Bihar Assembly Election: बिहार विधानसभा चुनाव में 'महागठबंधन' के भीतर सीट बंटवारे का संकट अब नाजुक दौर में पहुंच गया है। गठबंधन की दो सबसे बड़ी पार्टियां, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कई सीटों पर तालमेल नहीं बिठा पाई हैं, जिसके कारण दोनों के उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि एनडीए नेताओं को महागठबंधन की इस अंदरूनी कलह पर तंज कसने का मौका मिल गया है। जानकारी के अनुसार, बिहार कांग्रेस और आरजेडी के नेताओं के बीच बातचीत लगभग बंद हो गई है।
अपने का उम्मीदवारों का नामांकन वापस लें RJD: कांग्रेस
कांग्रेस के नेताओं ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि वे पीछे हटने के मूड में नहीं हैं। कांग्रेस का मानना है कि जब गठबंधन है तो यह स्थिति क्यों उत्पन्न हुई। अब कांग्रेस ने गेंद आरजेडी के पाले में डाल दी है। कांग्रेस नेताओं का साफ कहना है कि आरजेडी को फैसला लेना है कि क्या वे अपने उम्मीदवारों का नामांकन वापस लेंगे, या फिर दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। हालात की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लालू यादव और तेजस्वी यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम के खिलाफ ही अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया है।
बिहार कांग्रेस को मिल रहा हाईकमान का पूरा समर्थन
इस बीच एक महत्वपूर्ण जानकारी यह सामने आई है कि कांग्रेस आलाकमान भी बिहार कांग्रेस इकाई पर कोई दबाव नहीं बना रहा है। RJD के रवैये से नाखुश बिहार कांग्रेस नेताओं ने सारी परिस्थितियों से राहुल गांधी को अवगत करा दिया है, और राहुल गांधी ने बिहार के कांग्रेस नेताओं का समर्थन किया है। न्यूज18 को एक बड़े कांग्रेस नेता ने बताया कि यह पहला मौका है जब कांग्रेस आलाकमान दिल्ली से हस्तक्षेप करने और प्रदेश कांग्रेस के नेताओं पर दबाव नहीं बना रहा है।
JMM ने भी छोड़ा साथ, बढ़ी मुश्किलें
महागठबंधन में दरार सिर्फ RJD और कांग्रेस तक ही सीमित नहीं है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने भी महागठबंधन का साथ छोड़ दिया है। JMM ने घोषणा की है कि वह बिहार की 6 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। 2025 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले JMM का यह नाता तोड़ना और कांग्रेस का कड़ा रुख अपनाना यह साफ संकेत देता है कि बिहार में महागठबंधन में दरार गहरी हो गई है, जिसका सीधा फायदा एनडीए को मिल सकता है।