बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में सबसे बड़ा झटका प्रशांत किशोर (PK) की पार्टी जनसुराज को लगा है। चुनाव से पहले PK कई चैनलों में इंटरव्यू देकर कह रहे थे कि 'JDU को 25 सीट भी नहीं आएगी… अगर आती है तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।' लेकिन नतीजों ने उनकी भविष्यवाणी को उल्टा कर दिया। JDU 80 से ज्यादा सीटों पर जीतते नजर आ रही है, यानी उनकी बात पूरी तरह गलत साबित हुई। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशांत किशोर अपने वादे पर कायम रहेंगे और राजनीति छोड़ देंगे?
जनसुराज का खाता भी नहीं खुला
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि PK की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई। ज्यादातर सीटों पर उनके उम्मीदवार चौथे या पांचवे स्थान पर रहे। शुरू से PK दावा कर रहे थे कि जनसुराज जनता की असली पार्टी है और पूरे बिहार में उनकी हवा चल रही है। लेकिन नतीजों में इन दावों का कहीं असर नहीं दिखा।
बड़े चेहरे भी गिरे मुंह के बल
जनसुराज के कुछ नामी चेहरे भी जनता की पसंद नहीं बन सके। पटना जिले के कुम्हरार सीट से मशहूर मैथमेटिशियन, लेखक और प्रोफेसर KC सिन्हा मैदान में थे, फिर भी उन्हें सिर्फ 15,017 वोट मिले और तीसरे स्थान पर बने रहे।
वहीं अगर बात करे एक और चर्चित चेहरा की तो चनपटिया सीट से मनीष कश्यप का भी चुनावी मैदान में प्रभाव नहीं दिखा। वे भी तीसरे स्थान पर ही रहे। जनसुराज पार्टी की एक और चर्चित चेहरा मोकामा सीट से पीयूष प्रियदर्शी है। दुलारचंद हत्याकांड के बाद वे सुर्खियों में आए थे, लेकिन इन्हें भी जनता ने समर्थन नहीं दिया। इन्हें 19,365 वोट मिले, और तीसरे स्थान पर रहे। यह साफ दिखाता है कि सोशल मीडिया की लोकप्रियता जमीन पर वोट में बदल नहीं पाई।
जनसुराज प्रमुख PK बार-बार दावा कर रहे थे कि नीतीश कुमार की पार्टी 25 सीट भी नहीं जीत पाएगी। लेकिन नतीजे बताते हैं कि नीतीश की जेडीयू 80+ सीटें जीत रही है, यानी PK की भविष्यवाणी बिल्कुल गलत निकली।
अब सबके मन में यही सवाल तैर रहा है कि क्या PK अपना वादा निभाएंगे और राजनीति छोड़ देंगे? इसपर अभी PK का कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन उनकी विश्वसनीयता पर सवाल जरूर खड़े हो रहे हैं।
इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में सिर्फ जनसुराज ही नहीं, बल्कि लगभग पूरा विपक्ष ही बुरी तरह पिछड़ता नजर आ रहा है। 'महागठबंधन' की सबसे बड़ी पार्टी RJD सिर्फ 26 सीटों पर सिमटती दिख रही है, जो उसके लिए ऐतिहासिक गिरावट मानी जा रही है। वहीं कांग्रेस मात्र 6 सीटों पर आगे है और CPI(ML) को 3 सीटों पर बढ़त मिली है। महागठबंधन की बाकी पार्टियां मिलकर भी सिर्फ 2 सीटें पाने की स्थिति में हैं। नतीजों से साफ झलक रहा है कि NDA की लहर के सामने विपक्ष पूरी तरह ढह गया है और चुनाव में उसका प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा है, जिससे उसे हास्य की स्थिति में बताया जा रहा है।
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