Bihar election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की फाइनल वोटर लिस्ट 30 सितंबर को जारी की जाएगी। यह लिस्ट स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) ) प्रक्रिया के बाद चुनाव आयोग की तरफ से पहली बार जारी की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, वोटर लिस्ट में इस बार 7.3 करोड़ से अधिक मतदाता होंगे। यह ड्राफ्ट लिस्ट (7.24 करोड़) की तुलना में अधिक है। लेकिन जनवरी 2025 की संभावित वोटर संख्या (7.8 करोड़) से अभी भी कम है।
रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के फाइनल वोटर लिस्ट में 14 लाख नए वोटर के जुड़ने ने की उम्मीद है। इनमें बड़ी संख्या पहली बार वोट करने वाले युवाओं की है। 'इकोनॉमिक टाइम्स' को सूत्रों ने बताया कि बिहार वोटर लिस्ट में 7.3 करोड़ से ज्यादा लोगों के नाम शामिल होने की संभावना है।
यह वोटर लिस्ट में शामिल 7.24 करोड़ से अधिक है, लेकिन जनवरी 2025 की राज्य की वोटर लिस्ट के 7.8 करोड़ से काफी कम है। नए मतदाताओं के रजिस्ट्रेशन के कारण लगभग 14 लाख नए नाम जुड़ने की उम्मीद है, जिनमें 25 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के 4-5 लाख वोटर शामिल होंगे।
चुनाव आयोग 30 सितंबर को बिहार की फाइनल वोटर लिस्ट जारी करेगा, जो स्पेशल इंटेंसिव रिव्यू (SIR) के बाद पहली लिस्ट होगी। यह राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा से कुछ दिन पहले जारी की जाएगी।
SIR पर 24 जून के आदेश के अनुसार, वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने या हटाने के सभी दावों और आपत्तियों का निपटान करने की आखिरी तारीख 25 सितंबर है। ET को पता चला है कि राज्य के चुनाव रजिस्ट्रेशन अधिकारियों (ERO) ने ऐसे 90% आवेदनों का निपटान कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग ने इस मामले में उदार रुख अपनाया है। वह कुछ और दिनों तक दावों/आपत्तियों पर विचार करता रहेगा।
1 सितंबर को चुनाव आयोग के एक बयान में कहा गया था कि शामिल करने के लिए 36,475 दावे/आपत्तियां और हटाने के लिए 2.17 लाख दावे/आपत्तियां दाखिल की गई थीं। ईटी को पता चला है कि 34,000 से अधिक शामिल करने के मामलों को स्वीकार किया जा सकता है और उन्हें अंतिम सूची में शामिल किया जा सकता है। हालांकि, मसौदा सूची में अधिकांश नए नाम फॉर्म 6 के माध्यम से नए मतदाता पंजीकरण से हैं, और 14 लाख से अधिक नए नाम जुड़ने की उम्मीद है। 1 सितंबर को चुनाव आयोग के बयान के अनुसार, बिहार में चुनाव आयोग को 16.56 लाख से अधिक फॉर्म 6/फॉर्म 6+ घोषणा पत्र मिले थे।
कांग्रेस कार्य समिति ने बुधवार को आरोप लगाया कि SIR साजिश आज हमारे लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। यह दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों जैसे हाशिए पर खड़े समुदायों को उनके मताधिकार से वंचित करने के लिए रची गई है। विस्तारित कार्य समिति की बैठक में दो प्रस्ताव पारित किए जिनमें एक राजनीतिक और दूसरा बिहार से संबंधित है। देश विपक्षी पार्टियां बिहार SIR का लगातार विरोध कर रही हैं।