बिहार चुनाव: BJP और NDA की राह पर चले नीतीश, पेंशन बढ़ाने से लेकर बिजनेस लोन देने तक, महिला वोटरों को लुभाने में लगे
Bihar Election 2025: 24 जून को कैबिनेट ने फैसला किया कि बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों की मासिक पेंशन 400 रुपए से बढ़ाकर 1,100 रुपए कर दी जाएगी। 11 जुलाई को इस बढ़ी हुई पेंशन की पहली किस्त, जो कुल 1,227 करोड़ रुपए से ज्यादा थी, सीधे 1.11 करोड़ लोगों के खातों में भेजी गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इन पेंशन पाने वालों में लगभग 54.5% महिलाएं हैं
बिहार चुनाव: BJP और NDA की राह पर चले नीतीश, पेंशन बढ़ाने से लेकर बिजनेस लोन देने तक, महिला वोटरों को लुभाने में लगे
बिहार विधानसभा चुनावों से पहले विपक्ष को करारा झटका देने के लिए नीतीश कुमार सरकार ने उसी रणनीति को अपनाया है, जो दूसरे राज्यों में BJP और NDA के लिए कारगर रही है। महिलाओं के लिए कई योजनाओं की घोषणा, जो एक निर्णायक भूमिका में हैं और जिसके बारे में माना जाता है कि इस वर्ग ने ही महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के चुनावों में बड़ा उलटफेर कर दिया। अपने गढ़ को सुरक्षित बनाए रखने की उम्मीद में, नीतीश ने लगभग तीन महीने पहले ही काम शुरू कर दिया था।
24 जून को कैबिनेट ने फैसला किया कि बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों की मासिक पेंशन 400 रुपए से बढ़ाकर 1,100 रुपए कर दी जाएगी। 11 जुलाई को इस बढ़ी हुई पेंशन की पहली किस्त, जो कुल 1,227 करोड़ रुपए से ज्यादा थी, सीधे 1.11 करोड़ लोगों के खातों में भेजी गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इन पेंशन पाने वालों में लगभग 54.5% महिलाएं हैं।
अगले महीने, 8 जुलाई को बिहार कैबिनेट ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को मिलने वाले 35% आरक्षण पर नया नियम लागू किया। अब यह आरक्षण सिर्फ बिहार की निवासी महिलाओं को ही मिलेगा। दूसरे राज्यों की महिलाएं इन नौकरियों के लिए सामान्य श्रेणी (जनरल कैटेगरी) में ही आवेदन कर सकेंगी।
30 जुलाई को नीतीश ने आशा कार्यकर्ताओं का मासिक मानदेय 1,000 रुपए से बढ़ाकर 3,000 रुपए कर दिया। साथ ही, मातृ स्वास्थ्य (ममता) कार्यकर्ताओं को बच्चे के जन्म पर मिलने वाला प्रोत्साहन भत्ता 300 रुपए से बढ़ाकर 600 रुपए कर दिया गया।
29 अगस्त को कैबिनेट ने मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना को मंजूरी दी, ताकि महिलाओं को खुद का रोजगार शुरू करने में मदद मिले। इसके लिए 20,000 करोड़ रुपए का बजट रखा गया। इस फैसले की घोषणा 2 सितंबर को हुई।
इस योजना के तहत हर परिवार की एक महिला को शुरुआत में 10,000 रुपए दिए जाएंगे, ताकि वह अपनी पसंद का रोजगार शुरू कर सके। अगर 6 महीने बाद उसका काम सही चलता है, तो उसे इसे बढ़ाने के लिए 2 लाख रुपए तक की अतिरिक्त मदद मिलेगी।
अधिकारियों के अनुसार, पहली किस्त सितंबर में महिलाओं के खातों में भेजी जाएगी।
सरकार स्थानीय हाट-बाजार (छोटे बाजार) भी विकसित करेगी, जहां महिलाएं उद्यमी बनकर अपने उत्पाद बेच सकेंगी। इस पूरी योजना के लिए राज्य की आकस्मिक निधि से 20,000 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम महिलाओं को बड़े स्तर पर सशक्त बनाने के लिए है और राज्य में रोजगार पैदा करके पलायन को कम करने में मदद करेगा।
2 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार राज्य जीविका निधि क्रेडिट को-ऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड, जिसे आमतौर पर जीविका बैंक कहा जाता है, उसके लिए 105 करोड़ रुपए की शुरुआती पूंजी जारी की। यह बैंक महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप (SHGs) के लिए खास तौर पर बनाया गया है।
अधिकारियों के अनुसार, इस पहल का मकसद ग्रामीण महिलाओं को सस्ती दरों पर आसानी से कर्ज उपलब्ध कराना है। जीविका कार्यक्रम की शुरुआत नीतीश कुमार ने 2006 में वर्ल्ड बैंक की मदद से की थी। आज इस योजना से लगभग 11 लाख SHGs जुड़े हुए हैं, जिनमें करीब 1.4 करोड़ महिला सदस्य हैं।
पुरुषों से ज्यादा महिला वोटर
पिछले कई चुनावों के रुझान बताते हैं कि पुरुषों के मुकाबले ज्यादा महिलाएं वोट डालने के लिए आगे आ रही हैं। बिहार में भी यही स्थिति है।
2020 के विधानसभा चुनाव में 59.69% महिलाएं मतदाता के रूप में दर्ज हुईं, जबकि पुरुषों का आंकड़ा 54.68% रहा। मतदान के दौरान भी यही अंतर दिखा- महिलाओं की वोटिंग 59.7% रही, जबकि पुरुषों की 54.6%।
2024 लोकसभा चुनाव में पुरुषों की वोटिंग प्रतिशत 65.80% रही, जबकि महिलाओं की 65.78%। यानी पुरुषों का हिस्सा बस थोड़ा ही ज्यादा था।
2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के विश्लेषण से पता चलता है कि कई निर्वाचन क्षेत्रों में महिलाओं की वोटिंग, वोटिंग लिस्ट में उनकी कम संख्या होने के बावजूद, पुरुषों से ज्यादा रही। दोनों चुनावों में सबसे ज्यादा ऐसे इलाके बिहार में थे- 2014 में 10 और 2019 में 18।
यह दिखाता है कि चुनावों में महिलाओं का वोट लगभग निर्णायक भूमिका निभाता है।
नीतीश ने महिला वोट बैंक को किया मजबूत
2005 में सत्ता में आने के बाद से ही नीतीश कुमार ने महिलाओं का वोट बैंक मजबूती से साधा है।
2006 में बिहार देश का पहला राज्य बना, जिसने ग्रामीण और शहरी निकायों में महिलाओं के लिए 50% सीटें आरक्षित कीं।
उसी साल उन्होंने मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना शुरू की, जिसके तहत नौवीं कक्षा में दाखिला लेने वाली लड़कियों को साइकिल खरीदने के लिए नकद सहायता दी जाती है।
2016 में सरकार ने सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35% आरक्षण की घोषणा की। 2018 से मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत लड़कियों को ग्रेजुएशन तक हर महीने आर्थिक मदद दी जा रही है।