bihar Election 2025: बिहार चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया खत्म! पहले चरण के लिए मैदान में उतरे 1,314 उम्मीदवार, 61 ने वापस लिया पर्चा
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया 10 अक्टूबर से शुरू हुई थी और 17 अक्टूबर को पूरी हुई थी। पहले चरण के चुनाव के लिए कुल 1,314 उम्मीदवार मैदान में हैं। पहले चरण के लिए मतदान की तारीख 6 नवंबर है
Bihar Election 2025: 'महागठबंधन' में मतभेद और दरारें साफ तौर पर सामने आ गई हैं। कई सीटों पर इसके घटक दल आमने-सामने हैं
BiharElection 2025News:बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और फाइनल चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया सोमवार (20 अक्टूबर) को पूरी हो गई। अब विपक्षी 'महागठबंधन' में मतभेद और दरारें साफ तौर पर खुलकर सामने आ गई हैं। कई सीटों पर इसके घटक दल आमने-सामने हैं। ECI के अनुसार, पहले चरण के चुनाव के लिए कुल 1,314 उम्मीदवार मैदान में हैं। 243 सदस्यीय विधानसभा की 121 सीटों पर छह नवंबर को मतदान होना है। इस चरण में नामांकन पत्रों की जांच के बाद 300 से अधिक प्रत्याशियों के पर्चे खारिजकिए गए। 61 प्रत्याशियोंनेनामवापसलेलिएहैं।
राज्यमेंविपक्षीगठबंधनकानेतृत्वकररहेराष्ट्रीयजनतादल (RJD) नेअपने 143 उम्मीदवारोंकी लिस्टदेरसेजारीकी है। तबतकअधिकांशप्रत्याशियोंकोचुनावचिह्नमिलचुके थे। उन्होंनेनामांकनपत्रदाखिलकरदिएथे। आरजेडीपिछलेदोविधानसभाचुनावोंमेंसबसेबड़ीपार्टीकेरूपमेंउभरीथी।
RJDनेकांग्रेससेसीधाटकरावटालनेकीकोशिश की है। बिहारप्रदेशकांग्रेसअध्यक्षराजेशकुमाररामकेखिलाफकुटुंबा (आरक्षित) सेप्रत्याशीनहींउतारा। हालांकि, पार्टीकेउम्मीदवारलालगंज, वैशालीऔरकहलगांवमेंकांग्रेसप्रत्याशियोंकेखिलाफमैदानमेंहैं।
इससेपहलेतारापुरसीटपरआरजेडीकापूर्वमंत्रीमुकेशसहनीकीविकासशीलइंसानपार्टी (VIP) सेआमना-सामनाहोनेकीसंभावना थी। वहांराष्ट्रीयजनतांत्रिकगठबंधन (NDA) नेभारतीयजनतापार्टी (BJP) केनेताऔरउपमुख्यमंत्रीसम्राटचौधरीकोउताराहै। हालांकि, वीआईपीनेअपनेउम्मीदवारसकलदेवबिंदकोसमर्थनदेनेसेइनकार किया। इसकेबादउन्होंनेनाराजहोकरनामांकनवापसलेलियाऔरचौधरीकीमौजूदगीमें बीजेपी मेंशामिलहोगए।
दरभंगाजिलेकीगौडाबोरामसीटपरस्थितिऔरउलझीरही। आरजेडअध्यक्षलालूप्रसादने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर सूचित किया कि पार्टी सहनी के छोटे भाई संतोष को समर्थन दे रही है। लेकिन आरजेडी के चिह्न 'लालटेन' पर नामांकन दाखिल करने वाले अफजल अली ने पीछे हटने से इनकार कर दिया। इससे कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति बन गई है।
RJDको परिहार सीट पर भी बगावत का सामना करना पड़ रहा है। वहां महिला सेल की अध्यक्ष रितुजायसवाल ने पार्टी से नाराज होकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन किया है। वह यह आरोप लगा रही हैं कि पार्टी ने टिकट पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पुर्वे की बहू को दिया है। उन्होंने पिछली बार उनकी हार में भूमिका निभाई थी।
'इंडिया' गठबंधन में दरारें बछवारा, राजापाकर और रोसड़ासीटों पर भी देखने को मिल रही हैं। यहां कांग्रेस और भाकपा दोनों ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। राजापाकर सीट फिलहाल कांग्रेस के पास है। मौजूदा विधायक प्रतिमा कुमारी दास को दोबारा मौका दिया गया है।
कांग्रेस इस बार कुल 61 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जो 2020 के मुकाबले पांच कम हैं। पिछले चुनाव में उसे केवल 19 सीटें मिली थीं। उसकी खराब सफलता दर को महागठबंधन की हार के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से मिली गति के बावजूद कांग्रेस में असंतोष कायम है। राज्य के कई नेताओं ने टिकट बंटवारे के मापदंड पर सवाल उठाए हैं। जिन उम्मीदवारों को पिछली बार भारी हार मिली थी, उन्हें फिर मौका दिया गया। जबकि बेहतर प्रदर्शन करने वालों को नजरअंदाज किया गया है।
पप्पू यादव की बढ़ती राजनीतिक हैसियत भी कांग्रेस में असंतोष का कारण बनी है। पूर्णिया के निर्दलीय सांसद और कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य रंजीत रंजन के पति पप्पू यादव के करीबी कई नेताओं को टिकट दिया गया है। इससे पुराने नेताओं में नाराजगी है।
विकासशील इंसान पार्टी ने पहले 40-50 सीटों और सरकार बनने पर डिप्टी सीएम पद की मांग की थी। हालांकि, पार्टी ने 16 सीटों पर समझौता किया। इसके पास विधानसभा में कोई सदस्य नहीं है। महागठबंधन के घटक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन ने इस बार 20 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे हैं। भाकपा ने 9 और माकपा ने चार सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है।
नामांकन प्रक्रिया के आखिरी दिन कई नाटकीय घटनाएं भी हुईं। सासाराम से RJD उम्मीदवार सत्येंद्र साह को नामांकन दाखिल करने के तुरंत बाद झारखंड पुलिस ने एक पुराने मामले में गिरफ्तार कर लिया। यह ‘इंडिया’ गठबंधन के उम्मीदवारों की गिरफ्तारी का तीसरा मामला है।
इससे पहले, भाकपा (माले) लिबरेशन प्रत्याशी जितेंद्रपासवान (भोरे) और सत्यदेव राम (दरौली) को भी नामांकन के बाद गिरफ्तार किया गया था। भाकपा (माले) लिबरेशन ने इन गिरफ्तारियों कोराजनीतिक रूप से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि यह NDA खेमे के भय और घबराहट का संकेत है।