बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लंबे इंतजार और विवादों के बाद के चुनाव आयोग की ओर से फाइनल वोटर लिस्ट जार कर दी गई है और इसी के साथ करने के साथ ही विवादित विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया भी पूरी हो गई है। SIR, जिसके बारे में चुनाव आयोग ने कहा था कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल पात्र मतदाता ही वोटर लिस्ट में रहें और जो वोटर लिस्ट से बाहर हैं, उन्हें भी इसमें शामिल किया जाए, विपक्ष की तरफ से इसकी कड़ी जांच और आलोचना की गई थी।
चुनावों से कुछ महीने पहले संशोधन के समय पर सवाल उठाते हुए विपक्ष के नेता राहुल गांधी और RJD नेता तेजस्वी यादव सहित दूसरे लोगों ने बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' भी निकाली थी और चुनाव आयोग पर सत्तारूढ़ गठबंधन की मदद करने का आरोप लगाया था।
22 साल के अंतराल के बाद किए जा रहे इस संशोधन में, 65 लाख मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटा दिए गए थे, जिनमें वे लोग भी शामिल थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी थी, जो बिहार से स्थायी रूप से बाहर चले गए थे, या जो कई जगहों पर वोटर के रूप में रजिस्टर्ड थे। सुप्रीम कोर्ट भी इस प्रक्रिया के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
मंगलवार को जारी फाइनल वोटर लिस्ट में, 1 अगस्त को जारी की गई ड्राफ्ट लिस्ट की तुलना में मतदाताओं की संख्या में 18 लाख की बढ़ोतरी हुई है। उस लिस्ट के बाद यह संख्या 7.24 करोड़ थी, जो अब बढ़कर 7.42 करोड़ हो गई है। 24 जून को - जब SIR की घोषणा हुई थी - कुल मतदाताओं की संख्या 7.89 करोड़ थी।
मुजफ्फरपुर जिले में 88,108 वोटर बढ़े हैं, यानी ड्राफ्ट रोल में 32,03,370 से बढ़कर अब 32,91,478 हो गए हैं। पटना जिले में यह संख्या 1,63,600 और नवादा जिले में 30,491 बढ़ी है।
वोटर लिस्ट का डेटा https://voters.eci.gov.in/ पर अपलोड कर दिया गया है और मतदाता उसी पोर्टल पर अपना नाम भी देख सकते हैं।
8 सितंबर को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह वोटर लिस्ट में आधार को पहचान के प्रमाण के रूप में शामिल करे और इसे इस उद्देश्य के लिए 11 दूसरे दस्तावेजों की लिस्ट में शामिल करे। हालांकि, उसने साफ किया था कि आधार का इस्तेमाल नागरिकता साबित करने के लिए नहीं किया जा सकता।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमलया बागची की बेंच ने कहा था कि उनका मानना है कि एक संवैधानिक संस्था होने के नाते, चुनाव आयोग SIR प्रक्रिया को अंजाम देते समय कानून और अनिवार्य नियमों का पालन कर रहा है।
साथ ही, पीठ ने कहा कि अगर कोई अवैधता पाई जाती है, तो वह हस्तक्षेप करेगी और पूरी प्रक्रिया को रद्द किया जा सकता है। जस्टिस कांत ने 15 सितंबर को बाद में हुई सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी, "अगर हम इस बात से संतुष्ट हैं कि लिस्ट में कुछ अवैधता है, तो सूची के अंतिम प्रकाशन से हमें क्या फर्क पड़ेगा?"
मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को है और चुनाव आयोग 4 और 5 अक्टूबर को चुनाव तैयारियों का जायजा लेने के लिए बिहार का दौरा करेगा। इसके बाद चुनाव की तारीखों की घोषणा होने की उम्मीद है।