Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे पर बातचीत अंतिम चरण में है। हालांकि राज्य के दो प्रमुख गठबंधनों राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन दोनों में ही पेंच फंसा हुआ है। सहयोगियों को साधने और चुनावी समीकरण बिठाने की कवायद ने दोनों खेमों में नेताओं की बेचैनी बढ़ा दी है।
एनडीए में JDU का दबदबा और सहयोगियों की चुनौती
NDA खेमे में यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पिछली बार JDU 115 और BJP 110 सीटों पर लड़ी थी। इस बार, यह संख्या 100 के करीब हो सकती है, जिसमें JDU को BJP से एक सीट अधिक मिलेगी। इस हिसाब से NDA के पास अपने तीन प्रमुख सहयोगियों चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को देने के लिए लगभग 40 सीटें बचती हैं।
चिराग पर टिका है सारा दारोमदार
माना जा रहा है कि चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 20 से 25 सीटों का ऑफर दिया जा सकता है। लेकिन चिराग इस संख्या पर सहमत नहीं दिख रहे हैं। लोकसभा में उनके 5 सांसदों के प्रदर्शन को देखते हुए, उन्हें लगता है कि उनके लिए कम से कम 30 सीटें बनती हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या चिराग पासवान अधिक सीटों के लिए केंद्र में अपना मंत्री पद दांव पर लगाएंगे। चिराग के लिए विधानसभा में बेहतर प्रदर्शन करना जरूरी है, क्योंकि यह बीजेपी की आगे की रणनीति को प्रभावित करेगा।
बाकी सीटें जीतन राम मांझी की HAM और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के खाते में जाएंगी।
महागठबंधन की चुनौती: कुनबा बड़ा, सीटें कम
सीट बंटवारें को लेकर महागठबंधन की चुनौती बिल्कुल अलग है। यहां सहयोगी दलों की संख्या 6 से बढ़कर 8 होने वाली है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, माले, CPI, CPM और VIP के अलावा अब झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) भी इस गठबंधन में शामिल होंगी। RJD नेता तेजस्वी यादव के लिए दिक्कत यह है कि कुनबा तो बड़ा हो गया है, लेकिन बांटने के लिए सीटें कम पड़ रही है। RJD पिछली बार 144 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन इस बार करीब सवा सौ सीटों पर चुनाव लड़ने की उम्मीद है, बाकी सीटें सहयोगियों को देनी होंगी।
कांग्रेस बना रही दबाव: कांग्रेस पिछली बार की तरह 70 सीटों की मांग तो नहीं कर रही है, लेकिन 62 से 64 सीटें मांग रही है। महत्वपूर्ण बात यह है कि कांग्रेस इस बार सीटों की संख्या से ज्यादा इस बात पर जोर दे रही है कि उसे कौन सी सीटें मिलेंगी। कांग्रेस का अभी तक तेजस्वी को सीएम चेहरा घोषित न करने के पीछे भी यही एक कारण बताया जा रहा है।
मुकेश सहनी की शर्त: मुकेश सहनी की VIP 60 सीटों की मांग कर रही है, साथ ही उपमुख्यमंत्री पद पर कोई समझौता न करने की शर्त भी रख रही है। 2020 में NDA के साथ 13 सीटों पर लड़कर 4 सीटें जीतने वाले सहनी कितनी सीटों पर मानेंगे, यह देखना बाकी है।
वाम दलों की मांग: पिछली बार 19 सीटों पर लड़कर 12 जीतने वाली माले इस बार अधिक सीटें मांग रही है, जबकि CPI और CPM को पिछली बार की तरह 10 सीटें मिलने की उम्मीद है। इसन दोनों पार्टियों ने पिछले चुनाव में 2-2 सीटें जीती थीं।
इसके साथ ही दो नए सहयोगी पशुपति पारस और JMM को भी 3-4 सीटें देनी पड़ेंगी।
कुल मिलाकर, दोनों गठबंधनों में सीटों के तालमेल को लेकर गहन तकरार चल रही है, लेकिन उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में इन उलझनों को सुलझा लिया जाएगा ताकि चुनाव की घोषणा से पहले गठबंधन की तस्वीर स्पष्ट हो सके।