बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इसी बीच विपक्षी महागठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान तेज हो गई है। गठबंधन का हर दल अपनी मजबूत जमीन का हवाला देकर ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करना चाहता है, जिससे सीटों का समीकरण बेहद जटिल हो गया है। गठबंधन का नेतृत्व कर रही RJD ने इस बार एक नई रणनीति अपनाई है, इसके अनुसार सीटों के साथ उम्मीदवारों का नाम भी मांगा गया है।
इस बार महागठबंधन सिर्फ सीटों की संख्या पर नहीं, बल्कि उम्मीदवार की जीत की संभावना पर फोकस कर रहा है। RJD ने अपने सभी सहयोगी दलों से स्पष्ट रूप से कहा है कि वे जिन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं, उन सीटों के साथ-साथ अपने उम्मीदवारों के नाम भी तय करके दें। इस रणनीति का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि हर सीट पर सबसे मजबूत और जिताऊ उम्मीदवार को ही मैदान में उतारा जाए, ताकि चुनावी जीत की संभावना को अधिकतम किया जा सके।
राजद की इस नई शर्त पर सहयोगी दलों ने अमल करना शुरू कर दिया है और अपनी-अपनी दावेदारियां पेश की हैं, गठबंधन में RJD के बाद सबसे पुरानी और बड़ी सहयोगी कांग्रेस ने 76 सीटों पर अपनी दावेदारी पेश की है। जानकारी के अनुसार, कांग्रेस ने इन सभी 76 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची भी राजद को सौंप दी है।
वहीं, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) भी इस बार बड़ी भूमिका में दिखना चाहती है। VIP ने 60 सीटों पर अपना हक जताया है। हालांकि, पार्टी ने अभी तक सभी 60 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम नहीं दिए हैं।
इसके साथ ही, वामपंथी दल (भाकपा-माले, सीपीआई और सीपीएम) एकजुट होकर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं और उन्होंने गठबंधन में कुल 40 सीटों की मांग की है। वाम दलों ने भी अपनी मांगी गई सीटों पर उम्मीदवारों की सूची राजद को सौंप दी है।
गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी, RJD, खुद कम से कम 130 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा, गठबंधन में दो नए दलों - रालोजपा (राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी) और झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) की एंट्री भी लगभग तय मानी जा रही है। इन दोनों दलों को मिलाकर 6 से 8 सीटें दी जा सकती हैं।
महागठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अगर सभी दलों की मांगों को जोड़ दिया जाए, तो यह आंकड़ा 243 सीटों से कहीं ज्यादा हो जाता है। RJD (130), कांग्रेस (76), VIP (60), और वाम दल (40) की कुल मांग ही 300 के पार चली जाती है। ऐसे में सभी दलों को अपनी मांगों से पीछे हटना होगा। इसी असमंजस को दूर करने के लिए उम्मीदवारों के नाम मांगे गए हैं, ताकि जब किसी एक सीट पर दो दलों की दावेदारी हो, तो शीर्ष नेतृत्व यह तय कर सके कि किस दल का उम्मीदवार ज्यादा मजबूत है।
वहीं दूसरी ओर, NDA खेमे में भी बिहार चुनाव के लिए सीट बंटवारे की तैयारियां शुरू हो गई हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने सोमवार (22 सितंबर) को पटना में कहा कि गठबंधन में सीटों का फैसला नवरात्र के दौरान ही हो जाएगा और सब कुछ शुभ रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि उनकी पार्टी को हर हाल में सम्मानजनक सीटें मिलनी चाहिए और वे सम्मान से कोई समझौता नहीं करेंगे। उनके इस बयान से यह स्पष्ट है कि NDA के सहयोगी दलों के बीच भी सीट बंटवारे को लेकर बातचीत का दौर जल्द ही शुरू होने वाला है।