बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को मद्देनजर चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का ड्राफ्ट (Draft Voter List) जारी कर दिया है। यह ड्राफ्ट लिस्ट सभी राजनीतिक दलों को सौंपी जाएगी, ताकि वे इसमें दर्ज जानकारी की समीक्षा कर सकें और जरूरी आपत्तियां या सुधार पेश कर सकें। भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस बारे में एक आधिकारिक संदेश में बताया कि बिहार के सभी 38 जिलों में वोटर लिस्ट की डिजिटल और प्रिंट कॉपी जिला निर्वाचन पदाधिकारियों (DEO) के माध्यम से सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (CEO) और 243 निर्वाचन निबंधन पदाधिकारी (ERO) 1 अगस्त से 1 सितंबर तक आम नागरिकों और राजनीतिक दलों से दावे और आपत्तियां स्वीकार करेंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि चुनाव आयोग की ओर से शाम 3 बजे ड्राफ्ट वोटर लिस्ट आधिकारिक वेबसाइट voters.eci.gov.in पर अपलोड कर दी जाएगी, जिससे आम नागरिक आसानी से अपना नाम वोटर लिस्ट में चेक कर सकते हैं। साथ ही, अगर कोई खामी हो तो चुनाव आयोग के पास आपत्ति दर्ज कर सके।
बिहार में 24 जून से शुरू हुई SIR प्रक्रिया के तहत फाइनल वोटर लिस्ट 30 सितंबर को जारी की जाएगी। चुनाव आयोग ने 27 जुलाई को जारी एक प्रेस नोट में बताया कि राज्य के 91.69% रजिस्टर्ड मतदाताओं ने अपने गणना फॉर्म जमा कर दिए हैं, और उनका नाम 1 अगस्त को जारी होने वाली ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में शामिल किया गया है।
चुनाव आयोग के अनुसार, 24 जून 2025 तक बिहार में कुल 7.89 करोड़ रजिस्टर्ड मतदाता थे, जिनमें से 7.24 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने गणना फॉर्म समय पर जमा किया। यह आंकड़ा बताता है कि SIR प्रक्रिया में जनता की भागीदारी उल्लेखनीय रही है। हालांकि, लगभग 65 लाख ऐसे मतदाता हैं, जिन्होंने फॉर्म नहीं भरा, जिसके कारण उनके नाम 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाली ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल नहीं किए गए हैं।
आयोग ने ऐसे सभी नागरिकों से अपील की है कि वे 1 अगस्त से 1 सितंबर के बीच दावा या आपत्ति दर्ज कराएं, ताकि अंतिम सूची में आवश्यक संशोधन किए जा सकें और कोई भी पात्र मतदाता अपने मताधिकार से वंचित न हो।
वहीं, ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के प्रकाशन के साथ ही विपक्षी महागठबंधन ने सक्रिय रुख अपना लिया है। गठबंधन को शक है कि SIR प्रक्रिया के तहत कई वास्तविक और पात्र मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं। इसी को लेकर गुरुवार को राजद के प्रदेश कार्यालय में महागठबंधन की कानूनी मामलों से जुड़ी उपसमिति की एक विशेष बैठक बुलाई गई, जिसमें इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा की गई और आगे की रणनीति तय करने पर विचार हुआ।