68 सीटों पर NOTA से भी हार गई जनसुराज, बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर को मिले 3.44% वोट

Bihar Chunav Results: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की नई राजनीतिक पार्टी जनसुराज (JSP) भले ही राज्य-स्तर पर वोट शेयर के मामले में CPI(ML)(L) को पीछे छोड़ने में सफल रही हो, लेकिन सीट-दर-सीट आधार पर पार्टी का प्रदर्शन बेहद कमजोर साबित हुआ है

अपडेटेड Nov 14, 2025 पर 6:49 PM
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Bihar Chunav Results: जनसुराज पार्टी को पूरे राज्य में 3.44% वोट मिले

Bihar Chunav Results: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की नई राजनीतिक पार्टी जनसुराज (JSP) भले ही राज्य-स्तर पर वोट शेयर के मामले में CPI(ML)(L) को पीछे छोड़ने में सफल रही हो, लेकिन सीट-दर-सीट आधार पर पार्टी का प्रदर्शन बेहद कमजोर साबित हुआ है।

मनीकंट्रोल के एक विश्लेषण के मुताबिक, जनसुराज पार्टी को जहां पूरे राज्य में 3.44% वोट मिले, वहीं वह जिन 238 सीटों पर चुनाव लड़ी, उनमें से 68 सीटों पर NOTA से भी पीछे रह गई। इसका मतलब है कि लगभग 28.6% सीटों पर ‘नोटा’ को जनसुराज से अधिक वोट मिले, जो किसी भी नई पार्टी के लिए गंभीर चुनौती का संकेत है।

वोट शेयर में शुरुआती सफलता, पर सीट स्तर पर बड़ी कमजोरी

वोट शेयर के मामले में जनसुराज ने बिहार में अपनी पहली चुनावी परीक्षा में CPI(ML)(L) (3.05% वोट प्रतिशत) और कई छोटे दलों को पीछे छोड़ा। वोट प्रतिशत के लिहाज से जनसुराज राज्य में सातवें स्थान पर रही, और उससे अधिक वोट केवल इन दलों को मिले।


वोट शेयर में RJD (22.76%) सबसे बड़ी पार्टी रही। बीजेपी (20.87%) दूसरे नंबर पर रही। जेडीयू (18.91%) तीसरे नबंर पर रही। इसके अलावा कांग्रेस को 8.46% वोट और चिराग पासवान की LJP (RV) को 5.11% वोट मिले। निर्दलीय का वोट प्रतिशत 4.66% रहा।

अनेक सीटों पर NOTA ने दी मात

238 में से 68 सीटों पर NOTA ने जनसुराज से अधिक वोट लिए। हर तीन में से एक सीट पर पार्टी की स्थिति नोटा से भी कमजोर रही। यह आंकड़ा जनसुराज को उन दलों की श्रेणी में ले जाता है, जिन्होंने अधिक सीटों पर चुनाव लड़कर भी बहुत खराब प्रदर्शन किया।

दूसरे छोटे दलों के मुकाबले जनसुराज कहां ठहरी?

बाकी दलों की बात करें तो AIMIM के उम्मीदवार 14.3% सीटों पर NOTA से पीछे रहे। VSIP के उम्मीदवार 8.3% सीटों पर NOTA से पीछे। वहीं आजाद समाज पार्टी करीब 50% सीटों पर पर NOTA से पीछे रही। इसके मुकाबले अधिकतर छोटी पार्टी जैसे SUCI, समता पार्टी, बिहारी लोक चेतना पार्टी और NCP (बिहार यूनिट) किसी भी सीट पर NOTA को नहीं हरा सकीं, यानी उनका प्रदर्शन इससे भी खराब रहा।

पुरानी पार्टियों का दमदार प्रदर्शन

BJP, JD(U), RJD, LJP (RV), CPI(ML)(L) जैसी राज्य की पुरानी पार्टियों ने हर सीट पर NOTA को मात दी, जो उनके मजबूत संगठन, जमीनी नेटवर्क और वोट बैंक को दर्शाता है।

जनसुराज की मुख्य चुनौती: ‘दिखता है, पर जीतता नहीं’

चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि प्रशांत किशोर की राज्य भर में पदयात्रा, गांव-गांव संपर्क अभियान और “जन-उम्मीदवार” मॉडल ने पार्टी को पहचान जरूर दिलाई, लेकिन यह पहचान वोट में तब्दील नहीं हो सकी। ज्यादातर सीटों पर वोटर या तो पारंपरिक दलों के साथ गए या फिर जनसुराज की बजाय NOTA को वोट देना ज्यादा बेहतर समझा।

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