PM Modi: PM मोदी ने 24 साल पुराने 'गोलू अपहरण हत्याकांड' से याद दिलाया RJD का जंगलराज, जानिए क्या था पूरा मामला?

Golu Kidnapping Case: मुजफ्फरपुर जिले में 2001 में हुई यह घटना आज भी लोगों की यादों में सिहरन पैदा कर देती है। यह केवल एक अपराध नहीं था, बल्कि इसने पूरे बिहार और देश को झकझोर दिया था। दिनदहाड़े एक स्कूली छात्र का अपहरण, फिरौती की मांग और अंत में उस मासूम की हत्या इसने उस दौर की बदहाल कानून-व्यवस्था को बेनकाब कर दिया था

अपडेटेड Oct 30, 2025 पर 3:32 PM
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साल 2001 में मुजफ्फरपुर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ने वाला गोलू कुमार छुट्टी के बाद घर लौटते समय शहर के बीचों-बीच बदमाशों द्वारा अपहरण कर लिया गया था

PM Modi: बिहार विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुजफ्फरपुर की अपनी चुनावी सभा में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के 'जंगलराज' पर तीखा प्रहार किया है। पीएम मोदी ने 24 साल पहले हुए 'गोलू अपहरण कांड' का जिक्र करते हुए RJD के दौर में पनपे 'अपहरण उद्योग' की याद दिलाई। प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि 2001 में लालू राज के दौरान दिन-दहाड़े बच्चों को किडनैप कर लिया जाता था,।वैसे ही मुजफ्फरपुर के गोलू को भी अगवा कर नृशंस तरीके से मार दिया गया था।

मुजफ्फरपुर जिले में 2001 में हुई यह घटना आज भी लोगों की यादों में सिहरन पैदा कर देती है। यह केवल एक अपराध नहीं था, बल्कि इसने पूरे बिहार और देश को झकझोर दिया था। दिनदहाड़े एक स्कूली छात्र का अपहरण, फिरौती की मांग और अंत में उस मासूम की हत्या इसने उस दौर की बदहाल कानून-व्यवस्था को बेनकाब कर दिया था।

क्या हुआ था?


साल 2001 में मुजफ्फरपुर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ने वाला गोलू कुमार छुट्टी के बाद घर लौटते समय शहर के बीचों-बीच बदमाशों द्वारा अपहरण कर लिया गया था। परिवार ने हर संभव तलाश की और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। जांच के दौरान अपहरणकर्ताओं द्वारा फिरौती मांगने की बात सामने आई। तमाम कोशिशों के बाद भी गोलू की हत्या कर दी गई थी। इस खबर से पटना से मुजफ्फरपुर तक जनता गुस्से में सड़कों पर उतर आई।

पुलिस ने इस मामले में सात लोगों को आरोपी बनाया, जिनमें से कुछ की गिरफ्तारी हुई और कुछ फरार हो गए। हालांकि, वक्त के साथ मुकदमा लंबा खिंचता गया। सबूत कमजोर हुए, और गवाहों के पीछे हट जाने के कारण, यह मामला धीरे-धीरे फाइलों में दब गया।

23 साल बाद फिर खुली फाइल

करीब 23 साल बाद 2024 में पुलिस ने इस केस की फाइल को दोबारा खोलकर सक्रियता दिखाई है। पुराने रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं, और फरार या जमानत पर चल रहे आरोपियों का पता लगाया जा रहा है। उपद्रव में शामिल नामजद आरोपितों की तलाश के लिए जांच अधिकारी को सत्यापन करने का निर्देश दिया गया है। पीएम मोदी द्वारा 24 साल पुराने इस मामले को सार्वजनिक मंच से उठाने के बाद, बिहार का 'अपहरण उद्योग' और कानून-व्यवस्था का मुद्दा चुनाव में एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है।

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